Saturday 30 May 2015

गाँव की लड़की शहर में III

और फिर इस तरह रात की हर पल की बातें करती रही और फिर सो गए...अचानक फोन की रिंग से मेरी नींद खुली..देखी उठा के तो अंकल का था...
मैंने तेजी से बैठते हुए पिक करती हुई नमस्ते की..अंकल भी प्यार से खुश रहने की दुआ कर बोले," कहाँ थी फोन रिसीव नहीं कर रही थी..."
"वो अंकल आराम कर रही थी.."
अंकल : "समय देखो, 5 बजने वाले हैं..रात में श्याम सोने नहीं देता क्या?"
अंकल की बात सुन मैं बिना जवाब दिए बस हँस दी..
"अंकल, आज तो इलेक्शन का रिजल्ट था ना..."मैं बातों को आगे बढ़ाती हुई पूछी..
अंकल : "हाँ, वही बताने तो फोन किया हूँ...अभी-2 वहीं से आया हूँ और पटना आ रहा हूँ...मैं एकतरफा बहुमत से जीत गया हूँ और इस जीत की पार्टी तुम्हारे साथ मनाने आ रहा हूँ.."
अंकल के शब्दों में अपार खुशी झलक रही थी..मैंने अंकल को हंसते हुए बधाई दी जिसे सुनते ही अंकल बोले," थैंक्स माई लव पर इतने से काम नहीं चलेगा अब..."
मैं अंकल के मंसूबे को पलक झपकते ही ताड़ ली और फिर थोड़ी इठलाती हुई बोली,"..तो फिर काम चलाने के लिए क्या करना होगा मेरे प्यारे अंकल.."
अंकल : "हम्म्म..समझदारी तो दिखाई हाँ कह के...बस ज्यादा नहीं, मेरे तोप की देखभाल करनी होगी और ये शुभ काम आज हुआ तो ठीक वर्ना कल निश्चित करना होगा..." और फिर अंकल हंस दिए...
"हम्म्म...ठीक है..पहले जल्दी से आ जाओ फिर अपनी ड्यूटी शुरू कर दूँगी.."मैं भी अंकल से बेहिचक बोल दी...जिसे सुन अंकल के मुख से एक ठंडी आहह निकल पड़ी और इधर मेरी बूर से...
2 घंटे में आने को बोल अंकल फोन रख दिए...मैं भी अंकल की चुदाई को याद करती मुस्कुरा दी...और फिर पूजा को उठाती फ्रेश होने बाहर निकल गई...
शाम में श्याम के साथ ही अंकल आए जिनके हाथ में मिठाई और गिफ्ट भरे थे...मैं तो मन ही मन सोच रही थी कि काश..आज भी छोटी पार्टी हो जाए...
पर नहीं हुई...खाना पीना के बाद अंकल आज यहीं रूक गए...अंकल और श्याम एक रूम में और पूजा मेरे साथ दूसरे रूम में चले गए...उन दोनों का तो पता नहीं पर हम दोनों की नींद आ ही नहीं रही थी..
बस करवट बदल रही थी और जब पूजा से नजरें मिलती तो आँखों ही आँखों बात करती कि ऐसा क्यों? कभी बाढ़ आ जाती तो कभी एक बूंद को तरस रही हूँ....
खैर, रात के 1 बजे करीब गेट पर हल्की दस्तक हुई...मैं झट से उठ गई..लगता है कि अंकल हैं...पूजा भी उठनी चाही पर उसे रोकती हुई बोली,"तुम रूको, मैं देखती हूँ...और श्याम को भी देख लूँगी..."
कहते हुए मैं उठी और गेट खोली..गेट खुलते ही मैं सन्न रह गई..सामने श्याम थे...शायद ये भी तड़प रहे होंगे...पहली बार साथ रहते अलग सोए हैं ना इसलिए..मैं तुरंत ही अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेरती हुई पूछी,"क्या हुआ?"
श्याम धीरे से मुझे बाँहों में कसते हुए बोले,"तुम्हें भी नींद नहीं आ रही क्या..?" मैं उनके होंठों को चूमती हुई ना में सिर हिला दी...श्याम भी किस का जवाब देते मेरे होंठ चूसने लगे...
जब किस रूकी तो श्याम मेरे चेहरे पर आई बाल को पीछे कान पर ले जाते हुए बोले,"मैं तो सो जाता पर अपनी जान की फिक्र ने हमें सोने नहीं दिया.."
मेरे प्रति फिक्र देख मेरे अंदर ढ़ेर सारा प्यार उमड़ आया...मैं उनके सीने को अपनी जीभ से चाटने लगी...तभी श्याम मेरे कानों में फुसफुसाते हुए बोले,"भैया को मिस कर रही हो...?"
मेरी जीभ जस की तस रूक गई श्याम की बात सुनकर...ऐसा लगा मानों किसी ने विस्फोट कर दिया हो मेरे अंदर...क्या श्याम रात में.....मेरी आँखें छलक पड़ी और आंसे उनके सीने पर पड़ने लगी...
श्याम ने मेरे चेहरे को पकड़ सीधे किए जिससे मेरी आँखें बंद हो गई और लगातार आँसू निकली जा रही थी...फिर वो मेरे होंठ के पास अपने होंठ लाते हुए बोले...
श्याम : "ऐ सीता, रोती क्यों हो? ज्यादा कुछ मैं नहीं जानता...बस इतना जानता हूँ कि इस चारदीवारी के बाहर भी एक जिंदगी है...किसी की पत्नी के बाद भी तुम्हारी अपनी जिंदगी है...मेरी भी है...अब जिसे मैं प्यार करता हूँ,उसकी इच्छा-पसंद को मैं कैसे दबा सकता..फिर तो मेरा प्यार बेकार है...मैं तुम्हें दिल से चाहता हूँ सीता...और शायद तुम भी...तुम्हें जो भी पसंद हो बेहिचक करो पर मेरे प्यार को कभी चोट मत पहुँचाना...क्योंकि प्यार एक बार होता है और शारीरिक आकर्षण बार-बार...तुम्हारी आँखें जब देखता हूँ तो मैं दुनिया से चिल्ला कर कह सकता हूँ कि तुम मुझे बेइंतहा प्यार करती हो..और बाकी के लिए तुम्हारी नजरें सिर्फ शरीर की भूख मिटाने उठती है...ऐसा नहीं है कि तुम मेरे साथ भूखी रहती पर तुम्हारी भूख कुछ और है...ऐसा सिर्फ तुम्हारे साथ ही नहीं बल्कि कईयों के साथ होती है...मैं भी ऐसा ही हूँ...कभी बताने की हिम्मत नहीं पड़ती थी तुम्हारे प्यार को देखकर...मैं ड्यूटी के बाद रोज अपनी गर्ल-फ्रेंड के पास जाता हूँ..."
अब मेरी सिसकी रूक गई थी पर आँसूं बह रही थी...और सारा ध्यान श्याम की कही एक-एक शब्द पर थी....
श्याम : "कभी कभी गर्लफ्रेंड से जब ऊब जाता हूँ तो रेड लाईट भी चला जाता हूँ...मैं ऐसे हालात से अच्छी तरह वाकिफ हूँ...आज तुमसे मैंने ये बात कह डाली दिल काफी हल्का हो गया...पहले तो कभी-2 तुमसे नजरें भी नहीं मिला पाता था...खैर अगर ऐसे कहता रहा तो पूरी रात निकल जाएगी पर बातें खत्म ना होगी...अब अगर मेरी बात को समझ गई हो तो प्लीज माफ कर देना...मैंने ये बातें तुमसे छिपाई थी..."
मैं उनके माफी मांगने पर आश्चर्य से आंसू भरे चेहरे ऊपर कर उनकी नजरों में देखने लगी...वो मुस्कुराते हुए मेरे आँसू पोंछते हुए बोले,"ऐसे क्या देख रही हो? अब तुम कहोगी कि मैं भी तो नहीं बोली थी तो सुनो...मैं तुम्हें कब का माफ कर चुका हूँ...तुम्हारे कारण ही आज पहली बार सुकून मिल पाया दिल के बोझ हटाकर...अब जल्दी से माफ करो और एक किस दो...."
उफ्फ्फ...मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी ऐसा प्यार पा कर..आज मन हो रही थी कि शादी के बाद हुई सारी घटना बता दूँ...पर इतनी खुशी में मेरी आवाजे ही नहीं निकल रही थी...अगर गॉड अगले जन्म का प्यार मुझे दे देते तो वो भी न्योछावर कर देती....और अंतत: मैं रो पड़ी, फिर हँसी और अपने होंठ चिपका दिए....
सच अब महसूस कर रही थी कि मैं सीधे दिल से किस कर रही हूँ...पहले तो ऐसी सुकून कभी नहीं मिली थी..
कूछ देर बाद जब किस रूकी तो श्याम मेरी तरफ निहारते हुए मुस्कुरा रहे थे...मैं उनकी तरफ देखीतो मुस्कुराए बिना ना रह सकी...
श्याम : "अच्छा मैडम जी, अब मैं सोने जा रहा हूँ...मैं गहरी नींद में सो जाऊंगा..फिर आप चुपके से अंदर आना और अंकल को उठा के इधर ले आना...ओके.." और फिर श्याम जाने के लिए हल्की सी जोर लगाते मुझे हटाने की कोशिश किए...
पर मैं उनकी बात सुनते ही उनके सीने पर हल्की चपत लगाते पुन: चिपक गई और बोली,"मुझे नहीं जाना अब कहीं..."
श्याम : "अच्छा तो फिर बुलाई क्यों उन्हें...और शाम से आप दोनों की नजरें ताड़ रहा था...दोनों की आँखें कह रही थी काफी दिनों से प्यासी हूँ...अब ये झूठे नखरे बंद करो..."
मैं कुछ देर बिना कुछ कहे मुस्कुराती रही...फिर बोली,"अंकल के साथ आज पहली दफा होगी...थोड़ी सी शर्म आती है इसलिए...."
मैं पूरी बात कह भी नहीं पाई कि बीच में श्याम रोकते हुए बोले,"रियली...वॉव...फिर तो अंकल किसी स्वर्ग से कम नहीं महसूस करेंगे...प्लीज हाँ कह दो...मैं भी थोड़ी लाइव देख लूंगा अपनी जान की...."
"प्लीज...अब ऐसी बातें मत करिए वर्ना फिर से रो पड़ूंगी..."मैं रोनी सूरत बनाते हुए बोली तो श्याम हंसते हुए सॉरी बोल पड़े...फिर गुड नाइट बोले और चल दिए...
एक कदम चलने के बाद अचानक ठिठके और वापस मुड़ गए...फिर आगे बढ़ते हुए सीधे पूजा के पास पहुँच गए...पूजा के बगल में बैठते हुए मेरी तरफ देख बोले,"पता नहीं क्या हो जाता है मुझे...बार-2 मैं अपनी इस गुड़िया जान को भूल जाता हूँ..."
"वो सो रही है अभी तो छोड़ दीजिए ना उसे...कल याद कर लीजिएगा अपनी गुड़िया को..." मैं झूठी झूठ बोल के देखी...मैं भी जानती थी कि पूजा हम दोनों की बातें सुन रही थी...अब पूरी सुनी या नहीं पता नहीं क्योंकि हमलोग धीमे बोल रहे थे...
श्याम मुस्कुराते हुए "अभी दिखाता हूँ कि ये कैसी सो रही है.." कहते हुए पूजा की बाँह पकड़े और औंधें मुँह कर सो रही पूजा को सीधे चित्त कर दिए...वॉव..ये तो सचमुच सोने का नाटक कर रही थी या सच में सो गई...कह नहीं सकती..
तभी श्याम ने पूजा की एक चुच्ची की निप्पल पकड़े और कस के उमेठ दिए...पूजा "ओह नो भैया" कहती हुई चीख पड़ी...चीख इतनी तेज नहीं थी कि कि आवाज रूम से बाहर निकलती...शायद पूजा अपनी चीख दबा दी थी...और फिर पूजा हँसती हुई अपने चेहरे को ढ़ंक ली...
फिर श्याम मेरी तरफ देख हंस पड़े...मानों कह रहे थे कि देखी, कितना सो रही थी...फिर आगे बढ़ पूजा के शरीर पर लद गए जिससे पूजा के चेहरे के ठीक सामने उनका चेहरा आ गया...फिर पूजा के हाथों को पकड़ दोनों तरफ कर बोले,"वाह मेरीशाली, रात में तो बड़ी मजे ले रही थी..अब जब मेरी बारी आई तो शर्माने की नाटक कर रही है..."
उनकी बात खत्म होते ही मैं बोल पड़ी,"ऐ...ये आपकी शाली कब से हुई...सेक्स अपनी जगह और रिलेशन अपनी जगह..समझे..."
श्याम : "आज से....क्योंकि तुम दोनों कहीं से भी ननद-भाभी नहीं लगती...बिल्कुल सगी बहन लगती...तुम किसी से भी पूछ लो..."
"अच्छाऽ तो जनाब यहाँ तक पहुँच गए...चलिए अब उठिए और जाइए सोने...बाकी बात कल कीजिएगा अपनी शाली से..."मैं समझ गई कि अब ये पूजा को तंग करेंगे उल्टी सीधी बोल के...
श्याम : "क्यों, ज्यादा खुजली हो रही है क्या अंदर जो अंकल के लिए उतावले हो रही हो.."
उफ्फ...क्या बोल दी...मैं थोड़ी नाराजगी में उनकी तरफ देखी और फिर बेड पर चढ़ सोती हुई बोली,"गुड नाइट..अब आप जितनी देर तक हो, आराम से बात करिए अपनी पूजा शाली से..." और मैं आँखें बंद कर सोने का नाटक करने लगी...
श्याम : " ओहो नाराज क्यों होती हो..जा रहा हूँ बाबा...बस पूजा को गुड नाइट किस करने आया था..."
और फिर किस करती हुई मालूम होते ही मैंने देखी तो दोनों आराम से किस कर रहे थे...कुछ देर किस करने के बाद श्याम मेरे चेहरे को अपनी तरफ कर गुड नाइट किस दिए और बोले,"आ जाना कुछ देर में...ओके..."
मैं मुस्कुराती हुई हाँ में सिर हिला दी...फिर पूजा की तरफ देखते बोले,"शाली जी, थोड़ा अपने जीजू के लिए भी बचा के रखिएगा...ओके..." जिसे सुन पूजा हँसती गुई अपनी आँख खोल दी...
फिर श्याम बेड से उतर गए और बाहर की तरफ चल दिए...तभी पूजा पीछे से बोली,"जीजू...."
पूजा की आवाज सुनते ही श्याम एकाएक रूक गए और मुस्कुराते हुए पीछे मुड़ र देखने लगे..उनके पीछे पलटते ही पूजा एक फ्लाइंग किस उनकी तरफ उछाल दी...श्याम कैच करते हुए अपने दिल से लगाए और फिर एक फ्लाइंग किस देते हुए बाहर निकल गए.
श्याम के जाते ही मैं पूजा पर चढ़ गई और उसके गाल काटती हुई बोली,"हाय मेरी बहना, ये क्या हो गया....हम लोग एक निवाला को तरस रहे थे, वहीं अब पूरी थाली मिल गई.."
पूजा चीखती हुई हंसी और बोली,"यस दीदी जी, अब तो बाहर भी मस्ती और अंदर भी..." फिर हम दोनों एक जोरदार किस किए...काफी देर बाद किस रूकी तो मैं उठी और बोली,"अब अपनी बूर की जुगाड़ कर के आती हूँ...तब तक तुम नंगी हो जा मेरी बुल्लो..."
पूजा ओके कहती हुई कपड़े खोलने लग गई और मैं बाहर दूसरे रूम की तरफ चल दी जहां मेरे पति के साथ अंकल सो रहे थे, उन्हें जगाने...
अंकल बेसुध हो पड़े लम्बी लम्बी खर्राटे भर रहे थे जबकि श्याम दूसरी तरफ मुँह किए सोने का नाटक कर रहे थे..मैंने धीमे से अंकल के पास बैठते हुए झुकी और अपने दांत अंकल के गालों पर भिड़ा दी...
श्याम अगर नहीं जानते तो मैं कभी हिम्मत नहीं करती ऐसा करने की, पर अब तो डर नाम की कोई चीज तो बची ही नहीं थी..मेरे दांत गड़ते ही अंकल हड़बड़ कर "कौन है" कहते हुए उठ बैठे...जिसे देख मैंने फौरन अपने हाथ अंकल के मुँह पर रख दी और बोली,"अंकल...मैं सीता. चलो उस रूम में.. "
अंकल मुझे देख हैरानी से उनकी आँखें फट गई..वे कभी सोए श्याम को देखते तो कभी मेरी तरफ...उन्हें ऐसा देख मैंने उनकी बाँह कस के पकड़ी और खींचते हुए इस रूम में ले आई...
रूम में आते ही मैं उनसे कस के लिपट गई और अपने होंठ उनके होंठ पर रखती बेतहाशा चूमने लगी...अंकल को कुछ समझ नहीं आ रही थी कि आखिर ये हो क्या रहा है..पर कब तक समझने की कोशिश करते...आखिर वे दिमाग चलाना छोड़ अपने जीभ मेरे मुँह के अंदर चलाने लगे...
तभी एक और जीभ मेरे गालों से सटती हम दोनों के होंठों के बीच आ गई..ये पूजा थी..अंकल ने पूजा को अपनी ओर भींच जगह दे दिए और अब हम तीनों अपनी - 2 जीभ टकरा के खेल रहे थे...
और अंकल के दोनों हाथ बारी-2 से हम दोनों की चुचिया मसल रहे थे...चुसाई के बीच चुची में हो रही दर्द से हम दोनों आनंदमयी मस्ती की गली में घूम रही थी...अचानक अंकल हम दोनों को अलग किये और अपने तन पर की एक-दो कपड़े खोल दिए...
बस फिर क्या था..अंकल के आदेश का इंतजार किए बिना ही मैं और पूजा एक-साथ नीचे उनके विशाल लंड की तरफ लपकी...सच काबिल-ए-तारीफ था अंकल का लंड..एकदम लोहे की तरह कड़क...ऊपर टमाटर इतनी बड़ी लाल सुपाड़ा...साइज करीब 9 इंच...
मैं हाथ में जैसी ही ली कि मेरी बुर से कामरस टपकने लगी..और मेरी जीभ से लार टपकने लगी...अनायासतः अंकल के हाथ मेरे सर को हल्के दबाव देने लगे...
बदले में मैं किसी चुम्बक की तरह लोहे की तरफ खिंचती चली गई और अब मेरे मुँह के अंदर गरम गरम रॉड समाई हुई थी...काफी उत्तेडक दृश्य थी...पूजा नीचे से आधे लंड को जीभ से सेवा दे रही थी और मैं जितनी तक हो सकी अंदर की हुई सेवा कर रही थी...
ऊपर अंकल आकाश की तरफ मुँह किए आहें भर रहे थे...काफी देर तक अंकल को हम दोनों एक पर एक तरीके से मुँह से सुख दे रहे थे...अब शायद अंकल की सहन शक्ति जवाब देने वाली थी...अचानक वे पूजा को एक तरफ कर दिए और मेरे बाल पकड़ कर तेज तेज शॉट मारने लगे...हचाक...हचाक की तेज आवाजों के साथ मेरी आँखें निकलने लगी और मेरी गले की नस नस खींचने लगी थी...
आँखों से आँसू की धार फूट कर बाहर निकलने लगी थी...पर अंकल इन सब चीजों को अनदेखा कर धमाधम मेरी होंठो को चीरते धमाका किए जा रहे थे...मेरे मुँह से ढ़ेर सारी लार बह कर नीचे मेरी पर्वतनुमा चुची से टपकती जमीन पर गिर रही थी और पसीने से नहा गई थी....
तभी अचानक से अंकल अपना लंड बाहर कर लिए और तेज साँसें लेने लगे और मेरी तो जान में जान आ गई...मैं सर नीचे कर हाँफ रही थी...कुछ देर बाद जब थोड़ी शांत हुई तो नजर ऊपर की तो उफ्फ्फ...अंकल का लंड को अब और विकराल लग रहा था...
अंकल अभी झड़े नहीं थे...शायद वो झड़ना नहीं चाहते थे तभी लंड बाहर कर लिए...वर्ना अगर दो धक्के भी और लगते तो वे झड़ जाते...बगल में पूजा अंकल से पूरी तरह वाकिफ अपनी टांगें चौड़ी किए बुर में अंगुली घुसा कर अंदर बाहर कर रही थी और चुची मसल रही थी...
फिर अंकल मुझे उठाए और बेड पर धक्का दे दिए..मैं गिर पड़ी पीछे की तरफ जिससे मेरी टांगे जमीन पर थी और मेरी भींगी हुई चूत बेड के किनारे पर ऊपर की तरफ थी...अंकल मेरे गिरने के साथ ही मुझ पर झुकने लगे और अगले ही पल उनका 9 इंची लंड सटाक से मेरी बुर में समा गया....
मैं "आहहहह श्याम..." करती चिल्ला पड़ी...जिससे डर के मारे अंकल मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिए...सच में इतनी देर से पानी में फूल रही लंड काफी मोटा हो गया था और एक ही बार में पूरा जाने से मेरी बुर तो फट ही गयी थी...मुझे तो अजीब लग रही थी कि लगातार लंड की साईज बढ़ती ही जा रही थी और पहली बार सबके साथ लगती आज ही मेरी सील टूटी है...
कुछ देर तक मेरी निप्पल को दांतों से कुरेद कर मेरी दर्द को कम करते रहे...जब कुछ दर्द कम हुई तो मैं नीचे अपनी बुर को ऊपर कर लंड की रगड़ पाने की कोशिश करने लगी..जिसे अंकल तुरंत समझ गए कि अब सब ठीक है, अब गाड़ी को बढ़ाना चाहिए..
फिर अंकल मेरी चुची पर एक लम्बे चुप्पे मारे और सीधे हो गए...वे इतनी सरलता से सीधे हुए कि उनका लंड आधी इंच भी बाहर नहीं निकली..पर पूरे खड़े नहीं हो पाए थे....
उन्होंने तकिया बगल से खींचा और पूजा की तरफ उछाल दिए...पूजा समझदारी दिखाई और तकिया लेती हुई मेरे निकट आई...तभी अंकल ने मेरी कमर को थोड़ा ऊपर किए..उसी समय पूजा तकिया मेरी गांडं के नीचे घुसा दी...
वॉव...अब अंकल बिल्कुल ही सीधे हो पा रहे थे. .और साथ ही मैं अपनी बुर में घुसे लंड को साफ देख रही थी...तभी अंकल मेरी कमर दोनों हाथों से जकड़ लिए जिससे उनके दोनों अँगूठे मेरी नाभी के पास मिल रही थी...
और फिर अपना लंड बाहर खींचना शुरू किए, जब सिर्फ सुपाड़ा निकलनी बची थी कि तभी रॉकेट की गति से वापस अंदर कर दिए...आउच्च्च...कितनी भयंकर थी ये प्रयोग...मैं कसमसा कर रह गई...
फिर ठीक उसी तरह हौले-2 बाहर निकालना और फिर तड़ाक से अंदर घुसेड़ देना...काफी असहनीय, पर लाजवाब थी मेरे लिए...मेरी बुर की नस नस बिखर जाती थी...ऐसी लग रही थी कि मेरी बुर कतरी जा रही है...
उनके तेज धक्के से मैं बार -2 पीछे की तरफ खिसक जाती थी...मेरी बुर से पानी की पतली धारें निकलनी शुरू हो चुकी थी..मैं आतुर हो गई थी अब लगातार ऐसी ही अपनी बुर को कतरवाऊं...
अंततः मैंने अपने पांवों को मोड़कर अंकल के चूतड़ को जकड़ ली ताकि ना फिसलूं अब...और साथ ही लंड को ज्यादा से ज्यादा अपनी चूत में कर सकूँ...मुझे ऐसा करते देख अंकल मुस्कुराते हुए पूजा की तरफ देखे और...
तभी पूजा झुकती हुई मेरी बुर के पास आई और अपनी जीभ लपलपाती हुई मेरी बुर पर रख दी..जिससे वो मेरी बुर के साथ-2 लंड का भी स्वाद चख रही थी...ऊपर पूजा के हाथ बढ़कर मेरी चुची को मसलने लगी...
और अंकल अपने काम में लग गए...वे धीरे-2 पर लगातार लंड मेरी बुर में चलाने लगे...जिसे पूजा बड़ी सफाई से अंकल के लंड का स्वाद चख रही थी...मैं इस दोहरी मार को नहीं झेल पा रही थी और सिसकी लेती हुई अपने सर बाएँ-दाएँ करने लगी...
कुछ ही पलों में अंकल की स्पीड काफी तेज हो गई....उनका लंड सटासट मेरी बुर को छलनी किए जा रहा था...बीच-2 में उनका लंड पूरा बाहर आ जाता तो अगला शॉट सीधा पूजा के गले में उतर जाती....
ओफ्फ...काफी उत्तेजक थी ये पोजीशन...मैं इस तरह की खेल में नई थी तो झेल नहीं पाई और नदी की बाँध टूट गई...जिसे पूजा कुतिया की तरह चट कर गई...पर अंकल की स्टेमिना लाजवाब थी..वो अब दुनिया से बेखबर लगातार मेरी धज्जियाँ उड़ा रहे थे...
अब तो वे जान बूझकर भी अपना लंड बाहर खींचकर पूजा के मुँह को बूर बना कर पेल देते...5 शॉट पूजा के मुख में तो 10 शॉट मेरी चूत पर लगती...तभी अंकल और जोर से शॉट लगाने लगे, शायद चरम सीमा की तरफ बढ़ रहे थे...
अंकल : "आहहहह...शाबासऽ मेरी पूजाऽ राण्डडडडडऽऽ...ऐसे ही अपने मुँह खोल के रखा कर कुतिया....ओहहहहह...याहहह..याह...याहहह....यस मेरी सीता रानीईईईऽ आज से तू भी मेरी रखैलऽलऽलऽलऽ... है शाली...."
मैं भी अब अपना नियंत्रण खो चुकी थी..अंकल के साथ मैं भी बड़बड़ाने लगी,"हाँ अंकअअलऽऽ मुझे अपनी रखैल बना लोओओओ....रण्डी हूँ आपकी.ई.ई.ई..आहहह याईईई...हाँ अंकललल...ऐसे ही...और जोर से चोदो अपनी कुतिया कोओओ...आहहह.."
इधर पूजा अपने भींगे चेहरे से लगातार मेरी चूत से निकल रही पानी को सोख रही थी...मेरे हाथ अब बढ़ के पूजा के बाल पकड़ कर अंदर बूर की तरफ धकेल रही थी और पूरे कमरे में मेरी और अंकल की चीखें गूँज रही थी...
एक बारगी मेरे मन में इच्छा हुई कि श्याम को देखूं...जरूर गेट पर छुप के देख रहे होंगे...पर आँखें खोली तो सामने अंकल का विशाल मांसल पेट नजर आया...फिर अपनी आँखें बंद कर मस्ती में श्याम को भुला खो गई...
तभी अंकल एक हुंकार से लबालब चीख मारी और बड़बड़ाते हुए मेरी बुर में अपना पानी डालने लगे...
अंकल: "ले रंडी, मेरे लंड का पानी अपनी बुर में लेएएएऽ..आहहहह..पहले तेरी सास की बुर में डालाआआआऽ...फिर तेरी ननद पूजा के बूर मेंऐऐएऽ...और अब तेरी बूर को भर रहा हूँ...आहहहह...आहहहह..."
मैं अंकल के साथ ही झड़ रही थी पर झड़ने से ज्यादा विचलित अपनी सास के बारे में सुन के हो गई थी...क्या अंकल सबको चोदते हैं....झड़ने के साथ ही अंकल मेरे शरीर पर औंधे मुँह लेट कर हाँफने लगे...मैं भी हांफती हुई अंकल को बांहों में भर ली...
कुछ देर बाद जब आँख खुली तो मेरी नजर सीधी गेट की तरफ गई जहाँ श्याम बिना हिचक के अंदर आ अपने लंड को मसलते बीवी को चुदते देख रहे थे...मेरी नजर मिलते ही वो मुस्कुराते हुए अपना अंगूठा ऊपर की तरफ करते हुए वापस सोने चले गए...ये देख मैं भी हौले से हँस पड़ी...
वापस पूजा की तरफ देखी तो वो लाल आँखें किए अंकल को घूरे जा रही थी...शायद मम्मी के बारे में सुन उसे भी शॉक लगी थी.
कुछ देर बाद जब अंकल साइड हुए तो पूजा को अपनी तरफ यूँ देख सकपका गए, पर जल्द ही माजरा समझ गए...फिर भी अंकल अनजान बन मुस्कुराते हुए पूछे,"क्या हुआ डियर?"
पर पूजा तो बस यूँ ही घूरे ही जा रही थी...मैं पूजा को ऐसे देख उठी और उसके बालों को सहलाती हुई बोली,"सॉरी पूजा, पर इसमें तुम्हारी गलती नहीं है..जैसे हम दोनों चाहते थे, शायद वैसे भी मम्मी जी भी चाहती हों...हाँ अंकल आपको ऐसे नहीं बोलना चाहिए था..."
अंकल: "क्यों? पूजा नहीं जानती है थोड़े ही...नाटक करती है तुम्हारे सामने...पता है दोनों माँ-बेटी को कई बार एक साथ चोद चुका हूँ पूछ इससे...अब अगर तुम भी जान गई तो इसमें प्रॉब्लम क्या है...वैसे इस घर की बात इसी घर में रहती हो, ये पूजा अच्छी तरह जानती है..और हाँ.. पूजा की बूर पेलते वक्त इसकी माँ बड़े ही मजे से मेरा लंड चूसती है, जैसे आज ये चूस रही थी..." और फिर अंकल पूजा की नंगी बूर पर अंगूली फेरने लगे...
मैं अंकल की बात सुनते ही शॉक हो गई कि ये क्या माजरा है...मेरे जेहन में एक डर समा गई कि कहीं मम्मी जी मेरे बारे में सुन....वो करते हैं वो अलग बात है पर मैं.....वो भी ससुर के साथ...मैं पूजा की तरफ देखती सोच में पड़ गई...
तभी अंकल बोले," तुम क्या सोच रही हो सीता....डरो मत वो ऐसा वैसा कुछ नहीं करेगी अगर जान गई तो...और हाँ तुम अब गाँव आएगी तो तेरी देखना तेरी सासू माता ही तुम्हारी बूर में लंड डालेगी...."
मैं ये सुनते ही शर्म से नीचे कर ली...उसी पल पूजा अंकल के सीने पर एक चपत लगाते हुए हँस पड़ी...जिससे अंकल भी हँस पड़े...मैं उन दोनों को हंसते देख नजरे ऊपर की तो मेरी नजर सीधा अंकल के लंड पर पड़ी जो हॉट बातें सुन अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी...
खड़े लंड को देखते ही मेरी बुर में हरकत होनी लगी और ललचाई नजरों से अपनी जीभ फेरने लगी होंठो पर...अंकल की नजर मुझ पर पड़ते ही उन्होंने अपना पंजा मेरे गालों पर रख अंगूठा मेरे होंठ पर रख दिए...मैं तुरंत ही आँखें बंद करती अँगूठे को लंड समझ अंदर की और चुसने लगी...
अंकल: "एक बात तो है पूजा,आज तक मैंने ना जाने कितनी रण्डियाँ चोदी है, पर इसके जैसी गरम रण्डी आज तक नहीं मिली..." और तभी अंकल एक झटके से अपना अंगूठा खींच लिए जिससे मैं नशीली और प्यासी नजरों से अंकल की तरफ देखने लगी...
अंकल तभी घुटनों के बल खड़े होते हुए बोले,"चल, कुतिया बन जा मादरचोद..." और मैं सुनते ही किसी दासी की तरह फौरन कुतिया बन गई और अपनी गाँड़ अंकल के लंड की तरफ कर दी...
अगले ही पल अंकल का लंड मेरे गांड़ों के छेद पर महसूस हुई...मैं सिहरती हुईअपनी आँखें भींचती हुई दांत पीस ली अगली वार को सोच कर...
और पूजा आगे बढ़ झुकी और मेरी मुंह में अंगुली डाल निप्पल को अपने मुंह से चूसने लगी...कि तभी एक जोरदार धक्के लगे...मेरी चीख गूँजने से पहले ही पूजा के हाथ मेरे मुंह सील दिए...अंकल जड़ तक लंड पेले मेरी चूतड़ को थपथपा रहे थे...मेरे आँसूं बेड पर बह रही थी...
कुछ पल तक अंकल स्थिर रहे, फिर लगे पेलने...और मेरी बुर से भी बदतर हाल 5 मिनट में ही कर दिए...और फिर कुछ देर बाद तेज धक्के लगाते हुए अपना लंड की टोटी खोल मेरी गांड़ को भरने लगे....
फिर अंकल जैसे ही लंड बाहर खींचे, मैं धम्म सी बेड पर बेहोश गिर पड़ी...अंकल कुछ देर बाद आराम किए फिर पूजा की भी मस्ती में दमदार चुदाई किए...मैं कुछ देर बाद उठी और उन दोनों की हेल्प की, जैसे पूजा कर रही थी...पूजा की भी बूर-गांड़ की अच्छी धुलाई किए अंकल ने....सुबह 4 बज गए गए थे चुदाई करते-करते...
फिर अंकल वापस अपने कपड़े ले श्याम के पास सोने चले गए...जबकि कुछ ही पल में पूजा नंगी ही नींद की आगोश में समा गई...कुछ ही देर में सुबह होने वाली थी या यूँ कहिए सुबह हो गई थी...
मैंने दिन में ही सोने की सोच बाथरूम की तरफ नंगी ही चल दी.
फ्रेश होने के बाद पूजा के रूम में कपड़े पहनने आई...साड़ी उठाई कि मेरी नजर पूजा की एक समीज सलवार पर गई जो क्रीम कलर थी और झीनी सी थी...पूजा ये सूट अब केवल घर पर ही पहनती थी...कॉलेज या कहीं जाती तो चुस्त कपड़े पहनती थी...
मैंने साड़ी वहीं रख सूट-सलवार निकाली..फिर पेन्टी पहनते हुए सलवार डाल के नाड़ा कसने लगी..काफी ज्यादा दिक्कत नहीं हुई पहनने में क्योंकि सलवार अक्सर बड़ी ही रहती है जिसे नाड़े से सही जगह एडजस्ट कर बाँधनी होती है...
दिक्कत थी तो समीज में...दिखने से ही काफी तंग लग रही थी...2 साल पुरानी थी,,,गांव में थी तभी अंकल ही दिए थे पर वहाँ भी ज्यादा नहीं पहन पाई थी...एक या दो बार ही पहनी थी, वो भी शादी में ही...
खैर मैं कुछ सोची फिर सर के ऊपर से डालने लगी...उफ्फ..सच में कितनी कसी थी....मुश्किल से पर आराम-2 पहन ही ली...ओफ्फो, मेरी तो पूरी बॉडी ही बँध गई थी...इतनी चुस्त थी कि अगर थोड़ी अंगराई भी लेती तो फट जाती...
खैर, पहनने के बाद शीशे के पास खड़ी हुई तो ओह गॉड...मेरी चुची इतनी भयंकर लग रही थी कि मैं खुद शॉक रह गई...एकदम बड़ी नींबू की तरह गोल शेप में आ गई थी..और मेरी भूरे रंग की निप्पल साफ झलक रही थी...
मेरे हाथ अनायास ही चुची पर चली गई...और फिर हाथों को ऊपर से हल्की दबाती हुई फिसलाने लगी...कुछ ही पलों में दोनों निप्पल कड़क हो गई और समीज को फाड़ने आतुर होने लगी...मैं मुस्कुराती हुई दोनों को चुटकी से मसल दी जिससे मैं तड़प कर सिसक दी...
मन ही मन सोच ली कि अब दोनों लंड वालों के सामने ऐसे ही जाऊंगी...फिर उनका हरकत देखूंगी...खासकर अंकल का कि उनमें कितनी हिम्मत है...फिर मैंने घड़ी पर नजर डाली तो अभी 5 बजे थे...अचानक कुछ याद पड़ते हीमेरे चेहरे की लाली बढ़ गई...
और फिर गेट के पास टंगी चाभी ली और बाहर ऐसे ही निकल गई...कैम्पस के मेन गेट खोली और दो कदम बाहर निकल सड़क पर नजरें दौड़ाने लगी..कहीं किसी का अता पता नहीं था...मैं वापस अंदर आई और मेन गेट को दो इंच के करीब खुली छोड़ फ्लैट की तरफ बढ़ गई...
अंदर आते ही पहले तो श्याम को देखने गई, जहाँ दोनों गहरी नीं में पड़े हुए थे...फिर दूसरे रूम में पूजा पर बाहर से ही परदा हटा झाँकी तो पूजा नंगी एक पतली जादर ओढ़े लुढ़की पड़ी थी...मैं वापस मुड़ पास रखी कुर्सी पर बैठ गई और रात की बातें याद कर सोच में डूब गई...
अचानक बजी बेल से मैं चौंकती हुई उठ खड़ी हुई...फिर गलियारे की तरफ मुड़नी चाही जहाँ से बेल बजने पर पहले मेन गेट पर देखती थी..पर रूक गई और फिर फ्लैट के गेट की तरफ कदम बढ़ा गेट खोली...सामने दूधवाला खड़ा था...
मैं गेट खुली छोड़ किचन में वापस आई और बर्तन ले दूधवाले के पास जाकर खड़ी हो गई..वो तो मुझे छोड़, मेरी चुची को मुंह फाड़े घूरे जा रहा था...मैं भी अंदर से मुस्काती हुई खड़ी हो उसके तरफ देखने लगी...कुछ पलों के बाद जब उसकी नजर मेरी नजर से टकराई तो वो सकपका सा गया...
पर मुझे मुस्कुराते देख वो भी हंस पड़ा...फिर बिना कुछ कहे नीचे दूध के केन में अपनी लीटर वाला बर्तन डाल दिया...फिर थोड़ा ऊपर होते हुए बोला,"नीचे झुक के लो मैडम वरना जमीन पर गिर जाएगा..." मैं उसकी तरफ देख हल्की मुस्कान लाती हुई अंदर से होंठों पर हल्की जीभ चलाती हुई झुक गई...
और बर्तन उसके केन के पास कर दी...झुकने से चुची दिखने वाली ढ़ीली समीज तो पहनी नहीं थी जो ये झुकने बोला...पर झुकने पर जो चुची जमीन पर गिरती प्रतीत होती है, वो मर्दों को ज्यादा लुभाते हैं...शायद इसी वजह से कहा होगा...
मैं और अपनी चुची को नीचे करने के ख्याल से कुछ ज्यादा नीचे हो गई, जिससे मेरा चेहरा ठीक उसके लंड के सामने पहुंच गया..मैं एक नजर डाली तो लंड धोती में ही ठुमके लगा रहा था..मैं मंद मंद हंस पड़ी....
तभी वो मेरी बर्तन में दूध उड़ेलने लगा...जैसे ही दूध पूरा डाला उसने अपना दूसरा हाथ मेरे सर पर रख हल्का दवाब देने लगा..मैं आश्चर्यचकित रह गई, फिर सोची थोड़ी देर और देखना चाहता है शायद...मैं बिना जोर किए हाथ में दूध लिए झुकी रही...
तभी उसने दूध मापने वाला हाथ मेरे सर पर रख दिया और वो हाथ हटा लिया...उस मापक से दूध की बूँदे मेरे बाल और पीठ पर पड़ने लगी...अचानक से अपना धोती में हाथ डाला और अगले ही पल उसका काला लौड़ा मेरे होंठो से टकराने लगा....
"चूससससऽ लो मैडम...आज के लिए एकदम ताजा है...."दूधवाले सित्कारते हुए अपना लंड धकेलते हुए बोला...और अब उसने एक हाथ नीचे से गर्दन पर रख दिया और दूसरा हाथ तो ऊपर से जकड़े हुए था ही...मेरे हाथों में दूध से भरी बर्तन थी जिससे मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी...
अगर दूध छोड़ती तो दोहरी नुकसान झेलनी पड़ती...क्योंकि लंड तो अब जाता ही मुंह में...मैं दूध के बर्तन पर पकड़ अच्छी से बनाई और साँस रोकती हुई लंड के लिए हल्की जगह दे दी..
पर इस हल्की जगह अगले ही पल बड़ी जगह में बदल गई और पूरा का पूरा लंड मेरे गले में उतर गया...मैं तड़पती हुई पीछे होनी चाही पर हो ना सकी..हाँ वो जरूर समझ गया जिससे अपना लंड हल्का पीछे खींच लिया...
मैं थोड़ी राहत की साँस ली..पर ज्यादा नहीं ले पाई..अगले ही पल दुबारा पेल दिया था..नैं हिचक पड़ी...पर मानने वाले था नहीं...छेद मिलते ही लंड पत्थर समान पत्थरदिल जो हो जाता है...वो इसी तरह हल्के-2 मगर तगड़ा शॉट लगाए जा रहा था...
कुछ ही देर में मेरी लार में सनी उसके लंड के प्रीकम बाहर टपकने लगी जो सीधी नीचे दूध में गिर रही थी...पर अब इस बात की खबर ना हमें थी और ना उसे...मेरी चूत भी गरम हो कर पिघलने लगी थी...
तभी उसने दोनों हाथ हटा लिए और मेरी बड़ी सी शेप लिए चुची को पकड़ लिया...अब चाहती तो पीछे हट सकती थी पर हट ना सकी...ऐसे पोजीशन में चुची पर पकड़ भी ढ़ंग से नहीं बन पाती है...
शांत मुद्रा में अपना मुंह खोली झुकी चुची रगड़वाते लंड खा रही थी वो भी दूधवाले का....वो अब दनादन मेरे मुखद्वार में अपना खूँटा गाड़े जा रहा था...दूध में गिर रही रस की मात्रा भी बढ़ रही थी...
करीब दस मिनट तक यूँ ही झुकी रही और वो पेलता रहा...अगर वो चाहता तो इतनी देर में चूत भी बजा सकता था पर नहीं...शायद धीरे धीरे बढ़ना चाहता हो...तभी एक करारा शॉट लगा और वो दांत भींचते हुए कांपने लगा...
उसके लंड ने फव्वारे छोड़ने शुरू कर दिए थे...इधर मेरी चूत भी नदी बहा दी....उसका लंडरस सीधा मेरे पेट में गिर रहा था...कुछ देर तक यूँ ही रूका रहा...फिर शांत हुआ तो वो अपना लंड बाहर खींचने लगा...
बाहर निकलने के क्रम में सॉलिड वीर्य की कुछ मात्रा नीचे टप्प की आवाज से दूध में गिरी...जिसे हम दोनों की हल्की हंसी निकल पड़ी..फिर मैं सीधी हुई...
वो भी अपना लंड धोती से ही पोंछा और अंदर छुपाते हुए बोला,"आज का दूध में ज्यादा विटामिन है मैडम...ऐसा दूध एक महीने तक लेगी तो पूरी फैमिली तंदुरूस्त हो जाओगी..." और फिर वो हंसने लगा...
मैं भी मुस्कुराती हुई बोली,"सांड़ कहीं का., ऐसे कोई करता है क्या? कोई देख लेता तो..." पर वो मेरी बात का जवाब दिए बिना ही हंसता हुआ दूध का के उठाया और नीचे चल पड़ा...मैं भी वापस किचन की तरफ चल दी...
किचन में दूध रखते ही गेट पर नॉक हुई...गेट बंद भी नहीं की थी...अब क्या लेने आया है? मैं ऐसे ही बड़बड़ाती गेट की तरफ चल दी...जैसे ही गेट पर खड़े व्यक्ति पर नजर गई कि मैं हड़बड़ाती हुई रूम में भागी दुपट्टा लेने...
मकान मालिक खड़े थे बाहर...उनका नाम तो नहीं जानती थी पर पहचानती थी..दुपट्टे को सीने पर रखी और चेहरे को साफ करती हुई वापस गेट पर आई और बोली,"नमस्ते जी.."
उनकी उम्र कोई 35 के आसपास थी...ज्यादा मोटे नहीं थे पर भरा हुआ शरीर था...बाल गोल्डेन कलर की थी और मूंछें तो सफाचट ही थी...निकर और टीशर्ट पहने हुए थे...शायद मॉर्निंग वॉक गए थे...और वो कुछ ही दूर आगे वाले घर में रहते थे...
मकान मालिक: "नमस्ते, वो मेन गेट रात में खुला छोड़ दिए थे क्या?" मैं उनकी बात सुनते ही ना में सिर हिला दी..जिससे उनके चेहरे पर आश्चर्य की लकीरें साफ उभर आई...फिर बोले,"दूधवाला को अभी यहाँ से ही निकलते देखा तो उससे पूछा..तो वो आपका ही नाम बताया कि यहां सिर्फ आप ही दूध लेते हैं तो...."
आगे उनको बीच में ही रोकती हुई बोली,"हाँ...दरअसल आज कुछ जल्दी नींद खुल गई तो नीचे टहलने गई थी और वापस आते वक्त गेट खोल दी थी..."
मकान मालिक: "ओह..फिर ठीक है पर एक बात का ख्याल रखिएगा..अंदर ऐसे लोगों को मत आने दीजिएगा..यही सब घर में गैरमौजूदगी का फायदा उठा लेते हैं...सब कुछ तो अंदर आ मुआयना कर ही लेते हैं, फिर बस मौके की तलाश में रहते हैं...बात को समझ रहे हैं ना.."
मैं उनकी बात समझ हाँ में सिर हिला दी...तभी वो मेरे चेहरे की तरफ आगे बढ़ काफी निकट आ खड़े हो गए, फिर मेरे एक तरफ झुक अंदर देखने लगे...मैं कुछ नहीं समझ पा रही थी कि अब क्या देख रहे हैं...
अंदर देखने के बाद वो फिर सीधे हुए और अगले ही क्षण अपनी एक अंगुली मेरी होंठ पर घिसते हुए हटा लिए...मैं हैरानी से पीछे हटती उन्हें देखने लगी...और फिर वो उसी अंगुली को अपनी नाक से सूंघे, ओह कहते हुए अपनी अंगुली तुरंत ही हटा लिए...
अब मैं सोच में पड़ गई कि क्या कर रहे हैं? यही सोच अपनी अंगुली जब होंठ पर लाई तो कुछ चिपचिपा महसूस हुआ...ओह गॉड...मर गई...मैं वापस मुड़ी ही थी कि उसने मेरी बाँह पकड़ हमें रोक दिए...
और फिर अपनी वही अंगुली एक ही झटके में मेरे मुँह में डालते हुए नजदीक सटते हुए बोले,"आज पहली बार है इसलिए वार्निंग दे रहा हूँ बस...अगर आगे से ऐसी घिनौनी हरकत की तो सीधा घर से बाहर...ये कोई रंडीखाना नहीं, मेरा घर है...और बाहर करने से पहले तेरा वो हश्र करूंगा कि जिंदगी भर हमें याद रखोगी...समझी..."
और फिर अंगुली मेरे मुँह से निकाल मेरी दोनों चुची के बीच की दरार में घुसा पोंछने लगे समीज में...मैं चौंक कर रह गई.. और फिर बाहर की तरफ खींच अंगुली नीचे एक चुची पर होते हुए सरका दिए... जिससे मेरी चुची पूरी तरह दब गई...मेरे मुंह से हल्की आह निकल गई....फिर वो मुझे ऊपर से नीचे एक बार घूरे और वापस निकल गए...
उफ्फ...ये क्या मुसीबत आ गई...अगर श्याम से शिकायत कर दिए तो वो गुस्से से बौखला जाएंगे...उन्होंने मस्ती की प्रमीशन दिए थे, ना कि इज्जत कबाड़ा करने की...मन ही मन सोच भी ली थी कि आज से ऐरे-गैरे से तौबा...
मैं गेट बंद कर वापस गलियारे की तरफ बढ़ गई जहाँ से सड़क साफ दिखती है.
सड़क पर नजर दौड़ाई तो वे जा रहे थे...कुछ देर तक रूकी रही...तभी वे अचानक मेरे फ्लैट की तरफ पलटे..मेरी नजर मिलते ही मैंने झट से अपने दोनों हाथों से कान पकड़ माफी मांगने लगी...पर वो बिना कोई जवाब दिए वापस मुड़ चलते रहे...
आँखों से ओझल होने के बाद मैं भी वापस आ गई....चाय बना कर सभी को जगाती हुई दी..फिर मैं किचन में घुस गई...श्याम मुझे देखे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया...अंकल भी काफी मेहनत से खुद पर कंट्रोल कर रहे थे...
श्याम नाश्ता करने के बाद रूम में जाते ही मुझे आवाज दिए...मैं अंदर ही अंदर समझ गई थी क्यों बुला रहे हैं..बाहर निकली तो देखी अंकल नहीं है और बाथरूम से पानी की आवाजें आ रही है...मैं मुस्काती हुई अंदर गई...
"आउच्च्च्च्च....छोड़ो ना..क्या कर रहे हैं..."अंदर घुसते ही श्याम मुझे कस के दबोच लिए जिससे मैं उछल पड़ी...पर वो हंसते हुए मेरे गाल काटे जा रहे थे...कितनी भी कोशिश कर ली पर श्याम रूके तो अपनी मर्जी से ही...
श्याम: "गजब की माल लग रही हो डॉर्लिंग...जब से देखा हूँ तब से पप्पू खड़ा ही है...पता नहीं आज दिन भर कैसे रोकूंगा...वैसे मेरे जाने के बाद अंकल तुझे नहीं छोड़ने वाले.."
मैं भला क्या बोलती...बस हंस दी..फिर बोली,"वैसे आप अपने पप्पू का क्या करेंगे आज दिन भर...कहो तो जब तक अंकल अंदर हैं तो शांत कर दूँ.." और अपनी जीभ अपने होंठो पर फेर कर इशारा कर दी कि कैसे शांत करूंगी....
श्याम: "थैंक्स जान, पर लेट हो रहा हूँ वर्ना...वैसे जुगाड़ कर लूंगा मैं...अब चलता हूँ..." कहते हुए गुडबाय किस करते हुए मेरे होंठ से चिपक गए...कुछ देर बाद किस टूटी तो वे अलग होते हुए अपना बैग उठाते हुए बोले,"जान, आज नाइट शो चलेंगे मूवी देखने...तुम दोनों तैयार हो के रहना..."
मैं उनकी बात सुनते ही खुश होते हुए बोली,"थैंक्यू जान, जरूर रहूंगी..पर हाँ बाहर अपने पप्पू की सेवा ज्यादा मत करवाना, मेरे लिए भी बचा के रखना..."
श्याम: "ओके पर आज के लिए सॉरी...कोई ना कोई रंडी जरूर चोदूंगा...तुम हाल ही ऐसी कर दी...पर तुम टेंशन मत लेना,,तुम्हारे लिए तो ये हर वक्त तैयार रहता है..."कहते हुए श्याम बाहर की तरफ निकल गए...पीछे से मुस्कुराती हुई बॉय बोल जल्दी आने कही...
कुछ ही देर में किचन का काम तमाम कर मैं अपने बेडरूम में आ गई..तभी बाथरूम से अंकल तौलिया में निकले और सीधे मेरे पास आ गए...आते ही तौलिया दूसरी तरफ फेंके और अपना लंड मेरे होंठ के पास रख दिए...
मैं हंसती हुई अंकल की आँखों में देखती चूसने लगी..अंकल की आहह निकल पड़ी...आखिर काफी देर से इंतजार में जो थे...तभी अंकल मेरे बालों पर हाथ फेरते हुए बोले,"सीता,आज शाम को फ्री हो क्या?"
"मैं तो फ्री ही रहती हूँ अंकल..." मैं लंड को हाथ से पकड़ बाहर निकालते हुए जवाब दी और वापस मुंह में डाल चूसने लगे...फिर अंकल बेड पर बैठ गए और मुझे जमीन पर बैठा सर पर हाथ फेरते हुए लंड चुसवाने लगे...
अंकल: "दरअसल आज एक नई गाड़ी लेने जा रहा हूँ...वो अब पुरानी हो गई है तो उसे गांव में दे दूँगा किसी को चलाने...तो आज शाम हम दोनों अकेले घूमने कहीं जाएंगे,थोड़ी पार्टी करेंगे और फिर रात साथ गुजारेंगे हम और सुबह तुम्हें छोड़ देंगे...श्याम को कह देंगे कि एक पार्टी में गए थे,,लेट होने की वजह से रूक गए थे...चलोगी..."
वॉव, मैं तो अंदर ही अंदर काफी खुश हो गई थी...वैसे श्याम मना तो नहीं करते पर इनसे पहले वो ऑफर कर चुके थे मूवी चलने की...सो उन्हें मना नहीं नहीं कर सकती थी...मैं पुनः लंड को हाथ से हिलाती हुई बोली,"थैंक्स अंकल, पर वो क्या है ना..अभी श्याम बोल के गए हैं कि शाम में मूवी चलेंगे सो प्लीज फिर कभी...उन्हें ना नहीं कर सकती..."
अपनी बात कहने के बाद मैं अंकल की ओर देखने लगी...फिर अंकल मेरे सर को पीछे से पकड़ लंड की ओर धकेल दिए, जिससे मेरे मुंह में पुनः लंड समा गई...
अंकल: "ओके जानू, कोई बात नहीं...हम अगले दिन चले जाएंगे..ओके..." अंकल की बात का जवाब मैं तेजी से लंड को चूस कर दे दी..जिससे अंकल की साँसे अब तेज होने लग गई..
फिर कोई बात नहीं हुई...कोई 5 मिनट बाद अंकल तेज आवाज किए और पूरा पानी मुझे पिला दिए..मैं चटकारे लेती लंड के अंदर बाहर सारा पानी चट कर गई...फिर अंकल मेरी चुची पर किस किए और चलने की बात कह कपड़े पहनने लगे...
मैं उनके लिए खाना लगा दी...अंकल तैयार हो कर नाश्ता किए और बॉय बोल निकल गए..फिर मैं भी खाना खाई और पूजा के रूम की तरफ चल दी..पूजा की नींद मेरी आवाज से जैसे ही खुली वो मुझ पर टूट गई...
काफी देर तक किस के बाद मैंने शाम में मूवी चलने की बात बताई, जिसे सुन वो भी काफी खुश हुई..फिर फ्रेश हो खाना खाई और हम दोनों साथ आराम करने एक-दूसरे को बांहों में समेट सो गई..
शाम में श्याम जल्दी ही आ गए...फिर हम दोनों तैयार हुए और निकल पड़े श्याम के साथ..खाना बाहर ही खाते...और आज पूजा के साथ मैं जींस-टीशर्ट पहनी थी..वो भी श्याम के कहने पर...
हम दोनों हल्की मेकअप ली थी रात की वजह से...कैम्पस के बाहर सड़क पर एक 4- व्हीलर लगी थी...जिसे देख मैं श्याम की ओर देखते हुए निगाहों से सवाल कर ली...वो बिना कुछ बोले हां में कहते हुए बैठने का इशारा कर दिए...
मैं और पूजा पीछे बैठी और श्याम आगे...फिर गाड़ी चल पड़ी...मामूली सी नौकरी की बदौलत फिलहाल अपनी तो सोच ही नहीं सकती थी...शायद श्याम हमें भाड़े की ही सही पर ढ़ेर सारी प्यार निछावर कर रहे थे ऐसे बाहर ले जाकर...
कुछ ही देर में हम सब एक अच्छे से रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी थी...हम तीनों अंदर गए और एक कोने में बनी केबिन में घुस गई...अगले ही क्षण एक स्टाप आया और ऑर्डर ले कर चला गया...मैंने समय देखी तो 7 बज रहे थे...मूवी 8 बजे से शुरू होती है..
करीब आधी खाना खाने के बाद श्याम बाहर की तरफ झाँकें, और फिर सीधे होते हुए तेजी से अपनी जेब से एक दारू की छोटी बोतल निकाले और जल्दी से तीनों ग्लास में उड़ेल दिए...एक ही बार में पूरी समाप्त...वापस खाली बोतल पॉकेट में...
श्याम: "यहाँ अलॉव नहीं है पर मैं जब भी आता हूँ तो अक्सर ऐसे ही मार लेता हूँ...अब जल्दी से तुम दोनों उठाओ....."कहते हुए श्याम अपनी ग्लास उठा लिए...मैं और पूजा एक-दूसरे को देख दबी हंसी हंस दी और फुर्ती से गिलास उठा गटकने लगी...
पैग लगाने से मेरी नसों में खून दौड़ने लगी थी...और फिर खाना खाने लगे...खाना जब खत्म हुई तो हाथ मुंह साफ करने के बाद जब बाहर निकल समय देखी तो ओह गॉड 8:30 बज रहे थे...
"पूजा,साढ़े बज गए...अब मूवी कैसे जाएंगे..."मैं बगल में खड़ी पूजा से बोली जबकि श्याम अभी काउन्टर पर बिल दे रहे थे..पूजा मेरी बात सुनते ही चौंक पड़ी...
पूजा: "क्या...? ये जीजू भी ना...थोड़ी सी पीने चक्कर में सारा मजा किरकिरा कर दिए...यू नो दीदी...मैं क्या-2 सोच के रखी थी कि अंदर जीजू से ये करूंगी,वो करूंगी...कितना मजा आता सैकड़ों पब्लिक के बीच में कर रही होती...ओफ्फ.."
"आने दो फिर पूछती हूँ...जब केवल खाना ही खिलानी थी तो मूवी का बहाना क्यों किए..."मैं भी गुस्से में आती हुई बोली...तभी सामने श्याम आते हुए दिखे...जैसे ही पास आए मैं गुस्से से सवालों की झड़ी लगा दी...बीच-2 में पूजा भी सपोर्ट कर रही थी...
श्याम कुछ बोले बिना मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखे जा रहे थे...जिससे मैं और आग बबूला हो बोली,"ओ हैलो मिस्टर, अभी आप अपने प्यार को अपने पास ही रखिए...बाद में दिखाइएगा...चलिए घर अब..."
और मैं भड़कती हुई पूजा के हाथ पकड़ बाहर कुछ मीटर दूर सड़क की तरफ मुड़ गई...इतने में ही श्याम तेजी से हम दोनों के आगे आ खड़े होते हुए बोले,"सॉरी डिअर, मेरा इरादा ऐसी बेहूदा हरकत की बिल्कुल नहीं थी...पर पीने बाद खाने की रफ्तार धीमी हो गई और समय मालूम ही नहीं पड़ी..."
मैं उनकी बात सुन मुँह बिचकाती हुई उन्हें क्रॉस कर बगल से आगे निकल गई..पर एक बार फिर श्याम हम दोनों के सामने खड़े थे...
श्याम: "जानू, मेरे दिमाग में एक मस्त आइडिया है जो मूवी से भी मस्त मजा देगी..कहो तो सु...." आगे कुछ कहते कि बीच में ही पूजा रोकती हुई बोली,"जरूरत नहीं जीजू...आप अपनी आइडिया अपने गांड़ में रख लो...बॉय..आपको चलनी है तो मेरे पीछे आ जाओ..."
पूजा की बात सुन मैं हंसना चाहती थी जोर की पर चोरी से ही मुस्कुरा कर रह गई...और पूजा के खिंचने से आगे सड़क किनारे तक आ पहुँची...अब बस किसी ऑटो का इंतजार कर रही थी...तब तक श्याम पुनः आगे आते हुए बोले,"ओए होए मेरी तीखी मिर्ची शाली साहिबा...आपकी अदा तो गुस्से में और कयामत बरपाती है...मन तो होती है यहीं पटक के चोद दूँ..."
पूजा गुस्से में आँख लाल पीली करती बोली,"ओके, जींस खोल रही हूँ...मुझे चुदनी है यहाँ सबके सामने..." और फिर पूजा अपनी जींस की बटन खोलने लगी...मैं देखी तो तेजी से पूजा की हाथ पकड़ खींच ली...
आसपास नजर दौड़ाई कि कोई देख तो नहीं रहा..पर यहाँ सब अपने में मस्त था...तभी मेरी नजर सामने एक छोटी सी पान की दुकान पर गई जहाँ से एक आदमी लगातार घूरे जा रहा था...मेरी नजर उससे मिलते ही वो गंदी सी हंसी हंस पड़ा....
मैं उससे नजर हटा श्याम की तरफ देखते हुए बोली,"आपको चलना है या नहीं...अगर नहीं जाना तो प्लीज हमें जाने दीजिए...यहां सब देख रहे हैं..."
मेरी बात सुनते ही श्याम मेरी तरफ आगे बढ़े और बोले,"शाली साहिबा की खुजली मिटाए बिना थोड़े ही जाऊंगा...कुछ ही दूर आगे रेड लाइट एरिया है...चलो वहीं जा के पेलता हूँ तुम दोनों को...सोचो जब तुम कोठे पर चुदेगी तो कैसा फील करोगी...बिल्कुल रंडी की तरह...बोलो पसंद है आइडिया...वहां एक कोठे मालकिन से जान पहचान है, वो कमरा दे देगी..."
एकदम धाँसू...मेरी तो सुन के ही बूर में सनसनी की लहर दौड़ गई...मन ही मन गाली दे रही थी शाले पहले क्यों नहीं बताया... मैं तो तैयार थी...बस पूजा की हाँ जानने उसकी तरफ देखने लगी...पूजा भी रेडी ही थी मुझे मालूम थी पर फिर भी पूछनी जरूरी थी..पूजा की आँखें चमकने लगी थी रजामंदी में पर बोली कुछ नहीं...




हम दोनों को यूँ घूरते देख श्याम बीच में हल्के से टोकते हुए बोले,"चलो रण्डियों, अपने कर्म-स्थल पर..."जिससे हम दोनों एक साथ उनकी तरफ देख हौले से मुस्कुरा दी, जिसके जवाब में वो भी मुस्कुराते हुए आगे की तरफ बढ़ गए...
हम दोनों भी खुशी-खुशी चल पड़ी...तभी पूजा हौले से मेरे कान में बोली,"अच्छा हुआ जो मूवी छूट गई...क्यों?" मैं पूजा की बात सुनते ही हँसते हुए उसकी तरफ देख हाँ में मूंडी हिला दी...तभी पता नहीं क्या सूझी पीछे की तरफ पलटी...


ओह नो...वो पान की गुमटी पर खड़ा व्यक्ति कुछ ही दूरी पर पीछे पीछे चला आ रहा था...मैं पूजा को बिना कुछ बताए आगे बढ़ श्याम के ठीक बगल में हो गई..फिर श्याम से नजरें मिलाती साथ साथ मुस्कुरा दिए...
श्याम किसी को फोन कर रहे थे, पता नबीं किसे...शायद कोठे मालकिन...ओफ्फ...मैं भी ना...किसी दूसरे को भी तो कर सकते हैं ना..पर इस वक्त तो नहीं कर सकते हैं दूसरे को....
श्याम: "राम-राम आंटी जी,क्या हाल है?" तभी श्याम फोन पर बोल दिए..ये तो आंटी को ही कर रहे थे...मैं उनकी तरफ नजर डाली तो वे हमारी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...
श्याम: "अपना भी ठीक है आंटी, बस एक छोटा सा मदद चाहिए आंटी अभी.."
श्याम कान में ही फोन सटा कर बात कर थे जिससे मैं उधर की आवाजें नहीं सुन रही थी...
श्याम: " आंटी एक रूम चाहिए अभी...दो मस्त लौंडिया हाथ लगी है.." श्याम की बात सुनते ही मैं और पूजा एक साथ मुस्कुरा पड़ी...इसकी वजह थी वो छुपा रहे थे कि मैं उनकी बीवी और पूजा बहन थी...
श्याम: "नहीं आंटी लोकल नहीं है...बाहर से आई है...और कल चली जाएगी..आप तो जानती ही है कि मुझे चोदने का कितना शौक है...और लोकल में तो सब को कर ही चुका हूँ...तो सोचा...."
हम्म्म...जनाब तो एक दम तेज दिमाग लगा दिए थे...अब शायद हम दोनों को भी इस बनावटी हालात को मैनेज करनी होगी आंटी के सामने...मैं और पूजा एक-दूसरे को ताकते हुए फैसला भी कर ली थी स्थिति को मैनेज करने की...
श्याम: "अच्छा आंटी 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ..फिर बात करते हैं...बॉय.." और फिर श्याम फोन रख दिए...फोन रखते ही श्याम हँस पड़े जिससे हम दोनों भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई...
तभी श्याम की नजर एक शोरूम पर पड़ी..वे हम दोनों को उधर चलने कह बढ़ गए..ये रेडिमेड कपड़ो की बड़ी सी शोरूम थी..हम तीनों अंदर पहुँचे...कस्टमर एक भी नहीं थे..यानि ये भी कुछ देर में बंद होने वाली थी..
श्याम काउंटर के पास जाते ही हेडस्कॉर्फ दिखाने बोले...हम्म्म..समझ गई...ताकि कोई पहचान ना ले दूसरे दिन हमें...कई तरह की हेडस्कॉर्फ सामने बिखेर दिया उसने...हम दोनों ने एक काली और एक पिंक आसमानी कलर की चूज की और अपने चेहरे ढ़क ली...श्याम बिल पे किए और बाहर निकल गए...
बाहर आते ही मेरी नजर उस आदमी को ढूढ़ने लगी जो कुछ देर पहले पीछा कर रहा था...पर वो दूर दूर तक नदारद था..चलो अच्छा हुआ पीछा छूटा कमबख्त से...ख्वामोखाह परेशानी में डाल रहा था...
करीब पाँच मिनट के बाद हम सब एक गली की तरफ मुड़ गए जो गुप्प अँधेरा था...आगे कुछ दूरी पर एक घर में जल रही लाइट से हल्की रोशनी सड़को पर पड़ रही थी पर वो उतनी तेज नहीं थी कि साफ साफ कुछ दिखाई दे सके...
उस घर के समीप पहुँचते ही मेरी नजर उधर घूम गई, पर वहाँ बिल्कुल सन्नाटा था...घर भी कोई खंडहर लग रही थी...बस लाइट की वजह से ही समझ सकती थी कि कोई रहता है...खैर इन बातों को पीछे छोड़ आगे चल पड़ी...
डर भी लग रही थी इस वीरानी अँधेरे से...कुछ दूर और चली तो श्याम बाएँ की ओर मुड़ गए...हम्म्म...सामने काफी दूर तक सड़क नजर आई अब...सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तो दिख रही थी पर जल एक भी नहीं रही थी...वो तो हर घर से निकल रही रोशनी सड़कों पर हल्की उजाला ला रही थी....
हाँ जहाँ मुड़ी वहाँ की जरूर जल रही थी जिसके नीचे खड़े 4 लोग आपस में बात कर रहे थे...तभी उनमें से एक बोला,"ऐ हिरो... रूक.."
मैं और पूजा तो बक सी रह गई और झट से रूक गई...जबकि श्याम बिल्कुल ही निडर बन आराम से रूकते हुए उसगी तरफ बढ़ गए...मैं कुछ अनहोनी की डर से श्याम को रोकना चाहती थी पर वो तब तक वो उसके सामने जाते हुए कड़क आवाज में पूछे,"क्या बात है?"
तभी उनमें से एक बोला," कहाँ से लाए दोनों को...जरा देखूँ तो कौन है..." कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ा जिससे श्याम तुरंत ही अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा रोकते हुए बोले,"देखने से पहले ये जान तो ले कि ये किस कोठे की है...फिर देख लेना इसकी सूरत..."
वो रूकता हुआ श्याम की घूरता हुआ पूछा,"कहां की है.." तभी श्याम खिसक के उसके ठीक सामने जाते हुए दांत पीसते हुए बोले,"तुम सबकी नानी शबनम आंटी की है ये.." फिर क्या...इतना सुनते ही उसके चेहरे की रंगत हवा हो गई और वो पीछे हो गया बिना कुछ आवाज किए....
जिसे देख श्याम हल्के से मुस्कुराए और फिर हम दोनों को इशारा कर चल दिए...हम दोनों भी तेजी से मुड़ते श्याम के बगल में हो गई..फिर श्याम से बोली,"अगर कोई पुलिस वाला रहता तो... श्याम मेरी डर को भांपते हुए नजर घुमाते हुए बोले,"जानू, ये शबनम आंटी के डर से पुलिस क्या, कोई एस.पी. भी इधर आने से डरता है...इसकी एक वजह है आंटी समय पर उसका हिस्सा पहुंचा देती और दूसरी यहाँ का सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी से आंटी की जान पहचान..."
हम्म्म्म...मतलब पावरफूल हैं आंटी...मैं उनकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाई या कुछ और पूछ नहीं पाई...तभी मेरी नजर दोनों तरफ से आ रही रोशनी का पीछा करने लगी..घर अधिकतर दो मंजिला थी...
कुछ पुरानी तो कुछ ठीक ठाक...और सब घरों में कुछ औरतें अपनी खुली जिस्म लिए बैठी थी...एक-दो की तो आवाज भी सुनाई पड़ी.."आ जाओ साब, आपकी उस दोनों से ज्यादा मजे दूँगी और पैसे भी कम लगेंगे...आ जा..."
पर श्याम बिना उसकी तरफ देखे बढ़े जा रहे थे...कुछ औरतें जो मालकिन टाइप लग रही थी वो गौर से हम दोनों की तरफ घूरे जा रही थी..शायद पहचानने की कोशिश कर रही थी...तभी श्याम एक तीन मंजिले घर की तरफ रूख कर दिए...
ये भी तो उतनी ढ़ंग की नहीं थी...पर हाँ खंडहर बिल्कुल नहीं लगती थी...गेट पर खड़े दो मर्द बिल्कुल पहलवान की तरह खड़े थे...वो श्याम को देखते ही बोला,"क्या साब, क्या हाल है..."
श्याम मुस्काते हुए बोले,"एकदम झकास उस्मान भाई..." तभी उनमें से दूसरा बोल पड़ा,"भाई, आज तो छोकरी साथ लाए हो...कहाँ की है..." जिसे सुन श्याम रूके और फिर कुछ सोचते हुए हम दोनों की तरफ की आए...अपना हाथ बढ़ा एक झटके में हेडस्कार्फ खींच दिए...
श्याम: "पहचानो तो..." वे दोनों एक टक पहचानने की बजाए भूखी नजरों से घूरने लगे...मैं ज्यादा देर तक नजरे नहीं मिला पाई उससे..तो नजरें आगे की तरफ कर दी..आँखें चुराती तो समझ जाते की ये रंडी नहीं है...फिर कुछ देर बाद श्याम बोले...
श्याम: "उस्मान भाई...ये बाहर की लौंडिया है..खास अपने लिए बुलाया हूँ और सोचा आंटी को भी दिखा दूँ ताकि वो भी ऐसी कड़क माल रखें..." जिसे सुन दोनों हकलाते हुए हाँ में हाँ मिला दिए, पर कुछ बोल ना सके...
फिर श्याम को कुछ शरारत सूझी..वो मेरी बांह पकड़े और उससे सटाते हुए बोले,"छू कर देख लो उस्मान भाई...एकदम घरेलू माल है...बिल्कुल आपकी पसंद की है...एक दिन आंटी से छुट्टी ले कर फुर्सत में रहना...बुलवा दूंगा खास आपके लिए...आप आधे पैसे दे देना...बस...."
उफ्फफ...क्या तगड़ा था वो...सटते ही उसने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कस लिया अपने से...लुंगी में से उसका धारदार लंड सीधा मेरी जींस को फाड़ती चुत तक पहुंच गई...और उससे भी ज्यादा उत्तेजित तो इस बात से हो गई कि कैसे मेरे पति मुझे रंडी बना कर पराये मर्द को सौंप दिए...
अचानक उसने अपना हाथ मेरी गर्दन पर रख हौले से नीचे करने लगा..मेरी तो हालत खराब हो गई खुरदुरे हाथ की छुअन पा कर...मैं अपनी बंद होती आँखें खोलने की कोशिश करने लगी जो मदहोशी से बंद हो रही थी...ऐसे में मैं बिल्कुल नशीली लग रही थी...
तभी मेरी चुची को कुछ रगड़न महसूस हुई...क्या ये मेरी चुची....ओह नो...तभी उसकी उंगली मेरी टी-शर्ट के गले पर महसूस हुई...ये क्या...जब उंगली ऊपर ही है तो अंदर क्या डाल दिया इसने जो रगड़ती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही है...
मैंने काफी कोशिश कर आँखें नीचे कर अपनी चुची पर की...ओह..ये तो मेरी टी-शर्ट के अंदर घुसी मंगल सूत्र को बाहर खींच रहा था..तभी उसने मंगलसूत्र पूरी बाहर कर मेरी दोनों चुची के बीच रख मेरी चुची दबा दिया...
मैं सिहर सी गई इस चुभन से...तभी उसने मुझे पलट मेरी गांड़ पर अपना लंड चिपका दिया और अपना हाथ मेरी चुची के ठीक निचले हिस्से पर रखते हुए बोला,"साब, अब देखो...एकदम मेरे ख्यालों वाली..."
मैं उसके सीने से चिपकी श्याम की तरफ देख मुस्कुराने लगी..जबकि पूजा को वो दूसरा आदमी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल देख रहा था...श्याम की नजर मुझ पर पड़ते ही मवो मुस्कुरा कर वाव कह पड़े...
उस्मान: "साब, अब ले जाओ दोनों को वरना आप का पैसा बरबाद हो जाएगा...पूरी रात छोड़ूंगा नहीं इसे..."कहते हुए उसने मुझे श्याम की तरफ धकेल दिया..मैं सीधी श्याम के बांहों में आ गई...श्याम हंसते हुए ओके कहे और पूजा को चलने बोले...
पूजा पूरे मस्त हो गई थी पर मजबूरी थी छोड़ने की, मेरी हालत भी बिगड़ ही चुकी थी...मन मसोस कर वो अलग हुई और धीरे से उस आदमी के होंठ पर किस कर अलग हो गई बिल्कुल रंडी की तरह जो कहीं नहीं शरमाती...
फिर श्याम के हाथों से हेडस्कॉर्फ ली और उनके साथ सीढ़ी की तरफ चल दी...सीढ़ी चढ़ते जब वापस उस्मान की तरफ देखी तो मेरी हंसी निकल पड़ी..वो दोनों अपना-2 लंड बाहर निकाल हिला रहा था...मुझे हंसते देख पूजा भी पलट गई...
पूजा के पलटते ही वो दोनों अब हमारी तरफ घूर रहे थे...जिसे देख पूजा एक फ्लाइंग किस दोनों तरफ उछाल दी..जिससे वो कराहते हुए अपना पानी छोड़ दिए...फिर हम दोनों आगे की तरफ भागती हुई चढ़ने लगी.. मैं और पूजा कुछ ही पलों में आंटी के सामने खड़ी थी...आंटी एक बहुत ही गद्देदार डबल बेड पर दीवाल के सहारे बैठी पान चबा रही थी...उनका रौबदार चेहरा देखते ही हम दोनों एक-दूसरे का हाथ डर से पकड़ लिए...
श्याम जाते ही आंटी के बगल में लगी कुरसी पर बैठ गए...मेरी नजर तभी दूसरी तरफ गई जहाँ बेंच पर दो लड़की बैठी थी...बिल्कुल बदसूरत...शायद इसलिए दोनों अभी तक बैठी ही थी...
"ऐ छोकरी, जा के उधर बैठ ना..." आंटी हम दोनों को उसी बेंच पर बैठी लड़की की ओर इशारा करती हुई बोली...जितना दिखने में भयानक लग रही थी, उयये भी डरावनी तो उनकी आवाज थी...पलक झपकते ही हम दोनों उन दो लड़कियों के बगल में थी...
उफ्फफ...कितनी गंदी परिवेश में रहती है ये दोनों...मैं एक नजर बगल में बैठी दोनों लड़की पर डाली,फिर सीधी हो आंटी की तरफ देखने लगी...श्याम के साथ वो हंस हंस के पहले तो हाल समाचार पूछी... शायद श्याम भी कई दिनों बाद आए थे...
फिर हम दोनों की तरफ इशारा करती हुई पूछी,"कहां से फंसा के लाए इन दोनों चिड़िया को..दिखने में तो सुंदर है..लगती नहीं कि कहीं कोठे पर रहती है..." श्याम आंटी की बात सुन हम दोनों की तरफ मुड़ कर देखने लगे...
श्याम: "बिल्कुल सही आंटी...ये कोठे पर नहीं रहती...ये एक होटल के सम्पर्क रहती है...फिर आपकी मर्जी आप होटल में करें या फिर अपने घर बुला ले...बंगाल की है दोनों...वहां एक दोस्त की दोस्ती उसी होटल वाले से है तो उसी ने भिजवाया है..सुबह चली जाएगी..."
आंटी: "ओहो...तो ये बात है...हाई प्रोफाइल है..." कहती हुई आंटी मुस्कुरा पड़ी जिसके साथ श्याम भी हंस पड़े...हम दोनों अपने बारे में ऐसी बाते सुन काफी कसमसा रही थी...बूर में खुजली काफी बढ़ गई थी...
तभी आंटी हम दोनों को अपनी तरफ आने का इशारा की...थोड़ी डर लगी कि पता नहीं क्यों बुला रही है...पर बिना कोई सवाल किए उनके सामने जा कर खड़ी हो गई...
आंटी: "देख,पैसे तो मिल ही गई है तो मैं कह रही थी कि अब इतनी दूर आ ही गई हो तो कुछ मजे भी ले लो...आज मेरे कोठे की रंडी के परिवेश में चुदवा ले...काफी मजा आएगा...और दिन तो जींस पहन के चुदती ही,आज नया करने का मौका मिला तो इसका भी मजा ले लो..."
मैं आंटी की बात से भौचक रह गई और पूजा की तरफ देखने लगी...पर पूजा को जैसे ये मंजूर थी...वो बस मुस्कुरा रही थी...
"तुम्हें कोई दिक्कत है क्या..." तभी आंटी की तेज आवाज मेरे कानों में गूँजी, जिससे मैं हड़बड़ती हुई नहीं में मुंडी हिला...तब आंटी "हम्म्म" करती हुई मुझे ऊपर से नीचे तक देखी...
"ऐ झुनकी,जा इन दोनों को अंदर ले जा और वो कपड़े दे देना...जा पहन के आ जा..."आंटी सामने बैठी एक लड़की को बोलती हम दोनों को जाने कह दी...वो लड़की उठी तो हम दोनों उसके पीछे हो लिए...
अंदर की रूम कुछ ही दूर गलियारे क्रॉस कर थी...इन गलियारे से गुजरते जब दूसरे रूम के गेट के पास से गुजरती तो अंदर से चुदाई की आवाज साफ सुनाई पड़ रही थी...कुछ के तो गेट भी खुली थी जिससे अंदर हो रही चुदाई साफ दिख रही थी....
अंदर पहुंचते ही झुनकी ने दो ड्रेस सामने आलमारी में से निकाल कर दे दी...मैंने ड्रेस उठाई...ड्रेस देखते ही मेरी भौंह सिकुड़ गई..एकदम मैली-कुचली छोटी सी चोली और घुटने तक ही आने वाली छोटी सी घांघरा..वापस रख टी-शर्ट जींस खोलने लगी...
मैं और पूजा कुछ ही पलों में एकदम नंगी खड़ी थी...सामने एक अंजान लड़की थी,जिसकी परवाह किए बिना ही नंगी हो गई...अब तो जब तक यहां हूँ,शर्म को सोच भी नहीं सकती थी...मैंने घांघरे पहनती हुई झुनकी से पूछी,"आज तुम खाली ही हो क्या...?"
झुनकी: "हाँ, शाला अपुन की फेस मर्द लोग को पसंद ही नहीं आती...देर रात तक अगर कोई आ जाता है तो खाने के पैसे मिल जाते हैं, नहीं तो भूखा ही रहना पड़ता...आज भी लगभग यही हालत है..."
मैं उसकी बात सुन थोड़ी भावुक जरूर हो गई, पर बिना कुछ बोले अपने काम में लग गई...चोली तो इतनी तंग आ रही थी कि मानों सीने की हड्डी टूट रही हो...और आधी चुची तो बाहर ही निकली थी...पूजा की भी यही हालत थी....
जींस टीशर्ट वहीं पर तह लगा कर रख दी और झुनकी को चलने की बोल दी...झुनकी के साथ हम दोनों बाहर की तरफ निकल गई...काफी अजीब लग रही थी ऐसे कपड़ों में...खुद को नंगी ही महसूस कर रही थी..
कुछ ही देर में हम सब आंटी के करीब थी..जहाँ श्याम के साथ एक और व्यक्ति बैठा था..मैं तो शर्म से लाल हो गई अंदर ही अंदर. जिसे बाहर नहीं निकलने दी...वो भी हिष्ट-पुष्ट शरीर वाला था श्याम की तरह पर रंग का पूरा काला था...
मैं उस पर एक नजर डाली और फिर सीधी उसी बेंच पर आ बैठ गई एक रंडी की तरह...तभी उस काले की नजर हम पर पड़ी...वो एकटक देखता ही रह गया...उसके मुख से वाह निकल पड़ी...
"वॉव आंटी,क्या माल मंगाई हो...आंटी इसी में एक को दे दो आज...मजा आ जाएगा..." वो काले हम दोनों की आधी नंगी चुची को देख जीभ फेरता हुआ बोला...जबकि श्याम भी हम दोनों को ऐसे रूप में देख अपने लंड पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे.. आंटी: "अए-हए ठिकेदार साहब...पानी निकल गया क्या...पूरे 3 हजार लेती है एक...चाहिए तो रूपए दो मेरी कमिशन सहित और ले जाओ किसी एक को...काहे कि एक तो श्याम ले जा रहा है...दोनों ले जाता ये पर तुम बोल दिए तो नाराज नहीं करूंगी तुम्हें..."
ये क्या..सौदा भी होने लग गई...मैं और पूजा एक दूसर को देख श्याम की तरफ देखी...हम दोनों हैरान थी...यहाँ सिर्फ श्याम के साथ करने आई थी पर यहाँ तो सच की रंडी बन गई..श्याम हम दोनों की तरफ देखते हुए आंटी से बोले....
श्याम: "आंटी, एकदम सही बोली..जैसा मैं,वैसा ये...ये भी चाहते हैं इनमें से ही एक को तो जरूर दो...वैसे ठिकेदार साहब, मैं इन दोनों को सिर्फ अपने लिए मंगाया था...पर अब आप भी कह रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं हमें...पसंद कर लो कोई..."
मतलब श्याम भी चाहते थे पूरे मजे देने और लेने की...हम दोनों श्याम की बात सुन सोची जब इन्हें कोई दिक्कत ही नहीं तो मैं क्यों ज्यादा सोचूं...हाँ, अब नए लंड चखना किसके नसीब में है, वो देखना शेष है...
तब तक वो काला तेजी से हम दोनों के पास आ गया..फिर उसने एक साथ हम दोनों को खड़ा किया और ऊपर से नीचे तक शरीर के एक-एक अंग को गौर करने लगा कि कौन बेस्ट है...वह हम दोनों को देख गोल गोल चक्कर लगाने लगाने...
एक चक्कर लगाने के बाद वो हंसता हुआ बोला,"यार कुछ समझ ही नहीं आता कि कौन बेस्ट है..." जिस पर आंटी और श्याम हंस पड़े...हम दोनों की भी मुस्कानें आ गई होठों पर...तभी आंटी बोली,"अरे तो ज्यादा क्या सोचता है...कोई एक ले ले..."
तभी वो हम दोनों के बीच में घुसा और अंतिम बार एक-एक नजर हम दोनों पर डाला और मेरे कंधों पर हाथ रख सीधा एक चुच्ची को मुट्ठी में कसता आगे बढ़ श्याम के पास रूकते हुए बोला,"दोस्त,मैं इसे ले जा रहा हूँ..तुम उसे ले जाओ...काफी मुश्किल है इन दोनों में से एक को चूज करना..."
श्याम ओके कहते हुए उठे और पूजा को भी ठीक मेरी तरह चुची पकड़ कंधे पर हाथ रख ले आए...
आंटी: "ऊपर एक कमरा खाली है कोने वाली...उसी में चले जाओ दोनों...और सब तो बुक है..."
श्याम: "फिर तो और मजा आएगा आंटी...एक ही कमरे में...मन हुआ तो अदल बदल कर लूंगा...हा..हा..हा..." और फिर सब हंस पड़े..हम दोनों भी हल्की दबी हंसी हंस दी....
कुछ ही देर में हम दोनों अपनी चुचियाँ मसलवाते रूम में घुस गए...रूम में आते ही श्याम पूजा को स्मूच किस करने लगे...जिसे देख मैं गरम हो अपने पार्टनर की तरफ देखने लगी...
"ओए, ये क्या कर रहा है...ये सब रण्डियाँ पता नहीं कैसा-कैसा लण्ड अपने मुंह में लेती है और तुम इसे किस कर रहे हो...संभल के करो यार..कहीं कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे..."तभी काले आदमी श्याम को टोकते हुए बोला...हम दोनों तो गस्से से लाल हो गई पर क्या कर सकती थी...अगर डगह दूसरी होती तो इसे पास फटकने भ नहीं देती...
श्याम किस रोकते हुए बोले,"क्या बोलते हो यार...ये औरों की तरह गंवार रंडी लगती है क्या जो खुद को ढ़ंग से साफ भी नहीं रखती...ये शिक्षित हैं जनाब जो इंफेक्शन का पूरा ख्याल करती है और उससे हर वक्त बची रहती है...तभी तो इतने पैसे दिए हैं कि हर तरह से मजे लूँ...यहाँ की रंडी की तरह नहीं जिसे सिर्फ चोदो वो भी कंडोम लगा के...समझा कुछ..."
श्याम की बात उसे बड़ी तेजी से समझ आ गई और बिना कोई जवाब दिए अपना कड़क होंठ मेरे नर्म होंठो पर रख दिया..ओफ्फ्फ...कितनी खुरदुरी लग रही थी..मैं इस खुरदुरेपन से तुरंत ही अपनी बूर से पानी छोड़ने लगी...
कुछ ही पलों में मेरी चोली खुल गई और नंगी चुची उसके हाथों में समा गई...वो पूरी दरिंदगी से चुची मसलता हुआ मेरे होंठ को तरबतर कर रहा था...
कोई 5 मिनट तक चुसाई रगड़ाई करने के बाद वो किस तोड़ते हुए बोला,"मादरचोद, मेरा लंड दर्द करने लगा...पहले इसका दर्द कम करो चूस के...फिर किस करते हुए चोदूंगा.." और उसने तेजी से अपने कपड़े खोल कर फेंक दिए...
इस बीच मेरी नजर पूजा की तरफ गई जहाँ वो दोनों अभी भी किस में डूबे हुए थे...पर अब वो बेड पर थे लेटे...पूजा की भी चुची नंगी थी जिसे श्याम मसले जा रहे थे...अगले ही पल अचानक मेरे बाल जोर से नीचे की तरफ खिंची और मैं चीखती हुई धम्म से नीचे बैठ गई...
मेरी चीख से श्याम और पूजा अचानक ही किस तोड़ते हुए मेरी तरफ देखे..तब तक काले आदमी का कोयलों से भी काली और धनुषाकार विकराल लंड मेरी गोरी-चिट्टी मुंह में अकड़ने लगी...मैं अपनी मुंह को आगे पीछे कर इस टेढ़े लंड को एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी...
मेरे मुंह में लंड को देख पूजा उठी और एक ही प्रयास में अपने भैया का पूरा लंड गटक गई...और फिर अपने मुख से अपने भैया के लंड की सेवा में जुट गई...
तभी इधर इस काले ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ा और मेरी मुंह में ही कस कस रे धक्के लगाने लगा और ढ़ेर सारी गंदी गंदी गाली सुनाने लगा...बगल में पति के सामने गाली सुन मैं काफी गरम हो गई और गूं गूं की आवाज तेज कर दी ताकि श्याम भी सुने कि उनकी बीवी आज रंडी बन के चुद रही है कोठे पर... 
   श्याम: "राम-राम आंटी जी,क्या हाल है?" तभी श्याम फोन पर बोल दिए..ये तो आंटी को ही कर रहे थे...मैं उनकी तरफ नजर डाली तो वे हमारी तरफ ही देख मुस्कुरा रहे थे...
श्याम: "अपना भी ठीक है आंटी, बस एक छोटा सा मदद चाहिए आंटी अभी.."
श्याम कान में ही फोन सटा कर बात कर थे जिससे मैं उधर की आवाजें नहीं सुन रही थी...

श्याम: " आंटी एक रूम चाहिए अभी...दो मस्त लौंडिया हाथ लगी है.." श्याम की बात सुनते ही मैं और पूजा एक साथ मुस्कुरा पड़ी...इसकी वजह थी वो छुपा रहे थे कि मैं उनकी बीवी और पूजा बहन थी...

श्याम: "नहीं आंटी लोकल नहीं है...बाहर से आई है...और कल चली जाएगी..आप तो जानती ही है कि मुझे चोदने का कितना शौक है...और लोकल में तो सब को कर ही चुका हूँ...तो सोचा...."

हम्म्म...जनाब तो एक दम तेज दिमाग लगा दिए थे...अब शायद हम दोनों को भी इस बनावटी हालात को मैनेज करनी होगी आंटी के सामने...मैं और पूजा एक-दूसरे को ताकते हुए फैसला भी कर ली थी स्थिति को मैनेज करने की...

श्याम: "अच्छा आंटी 10 मिनट में पहुँच रहा हूँ..फिर बात करते हैं...बॉय.." और फिर श्याम फोन रख दिए...फोन रखते ही श्याम हँस पड़े जिससे हम दोनों भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई...

तभी श्याम की नजर एक शोरूम पर पड़ी..वे हम दोनों को उधर चलने कह बढ़ गए..ये रेडिमेड कपड़ो की बड़ी सी शोरूम थी..हम तीनों अंदर पहुँचे...कस्टमर एक भी नहीं थे..यानि ये भी कुछ देर में बंद होने वाली थी..

श्याम काउंटर के पास जाते ही हेडस्कॉर्फ दिखाने बोले...हम्म्म..समझ गई...ताकि कोई पहचान ना ले दूसरे दिन हमें...कई तरह की हेडस्कॉर्फ सामने बिखेर दिया उसने...हम दोनों ने एक काली और एक पिंक आसमानी कलर की चूज की और अपने चेहरे ढ़क ली...श्याम बिल पे किए और बाहर निकल गए...

बाहर आते ही मेरी नजर उस आदमी को ढूढ़ने लगी जो कुछ देर पहले पीछा कर रहा था...पर वो दूर दूर तक नदारद था..चलो अच्छा हुआ पीछा छूटा कमबख्त से...ख्वामोखाह परेशानी में डाल रहा था...

करीब पाँच मिनट के बाद हम सब एक गली की तरफ मुड़ गए जो गुप्प अँधेरा था...आगे कुछ दूरी पर एक घर में जल रही लाइट से हल्की रोशनी सड़को पर पड़ रही थी पर वो उतनी तेज नहीं थी कि साफ साफ कुछ दिखाई दे सके...

उस घर के समीप पहुँचते ही मेरी नजर उधर घूम गई, पर वहाँ बिल्कुल सन्नाटा था...घर भी कोई खंडहर लग रही थी...बस लाइट की वजह से ही समझ सकती थी कि कोई रहता है...खैर इन बातों को पीछे छोड़ आगे चल पड़ी...

डर भी लग रही थी इस वीरानी अँधेरे से...कुछ दूर और चली तो श्याम बाएँ की ओर मुड़ गए...हम्म्म...सामने काफी दूर तक सड़क नजर आई अब...सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तो दिख रही थी पर जल एक भी नहीं रही थी...वो तो हर घर से निकल रही रोशनी सड़कों पर हल्की उजाला ला रही थी....

हाँ जहाँ मुड़ी वहाँ की जरूर जल रही थी जिसके नीचे खड़े 4 लोग आपस में बात कर रहे थे...तभी उनमें से एक बोला,"ऐ हिरो... रूक.."

मैं और पूजा तो बक सी रह गई और झट से रूक गई...जबकि श्याम बिल्कुल ही निडर बन आराम से रूकते हुए उसगी तरफ बढ़ गए...मैं कुछ अनहोनी की डर से श्याम को रोकना चाहती थी पर वो तब तक वो उसके सामने जाते हुए कड़क आवाज में पूछे,"क्या बात है?"

तभी उनमें से एक बोला," कहाँ से लाए दोनों को...जरा देखूँ तो कौन है..." कहते हुए वो मेरी तरफ बढ़ा जिससे श्याम तुरंत ही अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा रोकते हुए बोले,"देखने से पहले ये जान तो ले कि ये किस कोठे की है...फिर देख लेना इसकी सूरत..."

वो रूकता हुआ श्याम की घूरता हुआ पूछा,"कहां की है.." तभी श्याम खिसक के उसके ठीक सामने जाते हुए दांत पीसते हुए बोले,"तुम सबकी नानी शबनम आंटी की है ये.." फिर क्या...इतना सुनते ही उसके चेहरे की रंगत हवा हो गई और वो पीछे हो गया बिना कुछ आवाज किए....

जिसे देख श्याम हल्के से मुस्कुराए और फिर हम दोनों को इशारा कर चल दिए...हम दोनों भी तेजी से मुड़ते श्याम के बगल में हो गई..फिर श्याम से बोली,"अगर कोई पुलिस वाला रहता तो..."
श्याम मेरी डर को भांपते हुए नजर घुमाते हुए बोले,"जानू, ये शबनम आंटी के डर से पुलिस क्या, कोई एस.पी. भी इधर आने से डरता है...इसकी एक वजह है आंटी समय पर उसका हिस्सा पहुंचा देती और दूसरी यहाँ का सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी से आंटी की जान पहचान..."

हम्म्म्म...मतलब पावरफूल हैं आंटी...मैं उनकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाई या कुछ और पूछ नहीं पाई...तभी मेरी नजर दोनों तरफ से आ रही रोशनी का पीछा करने लगी..घर अधिकतर दो मंजिला थी...

कुछ पुरानी तो कुछ ठीक ठाक...और सब घरों में कुछ औरतें अपनी खुली जिस्म लिए बैठी थी...एक-दो की तो आवाज भी सुनाई पड़ी.."आ जाओ साब, आपकी उस दोनों से ज्यादा मजे दूँगी और पैसे भी कम लगेंगे...आ जा..."

पर श्याम बिना उसकी तरफ देखे बढ़े जा रहे थे...कुछ औरतें जो मालकिन टाइप लग रही थी वो गौर से हम दोनों की तरफ घूरे जा रही थी..शायद पहचानने की कोशिश कर रही थी...तभी श्याम एक तीन मंजिले घर की तरफ रूख कर दिए...

ये भी तो उतनी ढ़ंग की नहीं थी...पर हाँ खंडहर बिल्कुल नहीं लगती थी...गेट पर खड़े दो मर्द बिल्कुल पहलवान की तरह खड़े थे...वो श्याम को देखते ही बोला,"क्या साब, क्या हाल है..."

श्याम मुस्काते हुए बोले,"एकदम झकास उस्मान भाई..." तभी उनमें से दूसरा बोल पड़ा,"भाई, आज तो छोकरी साथ लाए हो...कहाँ की है..." जिसे सुन श्याम रूके और फिर कुछ सोचते हुए हम दोनों की तरफ की आए...अपना हाथ बढ़ा एक झटके में हेडस्कार्फ खींच दिए...

श्याम: "पहचानो तो..." वे दोनों एक टक पहचानने की बजाए भूखी नजरों से घूरने लगे...मैं ज्यादा देर तक नजरे नहीं मिला पाई उससे..तो नजरें आगे की तरफ कर दी..आँखें चुराती तो समझ जाते की ये रंडी नहीं है...फिर कुछ देर बाद श्याम बोले...

श्याम: "उस्मान भाई...ये बाहर की लौंडिया है..खास अपने लिए बुलाया हूँ और सोचा आंटी को भी दिखा दूँ ताकि वो भी ऐसी कड़क माल रखें..." जिसे सुन दोनों हकलाते हुए हाँ में हाँ मिला दिए, पर कुछ बोल ना सके...

फिर श्याम को कुछ शरारत सूझी..वो मेरी बांह पकड़े और उससे सटाते हुए बोले,"छू कर देख लो उस्मान भाई...एकदम घरेलू माल है...बिल्कुल आपकी पसंद की है...एक दिन आंटी से छुट्टी ले कर फुर्सत में रहना...बुलवा दूंगा खास आपके लिए...आप आधे पैसे दे देना...बस...."

उफ्फफ...क्या तगड़ा था वो...सटते ही उसने अपना हाथ मेरी कमर पर रख कस लिया अपने से...लुंगी में से उसका धारदार लंड सीधा मेरी जींस को फाड़ती चुत तक पहुंच गई...और उससे भी ज्यादा उत्तेजित तो इस बात से हो गई कि कैसे मेरे पति मुझे रंडी बना कर पराये मर्द को सौंप दिए...

अचानक उसने अपना हाथ मेरी गर्दन पर रख हौले से नीचे करने लगा..मेरी तो हालत खराब हो गई खुरदुरे हाथ की छुअन पा कर...मैं अपनी बंद होती आँखें खोलने की कोशिश करने लगी जो मदहोशी से बंद हो रही थी...ऐसे में मैं बिल्कुल नशीली लग रही थी...

तभी मेरी चुची को कुछ रगड़न महसूस हुई...क्या ये मेरी चुची....ओह नो...तभी उसकी उंगली मेरी टी-शर्ट के गले पर महसूस हुई...ये क्या...जब उंगली ऊपर ही है तो अंदर क्या डाल दिया इसने जो रगड़ती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही है...

मैंने काफी कोशिश कर आँखें नीचे कर अपनी चुची पर की...ओह..ये तो मेरी टी-शर्ट के अंदर घुसी मंगल सूत्र को बाहर खींच रहा था..तभी उसने मंगलसूत्र पूरी बाहर कर मेरी दोनों चुची के बीच रख मेरी चुची दबा दिया...

मैं सिहर सी गई इस चुभन से...तभी उसने मुझे पलट मेरी गांड़ पर अपना लंड चिपका दिया और अपना हाथ मेरी चुची के ठीक निचले हिस्से पर रखते हुए बोला,"साब, अब देखो...एकदम मेरे ख्यालों वाली..."

मैं उसके सीने से चिपकी श्याम की तरफ देख मुस्कुराने लगी..जबकि पूजा को वो दूसरा आदमी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल देख रहा था...श्याम की नजर मुझ पर पड़ते ही मवो मुस्कुरा कर वाव कह पड़े...

उस्मान: "साब, अब ले जाओ दोनों को वरना आप का पैसा बरबाद हो जाएगा...पूरी रात छोड़ूंगा नहीं इसे..."कहते हुए उसने मुझे श्याम की तरफ धकेल दिया..मैं सीधी श्याम के बांहों में आ गई...श्याम हंसते हुए ओके कहे और पूजा को चलने बोले...

पूजा पूरे मस्त हो गई थी पर मजबूरी थी छोड़ने की, मेरी हालत भी बिगड़ ही चुकी थी...मन मसोस कर वो अलग हुई और धीरे से उस आदमी के होंठ पर किस कर अलग हो गई बिल्कुल रंडी की तरह जो कहीं नहीं शरमाती...

फिर श्याम के हाथों से हेडस्कॉर्फ ली और उनके साथ सीढ़ी की तरफ चल दी...सीढ़ी चढ़ते जब वापस उस्मान की तरफ देखी तो मेरी हंसी निकल पड़ी..वो दोनों अपना-2 लंड बाहर निकाल हिला रहा था...मुझे हंसते देख पूजा भी पलट गई...

पूजा के पलटते ही वो दोनों अब हमारी तरफ घूर रहे थे...जिसे देख पूजा एक फ्लाइंग किस दोनों तरफ उछाल दी..जिससे वो कराहते हुए अपना पानी छोड़ दिए...फिर हम दोनों आगे की तरफ भागती हुई चढ़ने लगी..
मैं और पूजा कुछ ही पलों में आंटी के सामने खड़ी थी...आंटी एक बहुत ही गद्देदार डबल बेड पर दीवाल के सहारे बैठी पान चबा रही थी...उनका रौबदार चेहरा देखते ही हम दोनों एक-दूसरे का हाथ डर से पकड़ लिए...

श्याम जाते ही आंटी के बगल में लगी कुरसी पर बैठ गए...मेरी नजर तभी दूसरी तरफ गई जहाँ बेंच पर दो लड़की बैठी थी...बिल्कुल बदसूरत...शायद इसलिए दोनों अभी तक बैठी ही थी...

"ऐ छोकरी, जा के उधर बैठ ना..." आंटी हम दोनों को उसी बेंच पर बैठी लड़की की ओर इशारा करती हुई बोली...जितना दिखने में भयानक लग रही थी, उयये भी डरावनी तो उनकी आवाज थी...पलक झपकते ही हम दोनों उन दो लड़कियों के बगल में थी...

उफ्फफ...कितनी गंदी परिवेश में रहती है ये दोनों...मैं एक नजर बगल में बैठी दोनों लड़की पर डाली,फिर सीधी हो आंटी की तरफ देखने लगी...श्याम के साथ वो हंस हंस के पहले तो हाल समाचार पूछी... शायद श्याम भी कई दिनों बाद आए थे...

फिर हम दोनों की तरफ इशारा करती हुई पूछी,"कहां से फंसा के लाए इन दोनों चिड़िया को..दिखने में तो सुंदर है..लगती नहीं कि कहीं कोठे पर रहती है..." श्याम आंटी की बात सुन हम दोनों की तरफ मुड़ कर देखने लगे...

श्याम: "बिल्कुल सही आंटी...ये कोठे पर नहीं रहती...ये एक होटल के सम्पर्क रहती है...फिर आपकी मर्जी आप होटल में करें या फिर अपने घर बुला ले...बंगाल की है दोनों...वहां एक दोस्त की दोस्ती उसी होटल वाले से है तो उसी ने भिजवाया है..सुबह चली जाएगी..."

आंटी: "ओहो...तो ये बात है...हाई प्रोफाइल है..." कहती हुई आंटी मुस्कुरा पड़ी जिसके साथ श्याम भी हंस पड़े...हम दोनों अपने बारे में ऐसी बाते सुन काफी कसमसा रही थी...बूर में खुजली काफी बढ़ गई थी...

तभी आंटी हम दोनों को अपनी तरफ आने का इशारा की...थोड़ी डर लगी कि पता नहीं क्यों बुला रही है...पर बिना कोई सवाल किए उनके सामने जा कर खड़ी हो गई...

आंटी: "देख,पैसे तो मिल ही गई है तो मैं कह रही थी कि अब इतनी दूर आ ही गई हो तो कुछ मजे भी ले लो...आज मेरे कोठे की रंडी के परिवेश में चुदवा ले...काफी मजा आएगा...और दिन तो जींस पहन के चुदती ही,आज नया करने का मौका मिला तो इसका भी मजा ले लो..."

मैं आंटी की बात से भौचक रह गई और पूजा की तरफ देखने लगी...पर पूजा को जैसे ये मंजूर थी...वो बस मुस्कुरा रही थी...

"तुम्हें कोई दिक्कत है क्या..." तभी आंटी की तेज आवाज मेरे कानों में गूँजी, जिससे मैं हड़बड़ती हुई नहीं में मुंडी हिला...तब आंटी "हम्म्म" करती हुई मुझे ऊपर से नीचे तक देखी...

"ऐ झुनकी,जा इन दोनों को अंदर ले जा और वो कपड़े दे देना...जा पहन के आ जा..."आंटी सामने बैठी एक लड़की को बोलती हम दोनों को जाने कह दी...वो लड़की उठी तो हम दोनों उसके पीछे हो लिए...

अंदर की रूम कुछ ही दूर गलियारे क्रॉस कर थी...इन गलियारे से गुजरते जब दूसरे रूम के गेट के पास से गुजरती तो अंदर से चुदाई की आवाज साफ सुनाई पड़ रही थी...कुछ के तो गेट भी खुली थी जिससे अंदर हो रही चुदाई साफ दिख रही थी....

अंदर पहुंचते ही झुनकी ने दो ड्रेस सामने आलमारी में से निकाल कर दे दी...मैंने ड्रेस उठाई...ड्रेस देखते ही मेरी भौंह सिकुड़ गई..एकदम मैली-कुचली छोटी सी चोली और घुटने तक ही आने वाली छोटी सी घांघरा..वापस रख टी-शर्ट जींस खोलने लगी...

मैं और पूजा कुछ ही पलों में एकदम नंगी खड़ी थी...सामने एक अंजान लड़की थी,जिसकी परवाह किए बिना ही नंगी हो गई...अब तो जब तक यहां हूँ,शर्म को सोच भी नहीं सकती थी...मैंने घांघरे पहनती हुई झुनकी से पूछी,"आज तुम खाली ही हो क्या...?"

झुनकी: "हाँ, शाला अपुन की फेस मर्द लोग को पसंद ही नहीं आती...देर रात तक अगर कोई आ जाता है तो खाने के पैसे मिल जाते हैं, नहीं तो भूखा ही रहना पड़ता...आज भी लगभग यही हालत है..."

मैं उसकी बात सुन थोड़ी भावुक जरूर हो गई, पर बिना कुछ बोले अपने काम में लग गई...चोली तो इतनी तंग आ रही थी कि मानों सीने की हड्डी टूट रही हो...और आधी चुची तो बाहर ही निकली थी...पूजा की भी यही हालत थी....

जींस टीशर्ट वहीं पर तह लगा कर रख दी और झुनकी को चलने की बोल दी...झुनकी के साथ हम दोनों बाहर की तरफ निकल गई...काफी अजीब लग रही थी ऐसे कपड़ों में...खुद को नंगी ही महसूस कर रही थी..

कुछ ही देर में हम सब आंटी के करीब थी..जहाँ श्याम के साथ एक और व्यक्ति बैठा था..मैं तो शर्म से लाल हो गई अंदर ही अंदर. जिसे बाहर नहीं निकलने दी...वो भी हिष्ट-पुष्ट शरीर वाला था श्याम की तरह पर रंग का पूरा काला था...

मैं उस पर एक नजर डाली और फिर सीधी उसी बेंच पर आ बैठ गई एक रंडी की तरह...तभी उस काले की नजर हम पर पड़ी...वो एकटक देखता ही रह गया...उसके मुख से वाह निकल पड़ी...

"वॉव आंटी,क्या माल मंगाई हो...आंटी इसी में एक को दे दो आज...मजा आ जाएगा..." वो काले हम दोनों की आधी नंगी चुची को देख जीभ फेरता हुआ बोला...जबकि श्याम भी हम दोनों को ऐसे रूप में देख अपने लंड पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे..
आंटी: "अए-हए ठिकेदार साहब...पानी निकल गया क्या...पूरे 3 हजार लेती है एक...चाहिए तो रूपए दो मेरी कमिशन सहित और ले जाओ किसी एक को...काहे कि एक तो श्याम ले जा रहा है...दोनों ले जाता ये पर तुम बोल दिए तो नाराज नहीं करूंगी तुम्हें..."

ये क्या..सौदा भी होने लग गई...मैं और पूजा एक दूसर को देख श्याम की तरफ देखी...हम दोनों हैरान थी...यहाँ सिर्फ श्याम के साथ करने आई थी पर यहाँ तो सच की रंडी बन गई..श्याम हम दोनों की तरफ देखते हुए आंटी से बोले....

श्याम: "आंटी, एकदम सही बोली..जैसा मैं,वैसा ये...ये भी चाहते हैं इनमें से ही एक को तो जरूर दो...वैसे ठिकेदार साहब, मैं इन दोनों को सिर्फ अपने लिए मंगाया था...पर अब आप भी कह रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं हमें...पसंद कर लो कोई..."

मतलब श्याम भी चाहते थे पूरे मजे देने और लेने की...हम दोनों श्याम की बात सुन सोची जब इन्हें कोई दिक्कत ही नहीं तो मैं क्यों ज्यादा सोचूं...हाँ, अब नए लंड चखना किसके नसीब में है, वो देखना शेष है...

तब तक वो काला तेजी से हम दोनों के पास आ गया..फिर उसने एक साथ हम दोनों को खड़ा किया और ऊपर से नीचे तक शरीर के एक-एक अंग को गौर करने लगा कि कौन बेस्ट है...वह हम दोनों को देख गोल गोल चक्कर लगाने लगाने...

एक चक्कर लगाने के बाद वो हंसता हुआ बोला,"यार कुछ समझ ही नहीं आता कि कौन बेस्ट है..." जिस पर आंटी और श्याम हंस पड़े...हम दोनों की भी मुस्कानें आ गई होठों पर...तभी आंटी बोली,"अरे तो ज्यादा क्या सोचता है...कोई एक ले ले..."

तभी वो हम दोनों के बीच में घुसा और अंतिम बार एक-एक नजर हम दोनों पर डाला और मेरे कंधों पर हाथ रख सीधा एक चुच्ची को मुट्ठी में कसता आगे बढ़ श्याम के पास रूकते हुए बोला,"दोस्त,मैं इसे ले जा रहा हूँ..तुम उसे ले जाओ...काफी मुश्किल है इन दोनों में से एक को चूज करना..."

श्याम ओके कहते हुए उठे और पूजा को भी ठीक मेरी तरह चुची पकड़ कंधे पर हाथ रख ले आए...

आंटी: "ऊपर एक कमरा खाली है कोने वाली...उसी में चले जाओ दोनों...और सब तो बुक है..."

श्याम: "फिर तो और मजा आएगा आंटी...एक ही कमरे में...मन हुआ तो अदल बदल कर लूंगा...हा..हा..हा..." और फिर सब हंस पड़े..हम दोनों भी हल्की दबी हंसी हंस दी....

कुछ ही देर में हम दोनों अपनी चुचियाँ मसलवाते रूम में घुस गए...रूम में आते ही श्याम पूजा को स्मूच किस करने लगे...जिसे देख मैं गरम हो अपने पार्टनर की तरफ देखने लगी...

"ओए, ये क्या कर रहा है...ये सब रण्डियाँ पता नहीं कैसा-कैसा लण्ड अपने मुंह में लेती है और तुम इसे किस कर रहे हो...संभल के करो यार..कहीं कुछ हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे..."तभी काले आदमी श्याम को टोकते हुए बोला...हम दोनों तो गस्से से लाल हो गई पर क्या कर सकती थी...अगर डगह दूसरी होती तो इसे पास फटकने भ नहीं देती...

श्याम किस रोकते हुए बोले,"क्या बोलते हो यार...ये औरों की तरह गंवार रंडी लगती है क्या जो खुद को ढ़ंग से साफ भी नहीं रखती...ये शिक्षित हैं जनाब जो इंफेक्शन का पूरा ख्याल करती है और उससे हर वक्त बची रहती है...तभी तो इतने पैसे दिए हैं कि हर तरह से मजे लूँ...यहाँ की रंडी की तरह नहीं जिसे सिर्फ चोदो वो भी कंडोम लगा के...समझा कुछ..."

श्याम की बात उसे बड़ी तेजी से समझ आ गई और बिना कोई जवाब दिए अपना कड़क होंठ मेरे नर्म होंठो पर रख दिया..ओफ्फ्फ...कितनी खुरदुरी लग रही थी..मैं इस खुरदुरेपन से तुरंत ही अपनी बूर से पानी छोड़ने लगी...

कुछ ही पलों में मेरी चोली खुल गई और नंगी चुची उसके हाथों में समा गई...वो पूरी दरिंदगी से चुची मसलता हुआ मेरे होंठ को तरबतर कर रहा था...

कोई 5 मिनट तक चुसाई रगड़ाई करने के बाद वो किस तोड़ते हुए बोला,"मादरचोद, मेरा लंड दर्द करने लगा...पहले इसका दर्द कम करो चूस के...फिर किस करते हुए चोदूंगा.." और उसने तेजी से अपने कपड़े खोल कर फेंक दिए...

इस बीच मेरी नजर पूजा की तरफ गई जहाँ वो दोनों अभी भी किस में डूबे हुए थे...पर अब वो बेड पर थे लेटे...पूजा की भी चुची नंगी थी जिसे श्याम मसले जा रहे थे...अगले ही पल अचानक मेरे बाल जोर से नीचे की तरफ खिंची और मैं चीखती हुई धम्म से नीचे बैठ गई...

मेरी चीख से श्याम और पूजा अचानक ही किस तोड़ते हुए मेरी तरफ देखे..तब तक काले आदमी का कोयलों से भी काली और धनुषाकार विकराल लंड मेरी गोरी-चिट्टी मुंह में अकड़ने लगी...मैं अपनी मुंह को आगे पीछे कर इस टेढ़े लंड को एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी...

मेरे मुंह में लंड को देख पूजा उठी और एक ही प्रयास में अपने भैया का पूरा लंड गटक गई...और फिर अपने मुख से अपने भैया के लंड की सेवा में जुट गई...

तभी इधर इस काले ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ा और मेरी मुंह में ही कस कस रे धक्के लगाने लगा और ढ़ेर सारी गंदी गंदी गाली सुनाने लगा...बगल में पति के सामने गाली सुन मैं काफी गरम हो गई और गूं गूं की आवाज तेज कर दी ताकि श्याम भी सुने कि उनकी बीवी आज रंडी बन के चुद रही है कोठे पर...
कुछ ही देर में टेढ़ी लंड से मेरी मुंह दुखने लगी...उसका लंड मेरे मुख में और टेढ़ी होती जा रही थी जिससे अब ऐसी महसूस हो रही थी कि मेरी तालु में छेद हो जाएगी...

अब वो धक्के नहीं लगा रहा था...मैं इतनी देर में दो बार पानी बहा चुकी थी...और मैं अपने हाथ उसके अण्डों पर रख खुद ही आगे पीछे हो रही थी...मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर घिसती तो वह कराह उठता...तभी वो एक गहरी चीख के साथ दांत पीसते मेरे सर को झटक अपने लंड से दूर कर दिया...

मैं अपनी जीभ ललचाती हुई ऊपर की तरफ उसकी आँखों में देखने लगी...वो झड़ा नहीं था पर उसके लंड के ऊपरी भाग से प्रीकम साफ दिख रही थी बहती हूई और पूरा लंड मेरी थूक से भींगी...

वो हांफता हुआ मेरी तरफ लाल आँखें किए देखते हुए बोला,"मस्त रांड है तू तो...क्या चूसती है शाली...नस नस ढ़ीला कर दिया...आज पहली बार तेरी मुंह में ही झड़ने के कगार पर था...चल बेड पर अब, देखता हूँ मेरा लंड तेरी बूर को कितना सह पाता है..."

मैं इस खेल में अपनी जीत देख गदगद हो गई और उठती हुई घाघरे को अपनी कमर से वहीं पर नीचे कर दी और बेड की ओर चल दी...बेड कोई गद्देदार नहीं थी...बस एक पतली सी चादर बिछी थी जिस पर इस वक्त मेरे पति अपनी बहन को अपना लंड चुसवा रहे थे...वो दोनों बीच में थे...

मैं उनके पास पहुँची और पूजा की पीठ पर हाथ रखती हुई बोली,"पूजा, उधर खिसको...लेटना है हमें.." पूजा मेरी बात सुन लंड से मुंह हटा सीधी हुई और मुस्काती हुई बोली,"ओके दीदी..." जबकि श्याम मेरी नंगी गोरी जिस्म को देखे जा रहे थे जिसे एक काले भुजंग और चौड़ी छाती वाले नंगे मर्द ने पीछे से पकड़ सहला रहा था...उसका काला लंड मेरी गांड़ के नीचे से होती ऊपर की तरफ घूम के गोरी बूर पर ठुनके लगा रहा था...

श्याम खिसकने के बजाए उठ गए और पूजा को अपनी जगह पर लिटाते हुए बोले," तू भी बहुत सेवा की अपने मुख से...अब अपनी बूर से मेरे लंड की सेवा कर मादरचोद पूजा रंडी..." पूजा के साथ साथ मैं भी उसके बगल में हल्की हंसी हंसती लेट गई...

फिर दोनों एक साथ अपना-2 लंड पकड़ हम दोनों की बूर पर रख रगड़ने लगा...अपना लंड रगड़ते हुए वो काला आदमी पूछा,"और तेरा क्या नाम है कुतिया..? " मैं लंड की गरमी बूर पर पा आहें भरती हुई "सीता" बोली...

तभी श्याम बोले,"ये दीदी कहती है तुम्हें...तुम दोनों सगी बहन हो या फिर धंधे में बनी हो..." हम दोनों की तो हंसी भी निकल रही थी कि शाला कितना एक्टिंग करता है...इसे तो फिल्मों में रहना चाहिए... तभी पूजा सिसकती हुई बोली,"हाँ,हम सगी बहन हैं..."

पूजा की बात खत्म होते ही दोनों मर्द एक साथ मेरे शरीर पर दबाव डालते अपना लंड जड़ तक पेल दिए...हम दोनों एक साथ चीख पड़ी...ये सच्ची वाली दर्द की चीख थी...अपने दर्द को कम करने मैं और पूजा एक दूसरे को किस करने सगी...

"तभी तो शाला मैं कन्फ्यूज हो गया चूज करने में...वाह मजा आ गया यार...हम दोनों एक ही बेड पर दो सगी रंडी बहन को चोद रहा हूँ..." मजे में डूबता वो काला आदमी मेरी बूर में धक्का लगाते हुए बोला...

"हाँ यार..और शाली अपनी बूर का भी काफी मेंटेन करती है..इतनी कसी बूर आज तक किसी रंडी की नहीं देखी..." श्याम बगल में पूजा को धक्के मारते हुए बोले...जिससे वो आदमी हाँ में अपनी सहमति कर दी...

कुछ देर तक इसी तरह मैं और पूजा चीखनी बंद कर, सिसकती हुई चुदती रही..और दोनों मर्द एक साथ गाली बकते हुए चोदे जा रहे थे...हर धक्के पर बेड चरमरा जाती थी...नीचे की चादर कब सिमट गई मालूम नहीं..हम दोनों अब बेड की लकड़ी पर थी जो चुभ रही थी...पर ये चुभन बूर में डाती लंड के माफिक कुछ भी नहीं थी...

तभी अचानक से मेरा ग्राहक मेरी बूर से अपना लंड खींचा और बेड से उतर गया..मैं उसकी तरफ प्यासी नजरों से देखने लगी कि क्यों चला गया...फिर वो अपनी पेंट से एक 500 का नोट निकाला और वापस आते ही मेरी बूर में लंड पेलता हुआ बोला,"आज मैं बहुत खुश हुआ तेरे से...ले अपना इनाम..." और फिर उसने 500 का नोट मेरे मुंह में फंसा दिया...मैं नशीली आँखों से मुस्काती हल्के दांतो से नोट दबा ली...

उधर श्याम भी देखा देखी एक 500 का नोट पूजा के भी मुंह में फंसा दिए...अब हम दोनो रंडी के मुंह में बूर की इनाम थी...और फिर लगे दोनों धड़ाम-2 शॉट मारने...हम दोनों की नस ढ़ीली हो गई करारे शॉट से...

काफी देर तक पोज बदल बदल कर चोदते रहे...कभी कुतिया बनाकर तो कभी घोड़ी बनाकर...कभी मुझे नीचे करते तो कभी खुद नीचे रहते...इन सब के दौरान नोट एक बार भी मुंह से नहीं हटाई...जिससे वो दोनों और जोश से पेलते...

अंततः उनका पतन हो ही गया...जीत की पतन थी ये...एक साथ दोनों चीखते हुए हम दोनों की बूर में अपना पानी उड़ेलने लगे...बूर में जाती गर्म पानी से हम दोनों पूरी तरह बेहोश हो गई और नोट मेरे मुख से निकल गालों बगल में गिर गई...पूजा भी बेहोश हो गई थी...

और हम दोनों बेहोशी की हालत में ही फ्रेंच किस कर रही थी..और दोनों मर्द पूरा लंड खाली करने के बाद औंधें मुँह लद गए हमारे शरीर पर...काफी देर तक सुस्ताने के बाद जब हम सब उठे तो वो काला आदमी मेरे होंठों पर किस करता हुआ थैंक्स बोला...पता नहीं क्यों...शायद आज वो पूरी तसल्ली से चोदा और खुश हुआ इसलिए...

फिर वो अपना कपड़े खोज पहनते हुए बोला,"गजब की हो यार तुम दोनों...लग ही नहीं रहा था कि रंडी चोद रहा था आज...बिल्कुल बीवी या gf की तरह महसूस हो रही थी...एक ही बार में पस्त कर दी...अब तो 5 दिन तक आराम से मस्ती में रहूँगा..."

श्याम भी हाँ कहता हुआ अपने कपड़े पहनने लगे..हम दोनों भी मुस्काती हुई उठी और कपड़े पहनी और सब साथ निकल गए
हम चारों अस्त-व्यस्त खुद को ठीक करते हुए आंटी के पास पहुँच गए...आंटी हम सब की तरफ देख मुस्कुरा रही थी...उसने उस काले की तरफ देख बोली,"कैसी थी टेस्ट? दिल खुश हुआ कि नहीं..."

"पूछो मत आंटी, सीधा स्वर्ग में पहुंच गया था...एक ही बार में पस्त हो गया..."काले आदमी ने अपनी व्यथा कहते हुए कुर्सी पर बैठ गया...मैं और पूजा कपड़े चेंज करने चेंजिगरूम की तरफ जाने से पहले इनाम के पैसे आंटी की कर दी...

आंटी: "अरे वाह..तोहफा भी मिल गई..बहुत ज्यादा खुश कर दी क्या रे छोरी.." आंटी की बात का कोई जवाब सिर्फ मुस्कुरा कर दी और वापस चेंजिग रूम की तरफ बढ़ गई...कुछ ही पलों में हम दोनों अपने कपड़े पहन चलने के लिए आंटी के पास खड़ी थी...

आंटी: "ऐ, तू मेरे यहाँ काम करेगी...तेरे बंगाल से ज्यादा पैसे दिलवाउंगी दोनों को...यहां सब गोरी चमड़ी के दिवाने होते हैं..." मेरी तरफ देख आंटी पूछी...मैं उनकी बात सुन पूजा की तरफ देखने लगी...

"नहीं आंटी, मैं यहां नहीं रह सकती...काफी दिनों से इनके दोस्त कह रहे थे तो बड़ी मुश्किल से शादी का बहाना बना आई हूँ...सुबह तक यहाँ से निकल लूंगी नहीं तो मेरे शकमिजाजी पति हम दोनों की खैर नहीं छोड़ेंगे..."श्याम की तरफ देख मुस्काती हुई मैंने सरासर इस नाटक में भागीदरी कर ली...जिससे श्याम मंद मंद कुटिल हंसी हंस रहे थे...

आंटी:" ओह...मतलब पति प्यास नहीं बुझाता तो चोरी से करती है...अच्छा है...प्यास भी बुझ जाती और पैसे भी..." आंटी कहते हुए पैसे की बंडल मेरी तरफ बढ़ा दी जो काले आदमी ने दिए थे...मैंने पैसे लिए और उनमें से इनाम की राशि निकाल बेंच पर बैठी दोनों लड़की की तरफ बढ़ा दी...

सब अचानक मेरी इस हरकत से भौचक्के हो देख रहे थे..उन दोनों को भी विश्वास नहीं हो रही थी..वे बस मेरी तरफ टकटकी लगाए घूरे जा रही थी...वो लेने के हाथ ही नहीं खोल रही थी तो मैंने खुद आगे बढ़ वो रूपए उसकी चोली में घुसेड़ती हुई बोली...

"जब काम नहीं मिली तो भूखी थोड़े ही रहेगी..., मदद के तौर पर रह ही रख लो...अपनी बिरादरी की है तो ऐसे नहीं देख पाई...चलती हूँ अब..अपना ख्याल रखना..."कहती हुई मैं वापस मुड़ी और श्याम से चलने बोली...

पर सब तो बस घूरे ही जा रहे थे...बिना कोई जवाब दिए श्याम उठ गए...और वो काला आदमी सबसे पहले ही निकल गया...आंटी भी पता नहीं क्यों पहली बार बेड से उतरी और बोली,"रूको,गाड़ी मंगवाए देती हूँ...स्टेशन तक छोड़ देगा..."

मैं मना की पर वो नहीं मानी...कुछ ही देर में गाड़ी में बैठ हम तीनों आंटी से विदा ले स्टेशन पर आ गए...गाड़ी के वापस जाते ही श्याम ने एक गाड़ी की और एक घंटे में हम घर पहुंच गए...घर पहुँचते ही हम सब ने खूब हंसी आज की यादगार मूवी को याद कर....फिर हम तीनों एक ही बेडरूम में घुस पसर गए...

सुबह में घंटी की तेज आवाजों ने मेरी नींद तोड़ ती..मैं उठी तो ये क्या...श्याम पूजा पर चढ़े अपना लंड उसकी बुर में पेले जा रहे थे और पूजा भी मस्ती में चिल्लाए जा रही थी...मैं तो गुस्से से भर गई कि बेल कब से बज रही है और ये दोनों चुदाई में लगे हैं...

मैंने श्याम की पीठ पर एक मुक्का जमाती हुई बोली,"बेल सुनाई नहीं दे रहा क्या? दूध लेने चले जाते तो ये भाग जाती क्या..?" श्याम मुक्के की चोट से आह भर हंसते हुए बोले,"भाग तो नहीं जाती पर अगर लंड शांत हो जाता तो...."

मैं उनकी बातों से हल्की मुस्काती हुई बेड से उतरती हुई बोली,"हाँ तो कोई बात नहीं...वो दूधवाला देखेगा कि रोज सुबह मैं ही आती हूँ और तुम दोनों सोते ही रहते हो तो किसी दिन मौका पा कर आपकी बीवी चोद देगा तो बाद में दोष दूधवाले का मत देना.."

श्याम मेरी बात सुन पूजा को जोरदार धक्के लगाते हुए बोला,"कोई बात नहीं...हम दोनों तो फायदे में ही रहूंगा...मेरे दूध के भी पैसे बचेंगे और तुम्हें नए लंड मिल जाएंगे...जाओ जल्दी चुदवा के ही आना..."

श्याम अपनी बात कह हंस पड़े जिससे पूजा भी आहहहह कहती हुई हंस पड़ी...मैं उन दोनों के कान एक साथ पकड़ती हुई बोली,"तुम दोनों को हंसी आ रही है..अब तो सच में चुदवा के ही आऊंगी..." और फिर उनके कान मरोड़ कर छोड़ दी जिससे दोनों की एक साथ ईससससऽ निकल पड़ी...

मैं फिर बाहर निकल किचन से बर्तन लेती चाभी ली और चल दी बाहर...मेन गेट खुलते ही दूधवाले से नजर मिली तो हम दोनों की अनायास मुस्कान निकल गई...फिर दूधवाले ने दूध माप के दे दिया...मैं दूध ले उसकी तरफ देखी और अंदर ही अंदर मुस्काती हुई वापस मुड़ गई बिना कुछ कहे...

दूधवाला: "आज क्रीम नहीं लोगी मैडम..? आज भी एकदम ताजा है..सोचा आपको दे दूँ फिर किसी और को दूँगा..." दूध वाले मुझे जाते देख बोला...जिससे मैं हल्की रूकी और सड़क पर दोनों तरफ देखी...रूम मालिक को देख रही थी वरना फिर कहीं वो बात करते भी देख लेता बेवजह तो परेशानी में डाल देता...

पर वो कहीं नहीं दिखा तो उसके धोती में फड़फड़ा रहे लंड को देखती बोली,"अब नहीं लेनी, कल रूम मालिक को शक हो गया था...अब कहीं दुबारा शक हुआ तो मुसीबत हो जाएगी...वैसे आपकी क्रीम बेस्ट थी...लेकिन क्या कर सकती...सो अब बस काम से काम रखिएगा..." और मैं वापस मुड़ गई...

बेचारा उस दूधवाले के सपने तो चूरचूर हो गए...रोज सपने देखता होगा कि मेरी बूर में अपना लंड डाल रहा है...वह कुछ कह भी नहीं सका...बस मुझे जाते हुए देखता रह गया...मैं बिना मुड़े अंदर चली गई..
अंदर किचन में दूध रखी और बेडरूम में गई दोनों को देखने...हम्म्म..चुदाई खत्म हो चुकी थी...अब पूजा बेड पर पसरे श्याम के मुरझाए लंड को जीभ से साफ करने में लगी थी...मेरी आहट पाते ही पूजा एक नजर मेरी तरफ देखी, फिर मुस्काती हुई अपने काम में लग गई....

"छोड़ने का मन नहीं है क्या...चलो हटो,अब मैं करूंगी..."कहती हुई मैं पूजा के बगल में बैठ गई...श्याम मेरी बात सुन मुस्काते हुए बोले,"अभी कहाँ रानी...अब एक राउंड और करूंगा अपनी कमसिन शाली की...फिर छोड़ेंगे...वैसे तुम तो दूधवाले से चुदने गई थी ना..."

"उफ्फ्फ, घर की गेट खुली ही छोड़ दी..आती हूँ बंद कर..."मैं दूधवाले के बारे में सोचते-2 गेट बंद भी नहीं की...मैं गेट के पहुंच आधी गेट ही लगाई थी कि सीढ़ी पर किसी की आहट सुनाई दी...

थोड़ी गौर से सुनी तो आहट ऊपर छत की तरफ जाती लग रही थी...इस वक्त सुबह-2 कौन छत पर जा रहा है...नीचे की फ्लैट से तो कोई कभी सुबह जल्दी उठता तक नहीं तो फिर कौन है...और नीचे से अभी आई ही हूँ, रूममालिक भी तो कहीं नहीं दिखे थे...

कौन हो सकता है? यही जानने मेरे कदम बाहर निकल छत की तरफ बढ़ गई...अंतिम सीढ़ी से छत पर देखी तो सामने कोई नजर नहीं आया...अब हल्की डर भी होने लगी कि पता नहीं कौन है जो छत पर आया और गायब हो गया...

एक बार मन हुई वापस हो जाऊं...फिर सोची सुबह हो ही गई तो दूसरी अप्राकृतिक चीजें तो हो ही नहीं सकती...छत पर घूम कर ही देखती हूँ शायद पानी टंकी के दूसरी तरफ हो....और मैं आगे बढ़ छत पर चारों तरफ देखती मुआयना करने लगी...

पानी टंकी के उस तरफ जैसे ही पहुँची सामने रूम मालिक पर नजर पड़ी...मैं राहत की सांस ली पर अब इस मुसीबत से पीछा छुटकारा पाने की सोच में पड़ गई...अगर वो नहीं देखते तो चुपके से रिटर्न हो जाती पर....

रूम मालिक: "आइए..आइए...मैडम...सुबह की ताजी हवा काफी फायदेमंद होती है...ऱोज लेनी चाहिए सबको..." मैं उसकी बात से बेवजह मुस्कुरा पड़ी और ना चाहते हुए भी उनकी तरफ बढ़ गई...

मैं आगे जा रेलिंग के सहारे उनसे काफी हट कर खड़ी हो गई और सामने उगती हुई सूरज की तरफ मुंह कर दी...वो हम दोनों के फासले को कम करने मेरी तरफ खिसक गए और लगभग एक फीट की दूरी पर खड़े हो गए...

मैं उनके करीब आने की आहट महसूस कर सनसना गई...शरीर के रोंगटे खड़े हो गए...वो मेरे बगल में आ मुझे गौर से निहारने लगे जिससे मैं काफी असहज महसूस करने लगी...मेरे हाथ छत की रेलिंग पर कस गई...

"आती हूँ कुछ देर में...गेट खुला ही है कोई आ गया तो..."मैं अब यहां से हटने की सोच बहाने बनाई और जाने के लिए पीछे मुड़ी कि तभी उनके हाथ रेलिंग पर पड़े मेरे हाथों को जकड़ के दबा दिया...मैं अचानक से हुई उनकी हरकत से एकटक आश्चर्य से उनकी आँखों में देखने लगी...

"अरी मैडम, इतनी जल्दी क्यों भागने की कोशिश कर रही हो..मैं कोई बाघ थोड़े ही हूँ जो गिल जाऊंगा..."रूम मालिक ने मुझे अपनी तरफ देख बोला...जिससे मैं अब और मुश्किल में पड़ गई...कल की वारदात से तो हाथ छुड़ाने की भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी...

रूम मालिक: "पता है आज मैं आपसे काफी खुश हूँ...कल मैं आप पर जितना गुस्सा था आपने आज सब खत्म कर दिया...मैं वहीं सामने वाले कैम्पस में छुप के बैठा सुन रहा था...आज अगर कोई हरकत करती तो सच बहुत बुरा होता..."

मैं बिना कोई हरकत किए बस उनका चेहरा हैरानी से निहारने लगी...मैं खुद को आज लकी समझ रही थी...अपनी तरफ यूँ ऐसे घूरते पा उसने मुस्कुराते हुए अपनी एक आँख दबा दी,जिससे मैं झेंप सी गई और नजरें घुमा ली...

रूम मालिक: "एक बात तो है आप दिल की बुरी नहीं है...कोई कुछ कहे तो आप उस पर गलत सही सोचने के बाद कोई फैसले लेती हो...यही आप में अच्छी बात है...हाँ कुछ गलत भी करते हैं पर इसमें आपकी गलती नहीं है..."

मैं एक बार दुविधा में पड़ गई कि अब क्या कहेंगे ये..मैं पुनः उनकी तरफ मुंह घुमा दी...सूरज की लालिमा फट चुकी थी जिससे उसकी किरण सीधी हमारी गाल पर पड़ कर और सुर्ख बना रही थी...तभी वो मेरे चेहरे के बिल्कुल निकट आते हुए बोले...

रूम मालिक: "अब आप हो ही इतनी हॉट और सेक्सी कि आप लाख चाहो,खुद को रोक नहीं पाओगी ज्यादा देर...इसी वजह से आप कभी कभार बहक जाती हो..." वो इतना कह चुप हो गए...

पर उनका चेहरा अभी भी ज्यों के त्यों थी..मेरी तेज हो चुकी साँसें उनकी साँसों से टकरा रही थी...और मेरी वासना में बदल चुकी नजरें सीधी उनकी आँखों में झाँक रही थी...

कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहे हम दोनों बिना कोई सवाल जवाब के...उनका एक हाथ तो रेलिंग पर मेरी एक हाथ दबाए ही था...अब उन्होंने अपना दूसरा हाथ आगे बढ़ा मेरी दूसरी हाथ पकड़ अपनी अंगलियां मेरी अँगुली में फंसा पकड़ लिए...

मैं चाह कर भी उन्हें नहीं रोक पा रही थी...अगर रोकती तो वे कहीं सवाल कर देते कि दूधवाले से भी बुरा हूँ क्या..? तो मैं क्या जवाब देती...या फिर चाहते तो मेरी इज्जत सरेआम लुटा देते तो क्या करती..आखिर मेरी दुखती नस जो उनकी पकड़ में आ गई थी...

तभी उन्होंने रेलिंग पर से अपना हाथ पीछे खींच मेरी कमर के पास रख दिए और दबाब बनाने लगे अपनी तरफ...मैं होशोहवाश खोती उनके शरीर में सटती चली गई और रेलिंग पर से हाथ उठ के अपने आप उनके कंधों पर पड़ गई...बिल्कुल प्रेमी जोड़ो की तरह चिपक गए थे..
मैं पसीने से तरबतर हो गई थी...और सुबह की उगती सूर्य की किरण से मेरी शरीर दमक रही थी...मेरी साँसें सीधी उनके सीने में घुस रही थी...और तेज साँसों में मेरी चुची उफ्फ्फ...उनके सीने से टच करती हुई एक बार पीछे हटती तो एक बार पूरी धंस जाती....

"दोस्ती करोगी हमसे...अच्छी वाली दोस्ती..." फिर वो हौले स्वर के साथ गर्म साँसे मेरी गालों पर डिम्पल की तरह धँसाते हुए बोले...साँसों की तेजी ने मेरे अंदर गुदगुदी सी कर दी...मैं ईससससऽ की आवाजें करती हुई मुंह फेर ली...

रूम मालिक: "अरे, ऐसे क्यों मुंह फेर रही हो...जो बात तुम सोच रही हो वैसा मैं अब कुछ नहीं करने वाला...कल वाली बात बिल्कुल भूल जाओ...ब्लैकमेल,झाँसा में फँसाना आदि सब चीजों का मैं सख्त विरोधी हूँ...दोस्ती की कह रहा हूँ तो सिर्फ दोस्ती..."

थैंक्स गॉड...जिस बात से डर रही थी इनसे वैसी बात नहीं थी...गलत देखे तो शायद ज्यादा गुस्सा कर गए कल जिससे धमकी दे रहे थे...पर अब जो ये कर रहे हैं ऐसे मुझे चिपका कर वो क्या है...ये फायदा ही तो उठा रहे हैं मेरी बेबसी का...

"मैं समझ सकता हूँ कि आपके मन में क्या चल रहा है इस वक्त...तो मैं बता दूँ कि आप ही के जैसी सुंदर मेरी भी बीवी है, पर वो कुछ अलग किस्म की है...मतलब बीवी तो है मेरी पर बीवी बनना नहीं जानती..."उन्होंने अपनी बात से मेरी अंदर चल रही सवालों का जवाब देते हुए बोले...

काफी तेज दिमाग है इनका तो..बिना सवाल पूछे ही जवाब देने लग गए...

"मैं अपनी बीवी में हर रोज एक दोस्त खोजता रहता हूँ...पर कभी मिली नहीं..वो तो बस बीवी का मतलब सिर्फ सेक्स ही जानती है...सेक्स के बाद कभी मेरे दिल की आवाज सुनने की कोशिश नहीं की और ना ही कभी सुनाई...इसलिए मैं तुम्हारी जैसी हसीन बला से दोस्ती करना चाहता हूँ ताकि हम अपनी दिल की बात कह-सुन सकें..." वो अपने दिल की बयान अपने साफ लफ्जों से सुनाने लगे...

मैं उनके इस दर्द को सुन पिघलने लग गई...अब उनसे हटने की बजाय आराम से खड़ी उनकी बाते सुनने लगी...

"...मेरे और भी कई लेडिज फ्रेंड हैं पर सब सिर्फ फ्रेंड ही हैं...कोई ऐसी नहीं मिली जिससे अपना हाल-ए-दिल सुना सकूँ...पर आज अगर तुम दोस्त बन जाओगी तो मेरी जिंदगी में ये कमी शायद पूरी हो सकती है..क्योंकि तुम सबसे अलग हो...हर रिश्ते को निभाना जानती हो..अब ये मत कहना कि सोचूँगी...दोस्ती लोग सोच कर नहीं करते...वो तो प्यार से भी तेज होता है और इसमें कोई रिस्क भी नहीं..." वे अपनी बात खत्म कर मेरी जवाब का इंतजार करने लगे...

मैं उनकी आखिरी बात पर थोड़ी सी शर्मा के हंस पड़ी..जिससे वे भी हंस पड़े...अब तो मेरे अंदर की सारी डर इनके प्रति जो थी ऱफ्फूचक्कर हो चली थी...इनके अकेलेपन पर तरस आ गई थी...शायद इसी वजह से ये कभी-कभार ज्यादा गुस्से में आ जाते हैं...

"...तो ये कौन सा तरीका है दोस्ती प्रपोज करने की." मैंने अपनी झिझक समाप्त करते हुए उनसे बोली...जिससे वो खिखिलाकर हंस पड़े...फिर वो बोले,"अपना तरीका है...मैं ऐसे ही सब के साथ रहता हूँ...बोरिंग वाली दोस्ती मुझे नहीं पसंद...दोस्ती में रोमांस,प्यार,शरारत,गुस्सा सब होना चाहिए पर लिमिट तक ही...ऐसा नहीं कि तुम अगर ऐसे मेरे बांहों में हो मैं गलत हरकत कर दूँ..."

"अगर कभी आपको दोस्तों के संग ऐसी हालत में आपकी बीवी देख ले तो..."मैं भी कुछ नॉर्मल हो कुछ अंदर की बात जाननी चाही इनसे...जिसे सुन वो नाक-भौं सिकुड़ाते हुए बोले...

"मोहतर्मा,मुझे इस बात की कोई डर नहीं..बीवी के डर से मैं अपने दोस्तों से मिल रही जिंदगी को कैसे छोड़ सकता भला...वैसे कल सुबह मेरे साथ वॉक पे चलना पसंद करेंगी...4 बजे..."उन्होंने बस शार्ट कट में ही अपनी हिम्मत-ए-दिल बयां कर दी...

"इतनी सुबह तो जगती भी नहीं..5 बजे के बाद नींद...."मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई कि वो पड़े,"अं.हं....जगने की चिंता छोड़ दो...नींद ठीक 4 बजे खुद खुल जाएगी...मैं इंतजार करूँगा...अब चलता हूँ..बॉय.."

और फिर अलग होने से पहले मेरे माथे को हल्के से चूम लिए...फिर हम दोनों एक साथ मुस्कुराते हुए नीचे चल दिए...मैं नीचे अपने घर के दरवाजे से अंदर हुई और अंदर देखी तो अभी भी दोनों बाहर नहीं निकले थे...

अचानक मैं मुड़ी और और नीचे की तरफ बढ़ रहे रूम मालिक को सीसी की आवाज से बुलाई...वो आश्चर्य से मुड़ते हुए वापस ऊपर की तरफ आया...पास आते ही इशारे से पूछा क्या बात है..

मैं उनके गर्दन पकड़ उनके शरीर पर लद सी गई और कान के समीप अपने लब ले जाती बोली,"थैंक्स फॉर फ्रेंडशिप...." और पीछे हटने से पहले उनके गाल पर एक गहरी चुंबन जड़ दी दोस्ती वाला...फिर मुस्कुराते हुए तेजी से अंदर आ गेट लॉक कर ली...वो भी मेरी इस शरारत पर मुस्कुराते हुए नीचे चले गए..
फिर हमने वापस बेडरूम में गई तो पूजा नहीं थी..शायद बाथरूम गई थी..श्याम अभी भी बेड पर पड़े हुए थे..मैं उनके पास बैठती हुई उनके सीने पर किस करती हुई बोली,"उठिए ना...ऑफिस नहीं जाना..."

श्याम: "उम्म्म्म...मूड नहीं है डियर..आज सोने दो...हुअंअअअ्म्म..."श्याम करवट बदलते हुए सोने की कोशिश करने लगी...मैं भी मुस्कुराते हुए छोड़ दी और उठ गई..फिर पूजा बाथरूम से फ्रेश हो कर निकली तो मैं फ्रेश होने घुस गई...

फ्रेश होने के खाना खाई और आराम करने चली गई..श्याम करीब 12 बजे उठे और फ्रेश होने के बाद बाहर निकल गए...मैं फिर वापस पूजा के बदन से चिपक के सो गई...शाम में करीब 5 बजे नींद खुली...

पूजा और मैं कुछ टहलने छत पर चली गई...कुछ घूमने के बाद बोली,"पूजा,वो सामने वाला नजर नहीं आता.."

पूजा: "हाँ दीदी, अब शायद उसे शर्म आती होगी कि उसका भी बाप है सेक्स में..खुद को मॉडर्न समझता था छत पर चुदाई कर के..शाले की हेकड़ी निकल गई हम दोनों को एक मर्द के साथ देखकर...ही..ही..ही.."

"हाँ...हम दोनो जितने कमीनी हैं,उतनी तो वो सोच भी नहीं सकती..."मैं हंसती हुई पूजा की बात में हाँ मिलाई...फिर इसी तरह की कुछ इधर उधर की बातें होती रही...अचानक तभी सीढ़ी से ऊपर किसी के चढ़ने की पदचाप सुनाई दी...

हम दोनों आपस में गुपचुप ही इशारे से पूछ रही थी कि कौन हो सकता है...तभी पूजा आगे बढ़ नीचे कैम्पस में झाँकी तो तेजी से अपने पास बुलाई...मैं झटपट पुजा के बगल में खड़ी हो गई...

नीचे एक बाइक लगी थी...इस घर में तो बाइक थी पर ऐसी नई नहीं थी...बिल्कुल चमकती हुई...शायद खरीदे हुए कुछ दिन ही हुए हों...मैं हौले से पूजा से बोली,"शायद नीचे किसी के गेस्ट होंगे और वो घूमनेछत पर आ रहे है..."

पूजा: "आने दो, अकेला आया और मस्त लगा तो खा ही जाऊंगी...ही..ही..ही..." और पूजा खिलखिला पड़ी जिससे मैं भी खुद को रोक नहीं पाई...फिर हम दोनों वापस सीढ़ी की तरफ देखने लगी भूखी लोमड़ी की तरह कि शिकार आ रहा है...

तभी सामने देख हम दोनों के सारे अरमान शीशे की तरह बिखर गई...सामने श्याम थे...हम दोनों अपने मंसूबे की नाकामयाबी पर एक दूसरे की तरफ ताक हंस पड़े...जिसे देख श्याम हंसते हुए बोले,"क्यों गर्ल्स, हमें देख के हंसी क्यों निकल पड़ी..."

"नहीं दरअसल हम दोनों नीचे नई बाइक देखी तो सोची नीचे किसी के यहाँ गेस्ट आए हैं जो ऊपर आ रहे हैं तो सोची कुछ लाइनबाजी कर लूँ..पर....वैसे ये किसकी बाइक है..." मैं मुस्कुराती हुई बोली..

"ओहहह...फिर तो बहुत बुरा हुआ तुम दोनों के साथ...खैर इस बुरेपन को दूर करने ही आया हूँ...चलो तैयार हो जाओ और घूमने चलते हैं नई बाइक से..."श्याम हमदरदी जताते हुए बोले...

पूजा: "वॉव जीजू, बाइक लिए हैं क्या...थैंक्स जीजू..." और पूजा श्याम से लिपटती हुई किस करने लगी खुशी से...मैं भी खुश थी कि श्याम को अब ऑफिस ऑटो से नहीं जानी पड़ेगी और साथ में हम लोग भी बाहर घूम लेंगे...

"आज कहाँ ले जाएँगे घुमाने...?" मैं भी आगे बढ़ श्याम के शरीर से चिपक उनके गाल चूमती हुई पूछी...जिसे सुन श्याम और पूजा किस तोड़ दिए...

श्याम: "मेला...शहर के बाहर एक जगह कृष्णाष्टमी का मेला लगा है...वहीं चलेंगे..अब चलो नीचे और तैयार हो जाओ मेरी रानी..." कहते हुए श्याम अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए ...

कुछ देर किस करने के बाद हम अलग हुए और नीचे चले आए...फिर हम एक साथ कपड़े चेंज करने लगी...कुछ ही पलों में हम दोनों लड़की सिर्फ पेंटी और ब्रॉ में थी...

श्याम इस पल का बखूबी से मस्ती लेते हुए बेड पर बैठे देख रहे थे...मैं ब्लैक कलर की एक ट्रांसपैरेंट साड़ी निकाली और साथ की मैच्युवल ब्लॉउज,पेटीकोट बेड पर रख दी...तभी श्याम बीच में बोले..

श्याम: "जान, आज बिना ब्रॉ की ब्लॉउज पहनो...मस्त लगोगी...और पूजा तुम भी ब्रॉ निकाल दो.. " श्याम कह कर मजे से उड़ते हुए आनंदमय हो गए...मैं भी मुस्कुराते हुए ब्रॉ की हुक खोल दी...

पूजा: "दीदी, मुझे भी साड़ी पहननी है आज..."और फिर पूजा अपनी आँखें नचाती हुई मुस्कुराने लगी..मैं और श्याम उसकी बात पर हंस पड़े,जिससे पूजा भी हँसे बिना रह नहीं पाई...

अगले ही पल एक गुलाबी पारदर्शी साड़ी उसके सामने रख दी...पूजा काफी खुश होती हुई अपनी ब्रॉ की हुक खोलने लगी...

श्याम: "पूजा, अगर साड़ी बाँधने में मदद की जरूरत हो मैं पास ही बैठा हूँ..." कहते हुए चुटकी बजाते हुए अपनी दावेदारी पेश कर दिए...जिस पर पूजा आँखें ऊपर कर हँसती हुई बोली,"सॉरी...मैं साड़ी पहनना अच्छी तरह जानती हूँ..."

कुछ ही देर में हम दोनों तैयार हो गए, जिसे श्याम आँखें फाड़ फाड़ कर देखे जा रहे थे...जब मैं उन्हें ऐसे एकटक निहारती देख इशारे में पूछी क्या हुआ...

श्याम: "माशाल्लाह....लोग उस मेले को छोड़ इस मेले को देखने टूट पड़ेंगे...कसम से, सेक्स की देवी दिखती हो तुम दोनों जो 80 साल के बुड्ढ़े का भी खड़ा कर दे..."

"अच्छा,अच्छा...मैं आज पहली दफा मेले घूमने नहीं जा रही हूँ...वहाँ ढ़ेर सारी खूबसूरत लेडिज बन-ठन के आती हूँ..अच्छी लगती हूँ या नहीं ये बताइए बस..." मैं मुस्कुराहट में बोल पड़ी...

श्याम: "सुपर...बिल्कुल परी लग रही हो...गोरे बदन पर ब्लैक साड़ी...अल्लाह बचाए नजर लगने से...चलें अब.."

मैं खुश होती हुई हाँ कह दी और उनके साथ रूम लॉक कर निकल गई गुलाबी पूजा के साथ...वो तो और खूबसूरत लग रही थी गुलाबी साड़ी,गुलाबी लिपस्टिक,गुलाबी सैंडल,गुलाबी हेयरबैंड,गुलाबी नेलपॉलिश...सुपर.
मैं और पूजा श्याम के संग बाइक से करीब एक घंटे तक चलने के बाद मेला पहुँचे...श्याम ने बाइक स्टैंड में बाइक लगा दी..इस दौरान अकेली लड़की देख ना जाने कितने कमेंट सुनने को मिल गए...

पर हम दोनों कोई जवाब दिए बिना बस बातों में मशगूल मजे लेती रही कमेंट्स के...कुछ पल में श्याम के साथ मंदिर की तरफ गई जहाँ भक्तों की काफी भीड़ थी...हम दोनों लेडिज लाइन में लग गई मंदिर में जाने के लिए..

जबकि कुछेक दूरी पर मर्दों की लाइन थी, जिसमें से कुछ तो चुपचाप थे और कुछ सभी लेडिज को देख हल्के से कमेंट्स कर रहे थे...अजीब इंसान है...भगवान के सामने भी नहीं चुप रहते...

खैर कुछ ही पलों में हम दोनों भगवान के सामने शीश नमन किए...तभी मेरे सर पर हाथ पड़ी और सरकती हुई नंगी पीठ पर रगड़ गई..मैं चौंक सी गई और उठी तो सामने पंडा थे जो मंदिरों में रहते हैं...

ऐसी रगड़ तो सिर्फ वासना की होती है, जिसे हम लेडिज लोग अच्छी तरह पहचान लेते हैं..वो मेरी तरफ वहशी निगाहों से देख आशीर्वाद में कुछ बुदबुदाते हुए प्रसाद बढ़ा दिया..जिसे मैं ली और चुपचाप वापस हो ली...

पूजा: "दीदी, ये तो पाखण्डी लगता था...देखी कैसे पीठ सहला रहा था कमीना..." पूजा चुप ना रह पाई और अपनी व्यथा कह डाली...

"छोड़ ना...आदत होगी उसकी...सभी को शायद ऐसे ही आशीर्वाद देते होंगे...चल अब घूमते हैं कुछ..."मैं बातों को टालती हुई बोली..पर पूजा बोल तो सच ही रही थी...वो भी कुछ समझ चुप रह गई...

पर श्याम अभी भी अंदर ही थे...हम दोनों बाहर खड़ी हो उनके आने का इंतजार करने लगी...कुछ ही देर में वो आते हुए दिखे पर वो अकेले नहीं थे...उनके साथ एक लेडिज थी जो साथ में हंसती हुई बातें करती आ रही थी...

हम दोनों कुछ समझ नहीं पा रही थी कौन है ये..तू तक श्याम मेरे निकट पहुँचते हुए बोले,"सीता, ये मेरी दोस्त है. सुमन..और सुमन से मेरी पत्नी सीता और ये पूजा.."

फिर ना चाहते हुए भी हम ने सुमन को हैलो बोली और फिर हम सब चल दिए...रास्ते में चुपके से श्याम कह दिए कि गर्लफ्रेंड है...जिसे सुन हम दोनों के होंठों पर मुस्कान तैर गई और थोड़ी जलन भी...

जलन इसलिए कि श्याम की प्रार्थना भगवान ने सुन ली और इनकी गर्लफ्रेंड से मिला दिए और हम दोनों....हम दोनों को ठेंगा दे दिए..खैर अब इन्हीं के साथ घूमती हूँ...

"आप अकेली आई है क्या..?"मैं अचानक सुमन से सवाल कर गई...मैं तो सोची कि ये मेरी सवाल से नर्वस हो जाएगी पर वो बोल्ड होती हुई हंसती हुई बोली,"नहीं...मैं अपने दोस्त के साथ आई थी पर यहाँ उसका बॉयफ्रेंड मिल गया तो थोड़ी देर में आती हूँ कह निकल गई और फिर मैं यहाँ एक घंटे से उसके इंतजार में खड़ी थी..."

उसकी बात सुन हम सब हँस पड़े...मन ही मन बोली कि हाँ अब तुम्हारा भी बॉयफ्रेंड मिल गया तो तुम भी उड़ जाओ कहीं...तभी मेरी नजर बगल में पूजा की तरफ मुड़ी तो वो नदारद थी...मैं डरती हुई श्याम से बोली,"पूजा कहाँ गई..."

श्याम भी चौंकते हुए रूकते हुए चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोले,"तुम्हारे साथ ही तो आ रही थी...हम दोनों तो आगे चल रहे थे..."

"हाँ पर जैसे ही मैं अभी इनसे बात करने थोड़ी आगे हुई इसी बीच कहाँ गायब हुई देख नहीं पाई..."मैं थोड़ी परेशानसी होती हुई बोली...श्याम के चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी और वो चारों तरफ नजर घुमा ढ़ूँढ़ रहे थे...

अचानक सुमन बोल पड़ी,"श्याम, वो वहाँ गोलगप्पे के पास कौन खड़ी है.." सुमन की आवाज से हम दोनों उस तरफ देखे...जो कि मेले के सबसे एकांत सी जगह थी...मेरी नजर तुरंत ही पूजा को पहचान ली...वो पूजा ही थी...

तभी मेरी नजर उसके साथ बंटी और सन्नी पर पड़ी जो पूजा के साथ गोलगप्पे खा रहे थे...सारा माजरा समझ में आ गई...श्याम भी देख चुके थे और वो मेरी तऱफ घूरने लगे कि ये क्या चक्कर है...

"वो दोनों पूजा के दोस्त हैं कॉलेज के...वही ले गया होगा..."मैं श्याम के सवालिया नजरों का जवाब देती हुई बोली..श्याम को थोड़ा गुस्सा आ गया कि कम से कम बता कर तो जाती...और श्याम भी तुरंत समझ गए कि किस टाइप का दोस्त है और उसे मैं भी अच्छी तरह जानती हूँ...

श्याम: "ठीक है, जाओ पूजा के पास..जब उसका पेट भर जाए लेती आना..तब तक हम इधर घूमते हैं...फोन कर लेना...ओह सिट..तब से ध्यान ही नहीं आया कि पूजा के पास भी तो फोन है...मैं भी ना. "

श्याम की बात से हमें थोड़ी हंसी भी आ गई...फिर ओके कह मैं वहाँ से निकल गई पूजा की तरफ..कुछ दूर जाकर जब वापस मुड़ी तो हमें हंसी आ गई...श्याम सुमन के हाथ में हाथ डालकर चल दिए थे...

मैं जैसे ही सीधी हुई कि एक जोरदार टक्कर हो गई...ओहहह गॉड....आउच्च्च्चचच...मर गईईईईईईई...एक लड़का फिल्मी स्टाइल में पीछे मुड़ने का फायदा उठा ठीक सामने से मेरी एक चुची पर हाथ रख टक्कर मार दिया और हटते वक्त बड़ी सफाई से कस के मसल भी दिया..

"मैडम, भीड़ में आगे देख कर चला करो..कहीं आपका बम फट जाता तो मैं तो गया काम से..."उस लड़के को मैं कुछ कहती इससे पहले ही वो बोल पड़ा और चल दिया...उसके साथ दो और लड़के थे जो उसके पीछे बारी-2 से मेरी चुची पर ही नजर गड़ाए आगे निकल गया...

कुछ देर तक वहीं मूक बनी खड़ी उसे जाते देखती रही कि कितना कमीना था...एक तो मजे भी लूट लिया और गलती हमही को बोल आसानी से निकल गया...उसकी शरारत पर अचानक मेरी हंसी निकल पड़ी...और ठीक उसी वक्त वो तीनों लड़का भी आगे बढ़ मेरी तरफ पलट गया...

और मुझे हँसते देख वो आश्चर्य से भर गया और अचानक मेरी तरफ बढ़ने लगा...मैं उसे अपनी तरफ आते देख चौंकी और तेजी से मुड़ पूजा की तरफ चल दी...पूजा तक आने के चक्कर में मैं खुद कई बार कई औरतें,लड़के,अंकल से टकरा गई...काफी हंसी आ रही थी खुद पर.
पूजा के समीप पहुँचते ही पूजा पर बरस पड़ी, पर पूजा मेरी बातों को दरकिनार कर बस गोलगप्पे खाने में मशगूल रही...अंत में पूजा के शरीर अपनी तरफ करते हुए लगभग डाँटती हुई बोली,"ऐ...मैं तुमहे ही कह रही हूँ..कुछ सुन भी रही है या बहरी हो गई..."

जिस पर वह मेरी तरफ गोलगप्पे दिखाती हुई बोली,"खाओगी...?"

उफ्फ्फ...अजीब किस्म की लड़की है ये...इस पर कोई असर ना देख बंटी को बुरा भला सुनाने लगी...जिस पर वह दूसरी तरफ हो गया और सन्नी को मेरे सामने कर दिया...सन्नी गोलगप्पे की प्लेट रखता हुआ मेरी बाँह पकड़ा और चलने लगा..

"भैया जी, मेमसाब को साइड में ले जाओ तभी शांत होगी...बहुत गरमी है इनमें..." पीछे से गोलगप्पे वाले ने आवाज दी जिसे सुन पूजा और बंटी की हंसी साफ सुनाई दी...मैं गुस्से में उसकी तरफ लपकनी चाही पर सन्नी कस के दबोचता हुआ दूसरी तरफ खींचता चला गया...

गोलगप्पे वाले के पीछे कुछ दूर हट के एक पुराना खंडहरनुमा घर था...आगे एक बड़ी सी वृक्ष जो पूरी तरह उस घर को ढ़ँक रही थी...एकदम गुप्प अंधेरा...शाले मेला संचालक को इस पर ध्यान देनी चाहिए..कम से कम एक लाईट तो दे देते...पर वो मेला से इतनी दूर थी कि शायद जरूरत नहीं समझा होगा...

फिर ये गोलगप्पे वाला इतना एकांत में क्यों है...जबकि इसे मालूम है कि गोलगप्पे ज्यादातर लड़की ही खाती है...यही सब सोच ही रही थी कि तभी सन्नी एक दीवाल से हमें चिपकाता हुआ मेरे होंठों पर टूट पड़ा...

मैं गुस्से के कारण खुद को अलग करना चाह रही थी पर वो अगले ही पल मेरी चुची पर कब्जा करता हुआ रगड़ने लगा...जिससे मैं ज्यादा देर तक खुद को रोक नहीं पाई...और लगी मैं भी चूसने...हम दोनों की किस तब टूटी जब बगल में हरकत हुई कुछ...

मैं रूकती हुई अंधेरे में हाथ बढ़ाई तो मेरे हाथ सीधी किसी लड़की के चुची पर पड़ गई...उसने बिना कुछ कहे मेरे हाथ पकड़ के हटा दी..मैं कुछ कहना चाहती थी पर तब तक सन्नी दुबारा किस करने लगा...मैं भी उस तरफ से ध्यान हटा किस करने लगी...

जब मेरे होंठ दर्द करने लगी तो सन्नी से हल्की अलग हो गई...सन्नी भी समझ गया...वो अलग हो मेरे हाथ थामा और बाहर की तरफ रूख कर लिया...मैं बाहर निकलते वक्त एक बार फिर गौर की उस लड़की की तरफ कि कौन है और लड़का कौन है...पर अंधेरे की वजह से नहीं पहचान पाई...

बाहर निकल जब हल्की रोशनी पड़ने लगी तो सन्नी रूक गया और बोला,"हाँ तो मैडम जी क्या कह रही थी आप...?" सन्नी की बात सुन मेरी हंसी निकल गई...कमीना पहले तो जबरदस्ती किस कर बात को बदल देता है, फिर पूछता है क्या बात है...

मुझे हंसता देख बोला,"दरअसल मुझे नहीं पता था पूजा मेरे इशारों से ही चली आएगी...साथ में आपके पति थे तो हिम्मत नहीं हुई निकट जाने की तो जब पूजा हमलोगों को देखी तो बंटी ने आने का इशारा कर दिया...हम दोनों देखते रह गए कि ये पागल हो गई है क्या...फिर निकट आते ही बोली डरते क्यों हो...भैया पूछेंगे तो कह दूंगी दोस्त हैं...उनकी भी तो दोस्त मिल गई है यहाँ तो मेरे दोस्त से प्रॉब्लम क्यों होगी...फिर हमें क्या दिक्कत होती भला...और इतनी परेशान क्यों हो रही जब फोन था ही तो एक कॉल कर लेती..."

"अचानक से गायब हो गई ना तो ध्यान ही नहीं रहा कि फोन कर लूँ..चलो अब.."मैं भी शांत होती हुई बोली...तो वो मुस्कुराते हुए बोला,"चलो गोलगप्पे खाते हैं..."

"नहीं, मुझे नहीं खानी उसके पास...शाला कैसे बेशर्मो की तरह चिल्ला के बोल रहा था...सुना नहीं.."अचानक से मुझे गोलगप्पे वाले की बात याद आ गई...मैं सन्नी के साथ आगे बढ़ती हुई बोल पड़ी..

सन्नी: "अरे वो वैसा नहीं है..बस बोलने की बीमारी है...दरअसल ये वीमेंस कॉलेज के पास रोजाना बेचता है तो लड़कियों से सीख लिया ज्यादा बोलना..और लड़कियों से हॉट बातें करना ये अच्छी तरह जानता है...एक खास बात ये भी कि अब तक ये सैकड़ों प्रेमी युगल को मिलवा चुका है, पर गद्दारी या गलत फायदा कभी नहीं उठाया किसी का...पर मजाक सबसे करता रहता है एकदम ओपेन...अब चलो और तुम भी कुछ मजे ले लो..मस्त कर देगा..."

मैं उसकी कहनी सुनते-2 गोलगप्पे वाले के पास पहुँच गई...मेरी नजर उन तीन लड़कों को ढ़ूँढ़ने लगी जिनसे टकराई थी...पर वो कहीं नहीं दिखे..तभी मेरी तरफ देख गोलगप्पे वाला दाँत दिखाता बोला,"गुस्सा शांत हुआ कि, और चाहिए कुछ.." उसकी बात सुन सब के साथ मैं भी हँस पड़ी...

"देखा मेमसाब,इनके साथ कुछ देर खड़ी रही तो इतनी खुश हो गई...जब ये साथ में सोएगी तो किता खुश होगी..." अपने आदत से मजबूर उसने मजाकिया लहजे में बोल पड़ा जिसे सुन मैं शर्म से मुँह दूसरी तरफ कर ली जबकि वो तीनों जोर से हँस पड़ा...

"लो मैडम, मेरा वाला भी मुँह में ले को देखो कि कैसा टेस्ट है..."एक बार फिर उसने एक और द्विअर्थी शब्द बोल दिया..इस बार मैं खुद की हंसी रोक नहीं पाई और हंसती हुई वापस मुड़ प्लेट पकड़ गोलगप्पे खाने लगी...

जब तक खाती रही वो कुछ ना कुछ बकड़-2 करता रहा...तभी मेरी नजर उसी अंधेरे से निकलती लड़के-लड़की पर पड़ी...पर पहचान नहीं सकी...फिर हम सब वहाँ से निकल लिए..फिर कुछ देर तक मस्ती में इधर उधर अपने-2 साथी के हाथों में हाथ डाल घूमती रही...

बाहर तो ज्यादा भीड़ नहीं थी पर अंदर मुख्य मेले की जगह भीड़ काफी थी..इस भीड़ में सन्नी के हाथ तो मेरे हाथ पकड़े थे पर औरों बगल से गुजरने वाले के हाथ सीधा मेरी चुची के साइड पर पड़ती या फिर पीछे चूतड़ पर...इन सब के बीच हम दोनों मस्ती में डूबी घूमती रही अपने यार के संग...फिर अचानक से पूजा बोली...

पूजा: "दीदीजी, अभी तक आपके पति महोदय नजर नहीं आए हैं..."

"इतनी भीड़ में वो बगल से भी गुजर जाते होंगे तो मालूम थोड़े ही पड़ेगी.."मैं अपनी बात से पूजा को संतुष्ट करती हुई श्याम पर ज्यादा चर्चा नहीं करना चाहती थी हम और पूजा श्याम के साथ किस तरह रहते हैं..
हम सब पूरे मेले में पहले तो सिर्फ चक्कर ही काटते रहे...कभी कभी किसी मेले में लगी दुकान पर खड़ी टाइम पास करती...पूजा कुछ अपने लिए सामान भी खरीदी तो मैं भी कुछ-2 ले ली...

फिर हम सब मनोरंजन क्षेत्र की तरफ घुसी जहाँ तरह-2 के मनोरंजन के साधन थे...हम चारों फिर इनमें खूब सारी मस्ती की...बड़ी वाली झूला पर जब चढ़ी तो मैं तो डर से पानी-2 हो गई थी और सन्नी से चिपक गई थी...

बस सन्नी को पूरा मौका मिल गया...जैसे ही झूला ऊपर की तरफ बढ़ती वो मेरे होंठों को अपने दांतों से दबा लेता और मेरी साड़ी के अंदर हाथ डाल चुची मसलने लगता...बिना ब्रॉ में ब्लॉउज पर से महसूस होती कि सन्नी मेरी नंगी चुची मसल रहा है...

फिर जब नीचे की तरफ आती तो छोड़ देता क्योंकि इस तरफ से देखने वाले और झूला पर चढ़ने वाले की काफी भीड़ थी...मैं इस तरह की चुसाई में भी गर्म हो गई और फिर सन्नी का साथ भी देनी लगी...

जब झूले कई चक्कर लगाने के बाद रूकी तो मैं सन्नी से अलग हुई...उफ्फ्फ..मेरी साड़ी सीने से सरक कर हम दोनों के बीच फंसी थी...और सामने ढ़ेर सारे मर्द की निगाहें मेरी खड़ी निप्पल को घूर रही थी जो ब्रॉ की अनुपस्थिति में ब्लॉउज से साफ झलक रही थी...

और ऊपर से तेज लाइट में मेरी चुची भी कुछ-2 दिख रही थी...मैं तेजी से साड़ी खींची और बदन पर रख ली...पर इस दौरान ना जाने कितने लोग अपनी आँखें सेंक चुके थे...

मैं उठी और तेजी से सन्नी के पीछे हो ली...तभी पीछे से किसी ने कंधे पर हाथ रख दी...पलटकर देखी तो पूजा थी जिसे देख मेरी हँसी निकल पड़ी...

"अपने लिपिस्टिक साफ कर लो, ओंठ से बहकर नीचे पूरी फैली हुई है...ही..ही..ही..."मैं पूजा धीमे से हँसती हुई बोली जिसे सुन पूजा बंटी से हैंकी मांगी और चारों तरफ नजर दौड़ाती लिपिस्टिक साफ करने लगी...

पर कुछ लोग तो गुलाबी पूजा की चोरी पकड़ ही ली थी और देख कर मंद-2 मुस्कुरा रहे थे...तब तक हम बाहर निकल गए...तभी मेरी नजर सामने पड़ी..ओह गॉड..मर गई...

झूले पर चढ़ने वाले की लाइन में रूम मालिक भी अपने फैमिली के साथ लगे थे...क्या मुसीबत थी..आज सुबह ही वो मुझे दोस्त माने थे और अभी मुझे किस हालत में देख लिए...

बीवी के डर से तो इस वक्त टोकेंगे नहीं पर जब अगले दिन मुलाकात होगी तो क्या जवाब दूँगी...सोचने से ही मेरी फट रही थी...और ऊपर से उनकी बड़ी होती आँखें...मैं सबको चलने बोल तेजी से खिसक ली...

अब तो मैं ज्यादा देर तक रूकना नहीं चाहती थी...पूजा से फोन ली जो कि वो पर्स में डाल रखी थी और श्याम को फोन करने लगी...ऐसे परेशान देख वो तीनों आश्चर्य से मेरी तरफ देखे जा रहे थे आखिर हुआ क्या...

"हाँ हैल्लो, कहाँ हैं अभी...पूरी रात घूमना ही है क्या...घर नहीं जाना.."श्याम के फोन उठाते ही मैं बोल पड़ी...

"हाँ बस आ ही रहा हूँ...बस 10 मिनट और..तुम लोग को हो गया क्या..?"उधर से श्याम की आवाज आई..

"हाँ.."मैं एक ही शब्दों में अपनी बात कह दी और असलियत बात दबा दी..

"अच्छा ठीक है, तुम लोग स्टैंड के पास रूको, मैं वहीं पहुँच रहा हूँ...और हाँ अपने दोस्त को मेरे आने तक जाने मत देना...तुम दोनों अकेली मत रहना..ठीक है.."श्याम ने पूरी बात एक ही सुर में कह दिए...जिसे सुन मैं ओके कह फोन काट दी...

कुछ ही पलों में हम सब स्टैंड के पास थे...यहां रूकते ही पूजा पूछ बैठी,"क्या हुआ जो ऐसे अचानक चली आई.."

मैं पूजा की तरफ मुस्कुराती हुई बोली,"हुआ कुछ नहीं,..बस अब घूमने की इच्छा नहीं हो रही है इसलिए चली आई...तुम्हे और घुमनी थी क्या..?"

पूजा: "नहीं पर ये बात नहीं है...जरूर कोई बात है जो हमसे छिपा रही हो...नहीं बतानी हो तो कह दो, मैं नहीं पूछती..."

मैं पूजा की नाराजगी उसकी आवाजों में साफ सुन ली थी..सो मैं बोली,"वो वहाँ झूले से उतरते रूममालिक देख लिए थे..और हम दोनों को ऐसी हालत में देख लिए तो शायद कहीं उन्हें बुरा लगे और गुस्से में हो हल्ला करेंगे तो अच्छा नहीं ना होगा...वैसे भी काफी मस्ती कर ही ली तो सोची अब घर ही चली जाए..."

मेरी बात सुन पूजा कुछ बोल नहीं पाई..शायद वो भी स्थिति को समझ गई थी...तभी सामने से श्याम और सुमन एक दूसरे का हाथ थामे हंसते हुए चले आ रहे थे...उन्हें देख पूजा और मैं नजरों में ही मुस्कुरा पड़ी...

"तुम दोनों अभी घूमोगे या चलोगे..?" मैं बंटी और श्याम से एक ही साथ पूछी...

"अब यहाँ रह के घंटा बजाएंगे क्या...मैं भी बाइक निकाल रहा हूँ.." कहते हुए दोनों बाइक लेने चले गए...तब तक श्याम और सुमन भी आ गए और मुस्कुराते हुए बाइक लेने चले गए...

हम तीनों अपने-2 यार का इंतजार करने लगी...कुछ ही पलों में तीनों अपनी-2 बाइक हम तीनों के पास खड़ी कर दिए...तभी श्याम बंटी और श्याम से बोले,"बात ऐसा है कि सुमन की दोस्त मिली थी तो हमारे साथ देख बोली कि आप सुमन को घर तक ड्रॉप कर देना और वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ चली गई...तो अगर आप दोनों अगर फ्री हो तो इन दोनों को ले कर चलिए और सुमन को पहले छोड़ देंगे फिर इन्हें ले जाएंगे..."

"कैसी बात करते हैं आप, इतनी रात को भला क्या काम रहेगा..चलिए...साथ ही चलेंगे और इनको ड्रॉप करने के बाद ही हम निकलेंगे..."बंटी बोला जिसके साथ सन्नी भी हाँ में हाँ मिला दिया...

और फिर इतना सुनते ही मैं सन्नी की बाइक पर बैठ गई...और पूजा बंटी के साथ जबकि सुमन श्याम के साथ बैठ के चिपक कर बैठ गई...और फिर हम सब एक साथ निकल पड़े.
करीब आधे रास्ते चलने के बाद श्याम एक जगह रूके जहाँ से एक सड़क दूसरी तरफ निकल रही थी..पीछे से बंटी और सन्नी भी बाइक को श्याम के बगल में रोक दिए...

"इधर ही जाना है क्या..?"सन्नी उस दूसरी तरफ निकली सड़क की ओर इशारा करते हुए बोले...

"हाँ और आप लोग को किधर जाना है..."श्याम सन्नी की बात का जवाब देते हुए बोले...

"हम दोनों का घर आपके इलाके से 3-4 किमी और आगे है पर हमारी छोड़िए, पर अब ये कहिए यहाँ रूक कर आपका वेट करूँ या आहिस्ते-2 आगे बढूं.."बंटी बीच में अपनी बात रखते हुए बोला...

"फिर तो अच्छा ही है...आप लोग इन दोनों को लेकर निकलिए...मैं सुमन को ड्रॉप कर के आता हूँ..ठीक है..?" श्याम गंभीरता से मुस्कुराते हुए बोले...

"ओके, ठीक है...मैं इन्हें घर तक ड्रॉप कर निकल जाऊंगा..."सन्नी कहते हुए अपनी बाइक स्टॉर्ट कर दी...श्याम भी ओके कह निकल गए सुमन को छोड़ने...और इधर हम दोनों की बाइक भी चल पड़ी...

फिर मैं और पूजा अपनी-2 बाइक सवार से कस के चिपक गई...साड़ी पहनी थी तो उतनी ढ़ंग से नहीं चिपक पा रही थी पर ऊपर से दोनों चुची उनकी पीठ में तो धाँस ही चुकी थी...

तभी मैं अपने हाथ सरकाते हुए लंड के समीप ले गई और हल्के-2 दबाने लगी...सन्नी अपने लंड पर हाथ महसूस करते ही कराह पड़ा...सन्नी को भी बड़ा मजा आ रह था ऐसे बाइक चलाते....

उधर पूजा की तरफ नजर की तो वो भी बंटी के लंड को जिप से बाहर करने में लगी थी...पर निकल नहीं रही थी जींस से...मैं भी उसकी देखा-देखी सन्नी की जिप खोल दी और हाथ अंदर कर लंड को अंडर वियर से बाहर करने लगी...

तभी बंटी अपनी बाइक काफी स्लो कर ली...मैं और सन्नी एक साथ उसकी तरफ नजर की तो बंटी लंड निकालने के लिए बाइक स्लो की थी और अगले ही पल उसका लंड पूजा के हाथों में थी...

सन्नी भी तेजी से बाइक स्लो किया और झटपट में अपना लंड मेरे हाथों में भर दिया और फिर दोनों लंड मसलवाते बाइक चलाने लगा...अभी 5 मिनट ही हुए थे कि बंटी ने अपनी बाइक अचानक से एक सिंगल सड़क में घुमा दी और कुछ दूर आगे चल कर एक बड़ी सी बिल्डिंग के पास रूक गया...

दिखने से ये कोई कॉलेज लग रही थी...सन्नी तब तक कुछ आगे बढ़ गया था...शायद सन्नी आगे बढ़ना चाहता था और बंटी भी रूकने के लिए बोला नहीं था...आगे से मुड़ कर जब पूजा के पास आई तो ये क्या...दोनों शुरू हो गए थे यहीं सड़क पर...

आसपास नजर दौड़ाई तो कहीं कोई नहीं था...वैसे भी कॉलेज में कौन रात को रहता...
गेट के पास स्ट्रीट लाइट जल रही थी पर उसकी रोशनी पूरी तरह हमारे निकट नहीं पहुँच रही थी ..बस परछाई लग रहे थे हम सब..

पूजा तेजी से बंटी के लंड को मुँह में भर आगे पीछे कर रही थी, जबकि बंटी बाइक पर दोनों पैर एक तरफ किए खड़ा मस्ती से आहें भर रहा था...सन्नी अगले ही पल मेरी कलाई पकड़ अपनी तरफ खींचा और मेरी गर्दन पर हाथ रख हल्के दबाव दे डाला नीचे झुकाने के लिए...

इतने देर से लंड की गर्मी पा कर गर्म तो हो ही गई थी...तो बिना कोई विरोध किए अपने होंठ सन्नी के लंड से छुआते मुंह में भर ली...मेरे होठों की गरमी पाते ही सन्नी की आह निकल गई और वो सिससकारी लेने लगा...

मैं उसे और मजे देने की सोच तेज-2 चुप्पे लगाने लगी और उसके अण्डो को निचोरने लगी...सच में काफी एक्साइटेड हो रही थी मैं...खुली सड़को पर बेफिक्र हो कर लंड चूस रही थी....

करीब 5 मिनट की ननस्टॉप चुसाई में ही सन्नी बदहवाश हो गया और तेजी से मुझे अपने लंड से जुदा कर दिया...अलग होते ही मेरी नजर पूजा की तरफ गई तो वो भी हाँफ रही थी और बंटी अपना जींस खोल रहा था...

बंटी को नंगा होते देख सन्नी भी अपना जींस खोलने गया...मतलब चुदाई होने वाली थी हम दोनों की...पर किसी के आ जाने की डर मेरे अंदर जग गई...

"सन्नी, कोई आ जाएगा...यहाँ सड़क पर ठीक नहीं होगा..."मैं अपनी डर को बाहर करती बोल पड़ी...जिसे सुन बंटी और सन्नी एक साथ मेरी तरफ देखने लगे...

"...मतलब लंड अभी खड़ा है और चूत चोदेंगे कल..." बंटी सेक्स की आग में जलता खिसियाते हुए बोल पड़ा और अपना जींस बाइक की हैंडल में फंसा दिया...

"नहीं, मैं वो नहीं कह रही..आज ही करना पर यहाँ खुले में ठीक नहीं...." मैं अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाई कि बीच में बंटी बोल पड़ा,"चुपचाप रह समझी...आज तो हम दोनों ही चोद रहे अगर ज्यादा चपड़-2 की तो 10 लौंडे को बुलवा लूंगा अभी और बीच सड़क पर चोदूँगा दोनों को..शुक्र मना कि साइड में चोद रहा हूँ..."

कहते हुए बंटी अपनी बाइक को बड़ी स्टैंड पर खड़ी करने लगा...मैं बंटी के इस स्वभाव से थोड़ी डर गई और चुप रहने में ही भलाई समझी...तभी सन्नी अपना जींस बाइक पर रखने आगे बढ़ा और मेरी तरफ देखते हुए बोला,"कुछ नहीं होगा..रात के 12:30 बज रहे हैं और उधर मेन रोड छोड़कर कोई इधर सुनसान कॉलेज गली में नहीं आएगा...इधर किसी का घर भी नहीं है...बस कॉलेज है.."

पूजा: "यस दीदी, कॉलेज बंद हो तो दिन में इधर कोई नहीं फटकता..अभी तो रात है...लेट्स इंज्वाय...वैसे भी जीजू सुमन जी की लिए बिना तो आएंगे नहीं..." पूजा के कहने से थोड़ी राहत हुई डर से...पर अंदर ही अंदर एक अलग रोमांच भर गई तन बदन में शहर के बीच सड़कों पर चुदने की सोच से...

फिर सन्नी ने भी अपनी बाइक बड़ी स्टैंड पर कर बंटी के बाइक से बिल्कुल सटा के खड़ा कर दिया...फिर दोनों बाइक के दोनों तरफ खड़ा हो हम दोनों को एक साथ आने का इशारा किया...

"आजा रण्डियों, आज खुले सड़क पर कुतिया की तरह चोदता हूँ...तेरा भड़वा दूसरी औरत को चोदता फिरता है तो तू भी दूसरे लंड को लेती रहा कर..." हम दोनों बंटी और सन्नी की गाली को मजे से सुनती उनकी तरफ बढ़ने लगी..
जैसे ही हम दोनों उसके निकट पहुँचे हम दोनों की साड़ी पलक झपकते ही जमीन पर थी...इतनी तेजी से उसने साड़ी पकड़ के हमें नचा दिया कि पूरी की पूरी साड़ी खुल गई...अब हम दोनों केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी...

उन दोनों के जंगलीपन हम दोनों को और मस्ती की गहराई में डुबो रही थी...मैं और पूजा के बीच दो बाइक की दूरी थी जहां हम दोनों की एक साथ अलग-2 मर्दो की प्यास बुझाने खड़ी थी...तभी सन्नी आगे हाथ बढ़ा मेरी ब्लॉउज पकड़ अपनी तरफ खींचा...

कपड़े तो मजबूत थे पर ब्लॉउज के हुक इस हमले को नहीं सह सकी और पट-2 करती टूट गई...यही आवाज पूजा की तरफ से आई और आज की पिंक पूजा बीच सड़क पर नंगी हो गई...

और अब मैं सन्नी के कैद में जकड़ी हुई थी जहाँ उसका अंडरवियर से बाहर निकल चुका लंड सीधा पेटीकोट को धँसाती मेरी बुर में घुसने को आतुर थी...तभी सन्नी ने पेटीकोट के नाड़े खींच दिए और हल्के लंड को पीछे खींच लिया...जिससे पेटीकोट सरकती हुई नीचे चली गई...

तभी दूसरी तरफ बंटी पूजा को लिए दोनों सट के लगी बाइक की सीट पर पीठ के बल लिटा दिया...जिससे पूजा की चूतड़ बंटी की बाइक पर थी जबकि चेहरा सन्नी की बाइक पर पड़ गई...

"आज दिखाता हूँ कि असली चुदाई क्या होती है शाली.."कहते हुए सन्नी मेरी छाती पर हाथ रख पीछे की तरफ ढ़केल दिया..जिससे मैं पूजा के ठीक बगल में पीछे की तरफ गिर गई और गिरने से हल्की दर्द में आह निकल पड़ी...

अब हम दोनों बाइक पर लेटे हुए थे बस बूर से नीचे का हिस्सा जमीन पर था...अपना चेहरा पूजा की तरफ की तो उसकी बूर पर बंटी लंड रगड़ रहा था...और तभी सन्नी का लंड भी मेरी बुर पर महसूस हुई जिसे पूजा आसानी से देख रही थी...

तभी सन्नी और बंटी ने आगे झुक हम दोनों की चुची को कस के पकड़ा और वन-टू-थ्री कहता पावर गियर में जड़ तक लंड पेल दिया...हम दोनों की चीख इस वीरान सड़कों पर गूँज उठी जो कॉलेज की दीवारों से टकरा के देर तक सुनाई देती रही....

पर इस चीख से उन दोनों को कोई असर नहीं हुआ और बेफिक्र हो लगा दनादन पेलने...हम दोनों की चुदी चुदाई बुर रहने के बावजूद उसने चीख निकलवा दी, सोचनीय थी...वो ऐसे चोदता रहा मानों कि कोई मशीन अपनी गति से चल रही हो..सटासट-सटासट-सटासट....

कुछ देर तक दर्द से बिलबिलाने के बाद जब कुछ शांत हुई तो मेरी चीख सिसकारी में बदल गई..."ईसससस...आहह..आहहहह...ओहहहह..यससस..सन्न्न्न्नी...और जोर सेऐऐऐऐऐ....आउच्च्च्च्च...यससस..."

साथ में पूजा भी सेक्स की आग में तड़पती गंदी गंदी गालियां भी बकने लगी,"हाँ ऐसे ही कमीने...जोर से पेल आहहहहह नाआआआआ बहनचोददददद....आउउउउउउउ..साले मैं तेरी बहन नहीं जो आराम से चोद रहाआआआआआआआआआ...."

पूजा की आवाज अचानक आआआआ में बदल गई...बंटी गाली सुनते ही उसकी चुची इतनी जोर से उमेठ जो दिया था और वैसे ही उमेठे तेज धक्के लगाता हुआ बोला,"मादरचोद, बहनचोद बोलती है रण्डी...कुतिया ना बनाया तुझे अपना तो बंटी मेरा नाम नहीं...ले राण्ड की पैदाइश...तेरी तो पूरी खानदान चोदूँगा...बुला ला अपने गाँव से सबको...आहहहह...याहह..याहह..."

फिर इस कड़क चुदाई से मेरे मन में भी जिज्ञासा जग कि मैं भी और दर्दनाक चुदाई करवाऊँ...बस ये सोची और पटापट 10 रंग बिरंगी गालियाँ बक दी...फिर क्या..सन्नी भी गुस्से में मेरी चुची को इतनी जोर से उमेठा कि मेरी आँखों से अश्रु बह निकली और आवाज गुम...

पर वो दोनों तो पूरे दरिंदे बन गए थे...बिना किसी परवाह के तड़ातड़ पेलने लगा...काफी देर तक यूँ ही पेलता रहा दो जानवर हम दोनों को...ऐसा लगता था कि पावर कैप्सूल खा कर आया हो...

तभी उसने हम दोनों की चुचियाँ छोड़ दिया...चुची के आजाद होते ही हम दोनों की आवाजें भी आजाद हो गई और लगी गर्मी से परेशान कुतिया की तरह किकियाने...पर इसमें हम दोनों की संतुष्टि साफ सुनाई पड़ रही थी...सच में,आज की चुदाई जिंदगी भर नहीं भूलूँगी...

तभी सन्नी मेरे एक पांव जमीन से उठा अपने सीने तक कर लिया, जिससे मैं पूजा की बूर की तरफ आधी करवट में आ गई...पूजा तो पहले ही आधी करवट में थी...अब हालत ये थी कि पूजा के बूर ठीक मेरी नाक के सामने थी...और नीचे पूजा की नाक मेरी बूर के सामने...जिसमें लंड जड़ तक धँसे थे...

बूर-लंड की मिली जुली पानी की खुशबू अब हम दोनों के अंदर तक जा रही थी..फर्क थी तो बस ये कि ना बूर मेरी थी और ना मुझे पेलने वाला लंड...दोनों अलग...और इसकी रोमांच तो आग में घी डालने का काम कर रही थी...

तभी एक जोर की ठोकरें बूर में पड़ी जिससे मैं अपनी आहह निकालती मस्ती में डूबने लगी...और यही ठोकर पूजा की भी पड़ी...हम दोनों सेक्सी आवाजें करती आँखों के सामने एक दूसरे की बुर चुदते देख रही थी...

धक्के की तेज गति से मेरे हाथ पूजा की चूतड़ से पीछे की तरफ जा उसके जमीं पर वाले पांव की जांघ थाम ली और पूजा मेरी...अब तो हम दोनों के नाक से कभी-2 लंड टकरा जाता...और फिर लंड की खुशबू से खुद को ज्यादा देर तक नहीं रोक पाई...अपनी जीभ निकाल पूजा की बुर में घुसता निकलता बंटी के लंड पर रख दी...

नीचे पूजा भी सन्नी के लंड पर अपनी जुबान लगा दी और लंड का स्वाद चखने लगी जो कि मेरी बुर की पानी से सनी थी..इधर मैं भी अपनी लपलपाती जीभ बंटी के लंड पर रख पानी सोख रही थी जो पूजा अपनी बूर से निकाले जा रही थी...

हम दोनों की चुचियाँ आपस में दब रही थी...इस अनोखे ढ़ंग हो रही चुदाई से मजे और दुगने बढ़ गए थे...अंदर से एक आवाज निकल रही थी और...और...और...साथ हीमैं भी मना रही थी कि काश ये रात खत्म ना हो..
"आहहह...शाबास मेरी रण्डियों....इसी तरह आहहह...काफी मजा आ रहा है...हम दोनों की ये सदियों की तमन्ना आज तुम दोनों ने पूरी कर दी...आहहहहह.." बंटी मेरे सर पर हाथ रख सहलाता हुआ बोला...

मैं बिना कुछ सुने बस अपने काम में लगी रही...कुछ देर तक इसी तरह चुदती रही...तब अचानक ही मेरे मुंह और बुर दोनों जगह से लंड गायब हो गई...मैं थोड़ी तड़पी पर सामने रस बहाती पूजा की बूर ने इस कमी को खलने नहीं दी...मेरे और पूजा के मुँह एक दूसरे की बूर में घुस गई...

तभी बंटी और सन्नी ने इसी अवस्था में हम दोनों को एक तरफ पलट दिया...जिससे मैं नीचे और पूजा ऊपर आ गई...पर हम दोनों के मुख अब भी नहीं हटी...बस चुदाई की जलन में बूर खाती रही...

फिर सन्नी ने मेरे दोनों पैर उठी के अपने कमर से ऊपर खुद से लपेट लिया...और आगे चेहरे के पास बंटी का लंड दिखा जो ठीक मेरे माथे के ऊपर था और उससे लार टपक के मेरे चेहरे पर पड़ रही थी...

नीचे सन्नी के हाथ एक बार मेरी बूर पर पड़ी और वही हाथ सरक के मेरी गांड़ के छेद पर रेंगने लगी...ओह...गांड़ मारने के लिए छेद गीली कर रहा है...बंटी ने तो ढ़ेर सारा थूक पूजा की गांड़ पर उड़ेल दिया जिसका कुछ अंश बह के मेरे चेहरे पर भी पड़ी...

गांड़ मरवाने की सोच मैं खुद को तैयार कर ली थी और पूजा भी...फिर दोनों के लंड हम दोनों के गांड़ पर रगड़ खाने लगी और कुछ ही देर की रगड़ के बाद एक तड़के से सीधा रांग गली में प्रवेश करा दिया...

एक काँटें की माफिक तेज दर्द हुई जिसका असर सीधा हम दोनों की बूर पर हुआ...जोरों से बूर को मुह से जकड़ती दर्द को सहने की कोशिश करने लगी...और वो दोनों इस दर्द से बेखबर दनादन शॉट मारने लगे...

10-12 शॉट में गांड़ एडजस्ट हो गई...पूजा मेरे शरीर पर लदी थी पर फूल की भांति लग रही थी..कहते हैं ना औरत चुदाई के वक्त अपने से चार गुना ज्यादा वजन सह लेती है...पहले ये बात नहीं मानती थी पर आज देख भी ली और मान ली भी ..

फिर काफी देर तक मुझे नीचे कर गांड़ का चिथड़ा उड़ाया दोनों ने, फिर पूजा को नीचे कर गरदा मचाया सुनसान सड़कों पर...अब हम दोनों थकने लगी थी तभी तो बूर चूसाई बंद हो गई हमारी...

कुछ देर तक इसी तरह बजाने के बाद दोनों की चीख हल्की-2 आने लगी...मतलब अब ये भी चरम सीमा को पहुँच रहे थे...जबकि हम दोनों तो इतनी देर में ना जाने कितनी दफा चरम सुख प्राप्त की....

तभी दोनों ने तेजी से अपना लंड बाहर किए और हम दोनों को पहले की भांति अलग कर दिया...हम थक तो गए ही थे तो तुरंत ही अलग हो गई...और फिर दोनों सटाक से अपना-2 लंड दोनों बुर में घुसेड़ दिया...

पर इस बार कोई दर्द नहीं हुई..बस मस्ती में आह निकल गई...चार-पाँच तेज शॉट दोनों ने चीखते हुए मारे और फिर अपना लंड खींचते हुए दोनों हम दोनों के चेहरे पर लंड रख दिया...

और तभी बंटी के लंड से तेज पानी की धार निकली और मेरे चेहरे को भिगोने लगी...और दूसरी तरफ सन्नी मेरी बूर से अपना लंड निकाल पूजा के गुलाबी होंठों को लंड के पानी से सिंचने लगा..

हम दोनों लंड के गरम वीर्य से तृप्त हो रही थी...फर्क थी तो चोदा एक लंड ने जबकि पानी दूसरा लंड दे रहा था...झड़ने के बाद वो दोनों ने उसी मुंह में लंड साफ करने घुसेड़ दिया,जिस पर पानी गिराया था...

कुछ ही देर में मैं बंटी के लंड को साफ कर दी और पूजा ने सन्नी की...साफ होने के बाद दोनों हट गए हँसते हुए., जबकि हम दोनों अभी भी धमाके की हुई चुदाई में पस्त पड़ी थी...

करीब पाँच मिनट बाद दोनों ने अपने कपड़े पहन हाथों में मेरे कपड़े लिए हम दोनों के पास खड़े हो गए और बांह पकड़ उठा दिया...हम दोनों में इतनी हिम्मत नहीं थी कि बाइक से हट जमीन पर खड़ी होती...

फिर दोनों सहारे दे जमीन पर खड़ा कर दिए...फिर सन्नी ने मुझे आगे बढ़ा दूसरी तरफ खड़े बंटी व पूजा के पास ले गए और बोले,"बंटी, इसे भी पकड़ो मैं गाड़ी निकाल कर अलग करता हूँ..."

मैं और पूजा नंगी बेहोशी की हालत में बंटी के बांहों में पड़ी थी...तब तक सन्नी बाइक को मेन रोड की तरफ कर अलग कर दिया...फिर हम दोनों को किसी तरह बाइक पर नंगी ही बिठाया और मेरी साड़ी ले अपने पीठ से बाँध लिया...

हम दोनों उसके पीठ पर लद गए...

सन्नी: "यार ऐसे बेहोश में इसे घर कैसे ले जाएंगे...चलो अपने ही रूम पर लिए चलते हैं..सुबह पहुंचा देंगे..."

सन्नी की बात सुन बंटी हंसता हुआ बोला,"अरे कुछ नहीं हुआ इसे. .बस गरमी से बेहोश हो गई...बाइक पर हवा लगेगी तो दोनों होश में आ जाएगी..."

फिर दोनों चल पड़े...जब मेन रोड से चल बाइक मेरी गली की तरफ मुड़ी तो सच में मुझे होश आ गई...जबकि पूजा भी आँखें खोली थी पर अभी भी बंटी पर लदी थी...

रात की वजह से मैं नंगी होने के बावजूद तनिक भी शर्म नहीं आ रही थी...कुछ ही पलों में हम अपने घर के गेट के पास थी...बाइक से उतर हम दोनों वहीं पर बैठ गई...बंटी ने बाइक के डिक्की से पूजा की पर्स निकाला और गेट की चाभी सन्नी को थमा दिया..

सन्नी गेट खोला और बंटी बस हम दोनों को कंधे का सहारा दे रखा था जिससे हम दोनों चल कर अपने फ्लैट तक गए...और फिर हम दोनों धम्म से बेड पर पड़ गए...शुक्र है कि श्याम अभी तक नहीं आए थे...और फिर वो दोनों बॉय कह निकल गए....
सुबह ४ बजे मेरी नींद अचानक खुल गई..रात में इतनी थकान के बावजूद कैसे जग गई, मालूम नहीं...एक बात तो थी कि रात की दमदार चुदाई से एकदम तरोताजा महसूस कर रही थी...

बगल में श्याम पूजा से लिपटे सो रहे थे...पूजा भी सांप की तरह श्याम से लिपटी थी...अभी अगर कोई देख ले तो वो इन दोनों को मियां-बीवी कहेंगे और मुझे बहन...रात में श्याम कब आए,मुझे नहीं पता...

गेट सब तो सिर्फ सटी हुई थी क्योंकि हम दोनों तो आते ही पसर गई थी...श्याम आए तो लगाएं होंगे...खैर मैं उन दोनों को बिना डिस्टर्ब किए बेड से उतर गई और बाथरूम में चली गई...

फिर बाहर निकल सड़क पर नजर दौड़ाई तो अभी अंधेरा ही था...पर सड़कों पर लगी लाइट से काफी हद तक अँधेरापन जा रहा था...

मैं वहीं बालकनी में खड़ी हो ताकने लगी सड़कों पर और रूममालिक का इंतजार करने लगी...सच ही बोले थे कि नींद खुद-ब-खुद खुल जाएगी...

फिर मेले की बात जेहन में आते ही मैं सिहर गई...क्या जवाब दूंगी...एक बारगी तो मन हुई कि वापस जा कर सो जाऊँ..पर कब तक भागती..आज नहीं तो कल, उनके सामने तो पड़नी ही थी...

तभी दूर अँधेरे में कोई आती हुआ दिखाई दिया..मैं गौर से देखने लगी कि कौन हैं...अंदर ही अंदर रूम मालिक के डर से कांप भी रही थी...पर जैसे ही लाइट उन पर पड़ी तो स्पष्ट दिख गए...

कुछ ही देर में वे मेन गेट के पास रूक गए और मेरे फ्लैट की ओर निगाहें कर दिए...उनसे नजर मिलते ही मैं वेट करने बोल अंदर चली आई...

जल्दी से एक कॉटन टीशर्ट और कैप्री पहनी...फिर गेट खोल बाहर की तरफ निकल गई...गेट खुलते ही मेरी नजर उनके नजरें से जा टकराई...हम्म्म्म...नाराजगी साफ झलक रही थी...

मैं बाहर निकल गेट को सिर्फ सटा दी..मैंने गेट जैसे ही लगाई वो चल दिए बिना कुछ कहे..मैं तेजी से गेट को छोड़ी और उनके बगल में जाकर चलने लगी...

कुछ देर तक तो यूँ ही चुपचाप बस बढ़ती गई..उस ऑटो वाले केतन के मोहल्ले से गुजरती मेरी नजर उसके घर को ढूँढ़ने लगी.. पर इतनी सुबह कितने लोग जगते हैं समझ ही सकती हूँ...

अपनी इस नादानी हरकत पर हल्की मुस्कुरा कर रह गई...कुछ ही देर में हम इस मोहल्ले को क्रॉस कर दूसरे मोहल्ले में पहुँच गई थी...हम्म्म्म..दिखने से ही काफी रईस लगता था ये मोहल्ला...कोई भी बिल्डिंग की ऊपरी छत तो बिना सर ऊपर किए तो देख नहीं सकते थे...

खैर, अब काफी देर हो गई थी...ना मैं कुछ बोल रही थी और ना वो..बस चली जा रही थी..मैंने ही बातचीत की पहल शुरू करने की हिम्मत जुटाई और बोली,"सॉरी...." और उनकी तरफ देखने लगी ...

वो मेरे मुख से आवाज सुनते ही एकदम रूखे नजरों से मेरी तरफ घूरे...उन्हें अपनी तरफ देख मैं अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लाती हुई एक बार फिर सॉरी बोली पर इस बार आवाज नहीं, सिर्फ मुँह की पटपटाहट थी...

"क्यों....?" वो अपने सख्त लब्जों को अपने चेहरे पर हैरानी दिखाते हुए बोले...

मैं अब क्या जवाब दूँ इस क्यों का..उधेड़बुन में पड़ गई कि आगे की बात कहाँ से शुरू करूँ...आपत्तिजनक हालत में मैं पकड़ी गई थी तो हर बात को स्पष्ट करना काफी मुश्किल हो रही थी..किसी तरह आधी-अधूरी बात शुरू की,"वो...कल रात मेले में..."

"हाँ तो क्या मेले में...तुम्हें पसंद है वो सब करना तो करो...मुझे क्या..नेक्सट मंथ वैसे भी घर खाली करना है तुमलोगों को...आज शाम तक आपके पति को इन्फॉर्म कर दूँगा..."उसने एक ही लब्ज में अपने अंदर का गुस्सा बाहर कर दिया...तभी वे एक दूसरी सड़क की तरफ मुड़ गए..

मैं किसी गहरे चोट से आहत दर्द को सहने की कोशिश करने लगी...अपनी खोई इज्जत को पाने के बाद दुबारा खो दी...वैसे एक बात तो थी ये अलग किस्म के इंसान थे...

एक दम नेकदिल और खुले विचारों से परिपूर्ण व्यक्तित्व वाले...ना कोई डर ना कोई झिझक...और सबसे बड़ी बात उनका आदर्श...अगर कोई और रूम मालिक होता तो अब तक वो मुझे अपने लंड के नीचे सुलाए रहता...

खैर गलती मेरी थी तो क्या कह सकती थी...इतने अच्छे लोगों के साथ कितना गलत कर दी...इनके विश्वास को जख्मी कर दी...खुद को कोसने लगी...अब इस बात को ना छेड़ने की सोच ली थी...

तभी सामने एक पार्क दिखाई दी...पार्क उतनी बड़ी नहीं थी, पर काफी सुंदर और साफ सुथरी थी...हम दोनों अंदर घुसे और हरी भरी घासों पर तेज कदम,छोटे कदम की भांति टहलने लगे...

"तुम्हारे पति के साथ कौन थी...?" अचानक से वे मेरी तरफ मुड़े बिना पूछे..जिससे मैं हल्की चौंकती हुई उनकी तरफ देखने लगी..पर वो सीधी नजरें किए बस बढ़े जा रहे थे...

"..वो दोस्त थी उनकी...मेले में ही मिल गई थी..फिर हमारे दोस्त भी मिल गए तो हम सब साथ हो ली..."मैं अब सच्चाई से पेश आना चाहती थी...

"..फिर अलग-2 घूमने का आइडिया किसका था..." वो अबकी बार मेरी तरफ घूरे पर नजरें काफी भयानक थी मेरे प्रति...मैं डर से अपनी नजरें आगे की और बोली,"..उनका ही था...क्योंकि वो उनकी सिर्फ दोस्त ही नहीं, गर्लफ्रेंड भी थी..."

"...और तुम्हारी. .?"उन्होने जवाब खत्म होते ही एक और सवाल दाग दिया...मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि हाँ कहूँ या नहीं...कुछ निष्कर्ष नहीं निकाल पा रही थी...पर वो मेरे जवाब का इंतजार कर रहे थे...

कई चक्कर लगाने के बाद वे पार्क के अंतिम छोर पर पहुँचते ही वहाँ लगी बेंच पर बैठ गए और सुस्ताने लगे...थक गए थे शायद...उनसे ज्यादा तो मैं हांफ रही थी...मैं भी आगे बढ़ उनके बगल में बैठ गई....
"सबकी नजरों में तो बॉय फ्रेंड पर मेरी नजरों में नहीं.."मैं लम्बी साँसों को छोड़ती हुई बोली.. जिसे सुन वे मेरी तरफ देखते निगाहों से ही पूछ बैठे कि वो क्यों?

मैं कुछ रूक गई और फिर उनकी नजरों से नजरें मिलाती हुई बोली,"मैं प्यार सिर्फ अपने पति से करती हूँ..वे मेरी जिंदगी के पहले और आखिरी प्यार हैं..."

वो मेरे इस जवाब को सुन चेहरे पर सिकन लाते हुए बोले,"तो फिर ये सब..." मैं उन्हें भी एक दोस्त...नहीं, अच्छे दोस्त की तरह सारी बात कहने लगी...

"बस शरीर की भूख की वजह से...खुद को रोक नहीं पा रही...ऐसा नहीं है कि मेरे पति सेक्स में कमजोर हैं...पर मेरे अंदर पता नहीं क्या है..हर वक्त नए व्यक्ति,नई जगह,नई तरीके खोजती रहती..." मैं एकदम साफ लहजों में ये सब कह डाली...

जिसे सुन वे थोड़े चौंके और मुझे हैरानी भरी निगाहों से देखते हुए नेक्सट सवाल कर दिए,"..तो तुम्हारे पति को कोई प्रॉब्लम नहीं है तुम्हारी इस बेहूदा शौक से..."

"जिन्हें खुद लत लगी हो उन्हें भला क्या प्रॉब्लम..."मैं हंसती हुई एक ही वाक्य में पति के बारे में भी कह डाली...जिसे सुन वे अपने सर पर हाथ रख सोचने लग गए...

रूम मालिक: "राम मिलाए जोड़ी,एक काना एक कोढ़ी...धन्य हो साहिबा....एक शेर सुनिएगा...पानी से प्यास न बुझी, तो मैखाने की तरफ चल निकला,
सोचा शिकायत करूँ तेरी खुदा से, पर खुदा भी तेरा आशिक़ निकला।.... तो अब कुछ कहने से क्या फायदा..." वो कुछ देर बाद अपने चेहरे पर हल्की खुशी और आश्चर्य लाते हुए बोले...जिससे मैं हंस दी...

"अच्छा आपको कभी जरूरत नहीं पड़ती कि कुछ नई होनी चाहिए..नए पार्टनर होने चाहिए..आई मीन..." मैं उनके चेहरे पर हल्की हंसी देख कुछ और मूड बदलने उनसे पूछी..

वो मेरे सवाल से मेरी तरफ घूरने लगे, फिर मेरी तरफ खिसकते हुए बिल्कुल सट गए और बोले,"होती है..और करता भी हूँ पर जितना मजा तुमलोग लेते हो वो तो मेरी किस्मत में नहीं..काश मेरी बीवी भी तुम्हारी तरह होती..."

"..तो बना दो उन्हें भी मेरी तरह..."मैं थोड़ी मजाकिया बनती हुई हंसते हुए बोल दी जिसे सुन वे अपनी हंसी नहीं रोक पाए..क्योंकि उन्हें पता था ये बात इस जनम में तो संभव नहीं है...

"चलो जाने दो उसे...रात में काफी मस्ती की तो पार्टी बनती है..."वो अब थोड़े रिलेक्स होते हुए बोले जिसे सुन मैं काफी खुश हो गई..

"हम्म्म...गुस्सा शांत हो गया...?"मैं रिस्क लेती हुई पूछी कि देखूं इनका क्या कहते हैं..तब से तो घर से बाहर निकालने की कह रहे थे...वो मेरी सवाल सुन चुप हो गए और एकटक निहारने लगे मुझे...

मैं भी बिना पलक झपकाए उनसे नजरें मिलाए जवाब का इंतजार कर रही थी...अब हम दोनों की साँसे थम चुकी थी जो वाक् के दरम्यान उखड़ गई थी...नजदीक होने के कारण सांसे सीधे एक दूसरे के सीने से टकरा रही थी...

तभी उसने अपना हाथ आगे बढ़ा सीधे मेरी गर्दन पर रख दवाब बना दिए, जिससे मैं अगले ही पल औंधें मुँह उनके गोद में गिर पड़ी..जहाँ पहले से तैनात सिपाही से मैं टकरा गई...

मैं चूं भी नहीं कर पाई..शायद करना भी नहीं चाहती थी...क्यों करती जब एक और लंड मेरी खातिरदारी को मिल रही थी...तभी उनके हाथ मेरे बाल को कस के पकड़ लिए और मुझे सीधी करने एक तरफ खींचने लगे...

बालों खिंचे जाने से हल्की दर्द हुई जिससे मेरी आहहह निकल गई...और मैं अनमने ढ़ंग से किसी तरह उनके गोद में उनकी तरफ मुँह किए पड़ी थी...दर्द भरी नजरों से उनके आँखों में झाँकी तो वहाँ वासना की लाल डोरे साफ नजर आई जिससे मैं दर्द में भी मुस्कुरा पड़ी...

तभी वो नीचे झुके और अपने होंठ मेरी खामोश लबों पर रख दिए...और लगे चूसने...मैं पल भर भी नहीं रूक पाई और बिना किस तोड़े खुद को ठीक से बेंच पर व्यवस्थित करती आराम से लेट गई...

तभी उन्होंने अपना एक हाथ सीधे मेरी चुची पर रख दिए...मैं उनके हाथ को टी-शर्ट पर से ही चुची पर महसूस कर सिहर गई...तभी उन्होंने मसलना शुरू कर दिया...

मेरी हल्की चीख अंदर ही अंदर घुट कर रह गई...कुछ ही पलों में मैं मस्ती में सरोबार हो गई और किसी भूखी कुतिया की तरह उनके होंठो पर वार करने लगी...

पार्क में चिड़ियां जोरों से चहचहा रही थी...कोयल अपनी सुरें वातावरण में फैलाए जा रही थी...रंग बिरंगे फूल अपनी सुगंधे फैलाए जा रही थी..मैं इन प्राकृत्क वातावरण में किस करने में मग्न थी...

उन्होंने किस करते हुए मेरे दोनों अपने गर्दन पर रख दिए..मैं तुरंत ही उनके गर्दन को अपने बांहों से जकड़ ली...फिर वो हल्के ऊपर उठ गए...पर मैं किस टूटने की डर से कस के जकड़ ली तो मैं भी उनके साथ ऊपर उठ गई...

कुछ देर बाद वो फिर वापस नीचे हो गए जिससे मैं उनके गोद में फिर से सर रख ली...पर अब मुझे कुछ भीनी-2 सी सुगंध आने लगी...पर इस सुगंध से अच्छी तरह वाकिफ थी...

मैं इस सुगंध से किस पर पकड़ थोड़ी कम कर दी और उस सुगंध का आनंद लेती किस कर रही थी...तभी उन्होंने अपने होंठ को ऊपर की तरफ हटाने लगे और वे सफल भी हो गए...

वे ऊपर हटने के साथ ही अपने हाथ से मेरे चेहरे को उस सुगंध की तरफ मोड़ दिए...मैं भी चुंबक की माफिक मुड़ती चली गई और मेरे मुँह स्वतः खुल गए...अगले ही पल मेरे मुंह में उनका मोटा और नाटा लंड गप्प से समा गया...

मेरी आँखें बंद हो गई मदहोशी में और चभर-2 चूसने लग गई...वे एक मीठी आहहह भरते हुए उत्तेजना में सर को कभी पीछे तो कभी नीचे करते और अपने हाथ से मेरू टीशर्ट ऊपर कर नंगी चुची को मसलने लगे...
जैसे-2 सुबह की लाली छंटती जाती मैं और जोर से चूसती जाती...और वो मेरी नंगी को लाल किए जा रहे थे...साथ ही अपना दूसरा हाथ नीचे कर मेरी केप्री में घुसा दिए...

उनके हाथ तुरंत ही अपनी मंजिल हासिल कर ली..जैसे ही उनकी उंगलिया मेरी बूर पर पहुँची, मैं तड़प उठी और पूरे लंड को जड़ तक मुंह में घुसेड़ ली...वो सीत्कार मारते हुए बिलबिला उठे और मेरी बूर में दो अंगुली घुसा कस के जकड़ लिए...

अब हम दोनों कंट्रोल से बाहर हुए जा रहे थे...मैं चुदने के लिए तड़पने लगी और अपने एक हाथ नीचे कर उनके हाथ को और अंदर बूर में धकेलने लगी...उनके लिए बस इतनी ही काफी थी...

वो मेरे बालों को पकड़ झटके दे अपने लंड को आजाद किए और मुझे उठाते हुए खुद निकल गए..उनके निकलते ही मैंने बेंच पर ठीक से एडजस्ट हुई और अपनी कैप्री नीचे सरका दी...

कैप्री हटते ही मेरी पनियाई बूर उनके नजरों के सामने आ गई...वे मेरी रसीली पर नजर गड़ाए नीचे की तरफ गए और मेरी एक टांग पकड़ नीचे जमीन पर कर दिए जिससे मेरी बुर खुल के सामने आ गई और उन्हें मुझे बजाने सी जगह भी....

मेरे हाथ खुद की चुची पर हरकत करने लगी और नशीली नजरें उनके लंड पर...कब ये नाटा पहलवान मेरी बूर में दस्तक देगा...कद में छोटा था पर हेल्दी में नॉर्मल लंड की दुगूनी...

वे अपने बंदूक ताने ठीक मेरी बूर के सामने ला मुझ पर लेट से गए...मैं उनके वजन से एक बार दब सी गई पर तुरंत ही एडजस्ट हो गई...लेटने से उनका लंड मेरी बूर में घुसने के व्याकुल होने लगा पर घुसा नहीं...

उन्होने अपने हाथ से लंड को सही दिशा देते हुए टमाटर की भांति सुपाड़े को मेरी बूर में फंसा दिए...सुपाड़े के फंसते ही मैं चिहुंक उठी...और अगली वार की प्रतीक्षा करने लगी...

"पांडे नाम है मेरा...C.P. पांडे... मैं बूर चोदने का दिवाना हूँ, बूर का नहीं...तू सोचती होगी कि अपनी जवानी से मुझे अपने फैसले बदलने पर विवश कर देगी,ऐसा नहीं हूँ मैं...ऐसी सोच ले कर आने वाली हर औरत को मैं सिर्फ एक ही चीज देता हूँ...और वो है....लण्डडडडडड..." वे मेरे कानों में मेरे सवालों का जवाब देते हुए अपना लंड मेरी बूर में धकेल दिए....

मैं इतने मोटे लंड खाकर तड़प कर अपने सर को पीछे धकेल कर बचने की कोशिश की कि लंड कम घुसे और दर्द कम हो...पर नाकाम रही...उन्होने अपने शरीर का पूरा वजन रख दिया जिससे मैं गर्दन से नीचे हिल भी नहीं पाई...

"तू औरों से अलग है इसलिए पहली बार ही सब कुछ दिया..अब अगर तेरी मर्जी हुई मेरे से दोस्ती रखने की तो रखना वर्ना नहीं रखना पर मैं घर अवश्य खाली करवाऊंगा...तेरी गरम जवानी पत नहीं कहाँ-2 गुल खिलाएगी तो मैं ये किसी के मुँह से सुनना नहीं चाहता कि ये तो फलाने बाबू की रेन्टर है..."वो अपने लंड को पीछे कर एक और धक्का मारते हुए बोले...

मैं इस वक्त सिर्फ उनकी बात सुन रही थी और कुछ कहने के बजाय उनके मोटे लंड को एडजस्ट करने में जुटी थी...आउच्च्च्च्चऽ आहहहह...अचानक उन्होंने अपने नुकीले दांत मेरी चुची पर गड़ा दिए...

मैं दर्द से चीख पड़ी जो कि मेरी चीख पूरे पार्क में गूँजने लगी...पर वो इन सब से बेखबर लगातार धक्के मारने लगे...मैं हर धक्के पर हिचकोले खा रही थी...

अभी 10 धक्के ही खाई थी कि तभी मेरे कानों में किसी की हलचल गूँजी...मेरे कान खड़े हो गए और अपनी गर्दन उस आवाज की तरफ कर देखने की कोशिश करने लगी...

"डर मत, इस पार्क में सिर्फ दो ही तरह के लोग आते हैं..." मुझे ऐसे डर से उधर देखते वे बोले जिससे मैं आश्चर्य से मुड़ कर उनकी तरफ हिचकोले खाती देखने लगी...

"एक वो जिसे चूत मरवानी होती है और दूसरा इस कॉलोनी के बुड्ढे-बुढ़िया जो आधे पार्क से उधर ही रहते हैं...इस कॉलनी की हर घर में एक ना एक रंडी है...सब अपने यार संग मॉरनिंग वॉक के बहाने आती है और चुद के जाती है...मैं भी यहाँ से रोज कोई ना कोई बूर पेल के ही जाता हूँ...और खास बात ये कि ये बातें सिर्फ पार्क तक ही रहती है, बाहल सब अनजाने..."मेरी डर को दूर करने के लिए उन्होंने इस पार्क के अंदर की असलियत बता दी...

मैं सुन के दंग रह गई..अब तक मेरी बूर उनके लंड को पूरी तरह एडजस्ट कर ली थी और अब आराम में अंदर बाहर हो रही थी...पर मेरी आवाजें निकलनी नहीं बंद हो पाई थी...हर धक्के पर आहहह कर बैठती...

मैं यूँ ही धक्के खाती ऊपर की ओर देखी तो खुला आसमान पर पार्क के बाउंड्री समीप काफी ऊंचे और घने वृक्ष लगे थे...और यहाँ से मोहल्ले की एक भी इमारत नजर नहीं आ रही थी....

तभी से अचानक वो काफी तेज धक्के मारने लगे..वे चरमसीमा की ओर बढ़ने लगे..मैं भी अपनी आवाजें तेज करती हुई उन्हें सपोर्ट करने लगी...तभी मेरे कानों में हल्की सुरीली हंसी पड़ी...

मैं यूँ ही कस के जकड़ी नजर घुमाई तो मेरी ही उम्र की एक गोरी चिट्टी लेडिज एक अधेड़ मर्द के साथ बगल से क्रॉस करती हम दोनों को देख हंस रही थी...मैं उन दोनों को देख बिना किसी हिचक डर के वापस पांडे संग लग गई...

तभी वो चीखते हुए चिल्ला पड़े,"आई...एएएएम...कमिंईंईईंईंईंगगगगगग..."और अपना ढ़ेर सारा लावा मेरी बूर में बहा दिए...मैं भी इस गरमी को सह नहीं पाई और उसी पल मैं भी अपनी नदी बहा दी...

पूरा झड़ने के बाद वे धम्म से मुझ पर लद गए और झड़ने के पश्चात मैं भी सुकून से आँखें बंद कर उन्हें बाँहों मे, भर ली..
काफी देर तक यूं ही नंगी मैं पांडे को अपने सीने से चिपकाए पड़ी थी...फिर पांडे कसमसाते हुए हिले और आहिस्ते से उठ गए...मैं उन्हें उठने के लिए अपनी पकड़ ढ़ीली कर दी...

मैं अभी भी पड़ी थी...आँखें खोली तो मैं सीधी दूसरी तरफ की बेंच पर नजर दौड़ाई जहाँ अभी कुछ देर पहले कोई लेडिज चुद रही थी...वहाँ देखी तो अचानक से झटके खा गई...

वहाँ पर अब एक नहीं बल्कि तीन मर्द थे और तीनों उस लेडिज की एक साथ हर छेदों में अपना लंड डाल पेले जा रहा था और वो भी मस्ती में किसी कुतिया की तरह कूं-कूं करती चुद रही थी...

मैं झट से उठ के बैठ गई और इस नजारे को फटी आँखों से निहारने लगी...एक चूत तीन लंड...शुक्र है कि ऊपर वाले ने और जगह छेद बना दिए वरना यहाँ हर औरत की चूत चूत नहीं रह जाती, गुफा बन जाती...

मेरी कैप्री अभी भी घुटने तक थी और टीशर्ट गले तक...बूर नीचे खुली हवा ले रही थी और चुची ऊपर सुबह की ताजी हवा से खुद को तरोताजा कर रही थी..मैंने बगल में खड़े पांडे जी की तरफ देखी तो वे अभी भी नंगे मुझे निहारे जा रहे थे...

मेरी नजर उनसे मिलते ही मुस्कुरा दी और फिर टीशर्ट नीचे करने के ख्याल से हाथ रखी ही थी टीशर्ट पर कि तभी किसी ने पीछे से मेरे हाथ पकड़ लिए...

मैं चौंक उठी और तेजी से पीछे की तरफ पलटी...ओफ्फ्फ्फ...पीछे मुड़ते ही मेरी नाक एक तगड़े लंड से जा टकराई...मैं आँखें बंद कर सिसकारी भर ली और फिर नजर ऊपर की तो....

यहाँ तो एक नहीं चार मर्द बिल्कुल नंगे खड़े थे..मैं हौरान रह गई...तभी उनमें से एक बोला,"क्यों पांडे जी, आपने इन्हें बताया नहीं कि यहाँ पहली बार आने पर स्वागत समारोह भी आयोजित की जाती है..." और वो सब एक साथ हल्के से मुस्कुरा पड़े...

पांडे: " अरे यार, इन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होगी...आप लोग बस अपने काम में लग जाओ...काफी गरम माल है..." कहते हुए पांडे मेरे निकट आए और मेरी टीशर्ट को पकड़ ऊपर गर्दन से हो बाहर कर दिया....

मैं अब बस यही सोच रही थी कि क्या करेंगे सब...कौन सा काम करेंगे मेरे साथ ये...कहीं सब मिल के चुदाई तो नहीं करेंगे...ओहहहहह...मैं ग्रुप चुदाई की अभी सोच ही रही थी और मेरी मनोकामना इतनी जल्द पूरी होती नजर आने लगी...

मैं अंदर ही अंदर काफी रोमांचित सी हो गई...तभी किसी ने मेरी कैप्री को घुटने से अलग करने लगा..मैं नीचे झुके व्यक्ति की तरफ देखी तो ये मर्द नहीं कोई लेडिज थी...मैं चुपचाप अपने पैर बारी-2 से उठा दी और वो कैप्री बाहर कर खड़ी हुई...

उनसे नजर मिलते ही मैं शॉक हो गई...ये तो कोमल आंटी की सहेली थी जो उनके साथ पार्लर में काम करती थी...मैं उन्हें हैरानी से देखने लगी...वो मुझे ऐसे देख मुस्कुराती हुई बोली,"वेलकम सीता, हैरानी की कोई बात नहीं है यहाँ...मैं यहीं पास में रहती हूँ और यहाँ रोज आती हूँ...और ये बात तो जानती ही हो कि यहाँ की बात सिर्फ यहाँ तक ही रहती है..."

मैं उन्हें अब भी लगातार घूरे जा रही थी...फिर वो मेरी कैप्री के साथ पांडे से ले चुकी टीशर्ट दिखाते हुए बोली,"जाते वक्त पहन लेना..." और फिर वो दूर एक कोने में मेरे कपड़े फेंक दिए...मैं अपने ड्रेस हवा में लहराती दूर जाती देखती रही...

वैसे भी यहाँ पर सिर्फ मैं ही नंगी नहीं थी जो कुछ बोलती...अब जो होना है वो तो होगी ही सो बस मैं सोच ली कि बेवजह क्यों परेशान होऊं...मजे करती हूँ...यही सोच मैं उनकी तरफ देख हौले से मुस्कुरा पड़ी...

तभी सब मर्द आगे आए और मुझे चारों तरफ से घेर लिए और सब अपने-2 लंड हिलाने लगे...मैं उन सबको देखने लगी...

"बैठ जाओ सीता.."कभी कोमल की दोस्त बोली जिसे सुन मैं आहिस्ते से बैठ गई...अब मेरी आँखों के चारों तरफ सिर्फ लंड ही लंड थे...

आउच्च्च्च्च...पीछे वाले मेरे बाल पकड़ के पीछे की तरफ जोर से खींच डाले...मैं तड़प कर पीछे की तरफ सिर कर ली और दर्द से आहहह भरने लगी...

तभी सामने वाले ने मेरे गालों को जोर से दबाते हुए मेरे मुँह को खोल रखा और नीचे झुकते हुए ढ़ेर सारा थूक मेरे मुँह में भर दिया...मैं घिन्न सी होती आँखें बंद कर ली...

फिर बारी-2 से सबने थूकते हुए मेरे मुँह को ही भर दिया....मैं सीधी हो उन्हे बाहर करना चाहती थी पर उन लोगों ने होने नहीं दिया...कुछ देर तक यूँ ही रहने के बाद मैं विवश हो सारा थूक गटक ली...

थूक गटकते ही उसने मुझे छोड़ा और अगले ही पल लंड ठूस दिया...लंड की आदी तो हो ही चुकी थी..सो लंड पड़ते ही मैं चूसने लग गई...कुछ ही देर तक चूसी कि बगल वाले ने जबरदस्ती मुझे उस लंड को छुड़ा अपना लंड ठूस दिया....

फिर तीसरी, चौथी.....इसी तरह मैं सब एक-2 कर लंड डालने लगे...मैं अब समझ गई कि सभी को एक साथ चूसना है....

बस मैं अपने आगे दो लंड को नजदीक की और बगल में दो लंड को हाथों से हिलाती हुई चूसने लगी...1-2-3-4 सब की...दो बिना पकड़े ही चूसती तो दो पकड़ के चूसती...

कुछ ही पलो में मैं पूरी मग्न हो गई लंड चुसाई में...एक साथ चार-चार लंड चूस के खुद को जन्नत के द्वार पर खड़ी महसूस कर रही थी...काफी गरम हो गई थी तो बीच बीच मैं एक हाथ से अपनी चूत भी रगड़ लेती...

पर जिसे लंड की जरूरत हो वो भला हाथ की सुनती थोड़ी...जबकि वे चारों मस्ती में झूम रहे थे...काफी देर तक लंड से खेली...जब बर्दाश्त नहीं हुई तो लंड को छोड़ ऊपर की तरफ मुँह कर उन सभी से आँखों से ही कह दी कि ,"प्लीज, अब तो चोद दो..."

तभी उन सब के बीच में कोमल आंटी की दोस्त आई और बोली,"शाली, बहुत गरमी हो रही है चूत में...तो ये डाल ले क्योंकि ये सब आज तुझे चोदेने वाले नहीं है...बस आज तो वेलकम करेंगे सब...समझी.." और फिर उन्होंने लकड़ी की मोटी और चिकनी बिल्कुल लंड की माफिक नीच झुकते हुए एक ही झटके में मेरी बुर में उतार दिए...

मैं चिहुंक कर चिल्ला उठी पर अगले ही पल एक लंड ने मेरी चीख को दबा दी
कुछ देर तक बूर में लकड़ी का टुकड़ा डाले लंड चूसती रही कुतिया की तरह...बीच बीच में मुझे क्लिक की आवाज आ रही थी जैसे कोई मेरी पिक्स ले रही हो पर मैं अब इन सब की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही थी...

जब ओखल में सर डाल ही दी तो मूसल से डर कैसी...तभी एक ने अपने लंड को जोर में मेरे मुँह में दबाते हुए चीखने लगा और फिर उसके गरम पानी मेरे गले में उतरने लगी...मैं भी पानी की गरमी पाते ही जीभ और दांत से उसके लंड को कुरेद कर और पानी निकालने लगी...

जैसे ही वो शांत हुआ दूसरे ने भी पानी की बौछार कर दी...वो बाहर ही था जिसे मैं तेजी से मुरझाए लंड को बाहर कर उस लंड के सामने मुँह खोल दी और प्रसाद ग्रहण करने लगी...

वो अभी पूरा झड़ा भी नहीं था कि तीसरी नल भी खुल गई...और फिर चौथी भी...मैं सबके अमृत को अंदर करने की भरकस प्रयास की पर नाकामयाब रही...फलस्वरूप जितनी वीर्य लेनी की क्षमता थी वो तो ले ही पर बाकी वीर्य ने मेरे चांदरूपी चेहरे को पूरी तरह ढ़क दी...

गोरी चमडी पर बर्फरूपी लंडरस बिछ गई थी और मैं बिल्कुल किसी कुतिया की तरह बूर से पानी बहा रही थी...तभी एक आवाज मेरे कानों में गूँजी जिसे सुन मैं स्तब्ध रह गई...

"जरा रूकिए तो एक मिनट...सीता की ऐसी पिक्स मेरे लिए काफी फायदेमंद रहेगी.." मैं नजरें ऊठा कर देखी तो सामने कोमल आंटी कैमरा लिए मुस्काते हुअ लगातार पिक्स खींची जा रही थी...

मेरे चेहरे की काफी क्लोज पिक्स ली..फिर बोली,"डोंट वरी सीता, मैं यहाँ की लीडर हूँ...और ये पिक्स मैं अपने एलबम के लिए ली हूँ...जो एलबम तुम देखी थी उसमें सिर्फ फेस की तस्वीरें थी पर ये पिक्स जिस एलबम में डालूँगी उसमें सबकी चुदाई के ही पिक्स होते हैं...अब तो आएगी ही तो देख लेना...और बधाई भी नई जॉब के लिए..."

मैं बस उन्हें देखती रही...कुछ जवाब नहीं दे पा रही थी...बस झटके पे झटके खा रही थी कि कौन कहाँ होता है,पता नहीं...खैर अब तो कोमल आंटी की सेक्स वर्कर बनने के सिवा कोई चारा नहीं थी....

इसमें मेरी विवशता या मजबूरी नहीं थी...ये तो मैं भी चाहती थी कि रोज मैं चुदूँ पर कोई कभी खुल के सामने नहीं आ रही थी...पर आज पांडे जी की वजह से सब दिक्कतें दूर हो गई...

तभी मेरी चुची पर एक जोर की पैरों से किक पड़ी और मैं धम्म से पीछे की तरफ जमीन पर गिर पड़ी...थोड़ी सर में चोट भी लग गई जिससे मैं आहह कर कराह पड़ी...पर ये चोट ऐसी हालत में मायने नहीं रखती थी...

कोमल आंटी एक तरफ हो नेक्सट पिक्स लेने लगी...तभी चारों ने एक साथ अपने मुरझाए लंड से दूसरी टोंटी खोल दी...पेशाब की सीधी धार मेरे चेहरे को भिंगोने लगी...

मैं आँखें बंद करती सर को दूसरी तरफ मोड़ ली कि तभी कोमल आंटी की दोस्त ने आगे बढ़ अपने पैरों से मेरे चेहरे को पुनः सीधी कर दी...मैं समझ गई कि ये सब यही चाहती है तो दूसरी बार हटाने की कोशिश नहीं की...

फिर पेशाब की धार मेरे चेहरे से हट नीचे की तरफ बढ़ने लगी...और कुछ ही पल में मैं पूरी नहा गई थी...उनके पेशाब की धार जब खत्म हुई तो सबने एक साथ मिल के ताली बजा दी...

मैं मन ही मन मुस्कुराने लगी...सच पुरूषों को सेक्स में जितनी गंदी करने दो वो उतने ही खुश होते हैं...कुछ देर तक पड़ी रहने के मैं आँख खोली और उठ कर बैठ गई....

सब वहाँ पर खड़े हो मेरी तरफ ही घूरे जा रहे थे और मुस्कुरा रहे थे...मैं उन सभी को को देख हल्की मुस्कान दे दी...मतलब मैं खुश हूँ,उनको बता दी...

मेरे शरीर से पेशाब और वीर्य की बू आ रही थी, पर अब ये हमें तनिक भी बुरी नहीं लग रही थी...एक अलग ही कामुकता पैदा कर रही थी...तभी मेरी नजरें मेरी बूर पर पड़ी जहाँ अभी भी लकड़ी घुसी थी...

मैं आहिस्ते से हाथ बढ़ा लकड़ी को पकड़ी और नचाती हुई बाहर कर दी...फिर मैं लकड़ी फेंकने के लिए हाथ ऊपर की ही कि फिर मैं रूक गई और कोमल आंटी की तरफ कामुकता से देखती हुई उस लकड़ी पर लगी मेरी बुर के रस को चाटने लगी...

जिसे देख सभी वहां पर हँस पड़े...मैं भी चेहरे पर हंसी लाते हुए नॉनस्टॉप चाटती रही...जब पूरी तरह चाट ली तो फिर साइड में रख दी...तभी कोमल आंटी ने अपने कैमरे को पांडे की तरफ बढ़ा दी...

और फिर कंधे में टंगी बैग से कुथ पेपर निकाले और बेंच पर रखती हुई बोली,"लो सीता, पढ़ के साइन कर दो..आज से तुम मेरे लिए काम करोगी और साथ ही यहाँ की मेंबरशिप भी...यहाँ आने वाले सभी मर्द से तुम अब चुद सकती हो..."

मैं अब क्या सोचती? बस मुस्कुरा पड़ी और बेंच की तरफ खिसक कर आई और कोमल आंटी से पेन ली...फिर उनकी तरफ हंसती हुई साइन करने लगी...

"अरे, पढ़ तो लो एक बार..."कोमल आंटी ने मुझे एक बारगी से बिना पढ़े साइन करते देख बोल पड़ी...

"अब इसे पढ़ के क्या करनी...जब करनी ही है तो करनी है..."मैं साइन करती हुई बोली..

"हम्म्म...ओके पर ये मत सोचना कि ब्लैकमेल कर रही हूँ...पर हाँ एक बात याद रखना और इसमें लिखी भी है कि जब तक तुम इस शहर में हो और जब तक मैं चाहूँ तुम कभी मना नहीं करोगी आने से...किसी वजह से बाहर चली गई या शहर छोड़ दी तो उस स्थिति में तुम्हें वजह बतानी होगी..."कोमल आंटी समझाते हुए बोली..

"मतलब अगर पति का ट्रांसफर हो गया तो तुम पर कोई प्रेशर नहीं...बस बिना वजह तुम मना नहीं कर पाओगी और हाँ सप्ताह में कम से कम 2 दिन तो आना ही होगा...उससे आगे तुम्हारी मर्जी और तुम्हारा कमीशन हैंड टू हैंड...ठीक है..."कोमल आंटी शार्ट कट में पूरी कंडीशन बतला दी...

मैं उनकी बात सुन हामी भर दी "मुझे मंजूर है..." कहती हुई पेपर उनकी तरफ बढ़ा दी...वो हंसती हुई पेपर बैग में डाल ली.
मैं अब उठना चाहती थी क्योंकि जो भी बची खुची इच्छा थी , वो आज पूरी हो गई थी... मुझे पहले हर वक्त जो चुदास चढ़ी रहती थी वो आज कोमल आंटी और उनके ग्रुप की मदद से पूरी हो गई थी...साथ ही ऊपरी कमाई भी....

मैं अपने कपड़े खोजी तो वो दूसरी ओर पड़ी मिली... मैं अपने कपड़े की तरफ देख रही थी ये बात कोमल आंटी जैसी ही नोट की वो आगे बढ़ी और अपनी जूती ऊपर कर मेरे चेहरे को जूती से उठाती हुई बोली,"कपड़े पहनेगी..."

और जिस वक्त मैं उन्हें देख रही थी, बेबस की नजरों से...उसकी की पिक्स लेती गई... मैं हाँ में सर हिला दी...मेरी हाँ देखती ही कोमल आंटी मुस्कुरा पड़ी जिससे मैं भी मुस्कुरा पड़ी...क्योंकि अब बात साफ थी कि अब जो भी होगी, वो मजेदार ही होगी...

कोमल,"तो जा ले आ पर मेरे पैर को चूम के....और साथ ही कपड़े तक पहुँचने में तेरी चाल ढ़ाल किसी सड़क छाप कुतिया की तरह होनी चाहिए..." और कोमल आंटी हंस दी...

मैं उनकी बात सुनते ही शर्मा सी गई और अपनी नजरें नीची कर मुस्कुरा दी... जिसे देखते ही पांडे जीमेरी चुची पर अपने पैर रख फिसलाते हुए बोले,"रंडी, ये मजाक नहीं है जो हंस रही है.... और हंसी है तो ये काम इन्हें करने के साथ साथ सबके साथ करना होगा...अब शुरू हो जा..."

पांडे जी की बात सुन मुझे टीस हुई पर उसे जाहिर नहीं होने दी...जाहिर करके ही क्या करती... मैं हौले से मुस्काई और किसी कुतिया की तरह झुक के चार पैरों पर आ गई...

मुझे ऐसे देखते ही सब ठहाके लगा "जियो मेरी कुतिया..."कहने लगे...मैं अगले ही पल पूरी जीभ बाहर कर ली ताकि कुतिया वाली एक्सपीरिशन आए चेहरे पर.. और फिर कोमल आंटी की तरफ बढ़ गई...

कोमल आंटी के पैरों तले पहुँचते ही मैं सकुचा गई पर मना तो नहीं कर पाती... मैं जीभ निकाली दो बार हाँफी और उनकी दूती की तरफ झुक गई.... अगले ही पल उनकी जूती पर मैं जीभ लगा चूमने की बजाए चाट रही थी...

जब करनी ही है तो अच्छी से क्यों ना करूँ...पूरी तरह साफ कर दी और ऊपर उठ तेज सांस लेने लगी बिच्च की तरह... पर इस बार मैं नाटक नहीं सच में हाँफ रही थी...ये देख सबने ताली बजा मुझ जैसी रण्डी को स्वागत किया..

फिर जब अगले पैर की तरफ बढ़ी तो उफ्फ्फ... सब अब और कमीने पन पर उतर आए थे... वो वैसी जगह पर सरक के चले गए जहाँ पर जमीं गीली हो... अभी तो जमीं यहाँ की सिर्फ उनके पेसाबों से ही गीली थी...

मैं अपने हाथ को गीली मिट्टी पर जैसे ही रखी, हाथ पूरी तरह पेशाब में डूब गई... फिर दूसरी हाथ, वो भी छप्प...जब पहली हाथ उठा अगली कदम बढ़ाई तो देखने लायक थी... हाथ कीचड़ व पेशाबों से सनी थी बिल्कुल किसी कुतिया की तरह...

पेशाब की बदबू नीचे से लगातार मेरी नाक में घुस रही थी पर अब मुझे इसकी कोई फिक्र नहीं थी... क्योंकि तन ही पूरी पेशाब मय खुशबू में लिपटी थी... मैं दूसरे पैरों के निकट पहुँच कुतिया की बैठी और झुकती हुई उस पैरों को चूम ली....

इस चुम्मी में तो चुम्मी कम, पेशाब ज्यादा मेरे मुख में घुस गई...पर अब तो मुझे इस पेशाब में भी मदहोशी छा गई...मैं जीभ निकाल कई दफा चाट ली... फिर आगे बढ़ी...

अगली पैर तक पहुँचते -२ मेरे घुटने और हाथ पूरी तरह गीली हो चुकी थी...मैं अपने काम को करने जैसे ही झुकी की मेरी नंगी चूतड़ पर किसी पैर ने धक्के लगा दिए...

और फिर मैं धम्म से नीचे कीचड़ में... अभी तक तो सिर्फ मेरे हाथ पांव ही सने थे पर अब पूरी तन कीचड़ में सन गई थी....मैं अचानक इस हमले को संभालने की लाख कोशिश की पर संभाल नहीं पाई...

सब ठहाके लगाने लगे जिससे मैं भी हल्की मुस्कान बिखेड़ शर्मा गई... कोमल आंटी और नजदीक आ मेरी क्लोज अप सीन करने लगी... मैं पूरी नंगी आसमान की तरफ रूख की कीचड़ में पड़ी थी...

मेरी चुचियां इन सब खेल में और कड़क हो गई और निप्पल तो इंच भर उठ के खड़ी हो गई थी... मेरी साँसो के साथ उठती बैठती चुचियां किसी गुब्बारे की तरह लुक दे रही थी जिसमें हवा भरी और छोड़ी जा रही हो...

कोमल आंटी नीचे बैठती हुई बोली,"सीता रानी जी, कैसी फील हो रही है...?" और वो मेरे जवाब के इंतजार में मुस्कुराने लगी... मैं उनकी तरफ देख हौले से मुस्कुराई और बोली,"जन्नत...."

"थैंक्स मेरी बच्ची..."औरफिर कोमल आंटी उठी और अपनी दोस्त की ओर कुछ इशारा की... उनकी दोस्त इशारा पाते ही एक तरफ चल दी और एक लम्बी सी पाइप खींचती चली आई...

फिर कोमल आंटी ने मुझे इशारे से उस तरफ होने को कह दी... मैं उठी और चल दी और कोमल आंटी की दोस्त ने पाइप मेरी तरफ कर पानी की बौछारें कर दी...

मैं कुछ ही पलों में एक दम चिकनी हो गई थी... साबुन शैमंपू आदि से अचंछी तरह फ्रेश हुई और कोमल आंटी की ओर से एक तौलिया मिली जिससे खुद को अच्छी तरह साफ की...

फिर अपने कपट़े पहनने लगी....
फिर 2-3 दिनों के अंदर हम तीनों वहाँ से निकलकर दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट हो गए जो अंकल ने खरीदी थी। और फिर पूजा भी कोमल आंटी के साथ ज्वाइन कर ली। अब दिन में हम दोनों कोमल आंटी के यहाँ चुदती और रात में घर पर।

**और तो और मैं श्याम के साथ मुश्किल से सताह में एक या दो दिन ही सोती थी। बाकी दिन तो अंकल के लंड के नीचे ही पड़ी रहती।
**श्याम भी पूजा को अपने नीचे पाकर काफी खुश था।

**केतन उस दिन के बाद कभी निकट नहीं आ पाया क्योंकि इन सबसे कभी फुर्सत ही नहीं मिलती हमें। दिन भर कोमल आंटी के यहाँ और रात को घर पर बिजी।

**पांडे जी से भी दोस्ती थी पर अब वो मेरे बदन को छूने के लिए भी रकम अदा करते थे। जब वो अपने यहाँ से निकाल दिए तो कुछ तो सहना होगा ही ना उन्हें।

*****धन्यवाद*****

No comments:

Post a Comment